ग्रामीण विकास मंत्रालय कार्यों की समीक्षा-मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर

ग्रामीण विकास मंत्रालय कार्यों की समीक्षा-मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर

पेसूका———ग्रामीण विकास मंत्रालय और पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय की उपलब्धियों, प्रगति, भावी कार्ययोजना, विभिन्न महत्वाकांक्षी येाजनाओं हेतु निर्धारित बजट प्रावधान और अन्य पहलुओं पर विस्तृत चर्चा की।

गांव के विकास से ही देश का विकास संभव

०००० पत्रकार वार्ता में narendra-singh-tomar०००० मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर का आकलन

— मनरेगा के तहत वित्त वर्ष 2016-17 में वर्तमान तिथि तक नरेगा साॅफ्ट एमआईएस में 8 करोड़ 76 लाख आधार नम्बर दर्ज किये जा चुके हैं और आधार पेमेंट ब्रिज सिस्टम (एपीबीएस) में कामगारों की संख्या 4 करोड़ हो गई है।

— सार्वजनिक क्षेत्र में लगभग 50 लाख परिसम्पत्तियों की जियो टैगिंग की जा चुकी है।

–ई-पेमेंट के माध्यम से मजदूरी के भुगतान का प्रतिषत वित्त वर्ष 2013-14 के 37 प्रतिषत से बढ़कर वित्त वर्ष 2016-17 में वर्तमान तिथि तक 96 प्रतिषत हो गया है।

–समेकित मिषन जल संरक्षण दिषानिर्देष जारी किये गये हैं और इनमें जल संरक्षण, भूमि संसाधन और कृषि तथा प्रधानमंत्री कौषल विकास योजना के इनपुट षामिल किये गये हैं।

–सिंचाई सुविधाओं से वंचित 112 जिलों, भूजल के अतिदोहन से ग्रस्त 1068 से अधिक ब्लाॅकों और गंभीर स्थिति वाले 217 ब्लाॅकों में विषेष निगरानी की व्यवस्था की जायेगी।

–आधारभूत परत के लिये प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना संबंधी दिषानिर्देषों के आधार पर, गैर पीएमजीएसवाई सड़कों के लिये दिषानिर्देष तैयार किये गये हैं।

–यह परिसम्पत्ति टिकाऊ होगी और भविष्य में पीएमजीएसवाई मानकों के अनुरूप इसका उन्नयन किया जा सकेगा।

–ग्राम पंचायत स्तर पर रजिस्टरों की संख्या में कमी की गई है।

–मनरेगा योजना के अंतर्गत प्रत्येक ग्राम पंचायत स्तर पर औसतन 22 से 29 रजिस्टर रखे जाते थे, जिनकी संख्या घटाकर केवल 7 कर दी गई है।

–अब तक 1 लाख 68 हजार ग्राम पंचायतों ने इन रजिस्टरों का रख-रखाव षुरू कर दिया है।

—मनरेगा में वित्त वर्ष 2015-16 में महिलाओं की भागीदारी 48 प्रतिषत थी जो वर्तमान वित्त वर्ष में बढ़कर 56 प्रतिषत हो गई है।

—कृषि और उससे जुड़े कार्यकलापों पर अधिक जोर दिया गया है।

–वित्त वर्ष 2015-16 में इन कार्यकलापों पर व्यय 63 प्रतिषत था जो मौजूदा वित्त वर्ष में बढ़कर 70 प्रतिषत हो गया है।

–वर्तमान वित्त वर्ष में मनरेगा योजना के एक अभियान के तौर पर 72 प्रतिषत सक्रिय जाॅब कार्डों का अद्यतन/सत्यापन किया गया है।

—प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में वर्ष 2013-14 के दौरान 69.35 कि.मी. प्रतिदिन की दर से कुल 25316 कि.मी. सड़कों का निर्माण किया गया, वर्ष 2016-17 में 133 कि.मी. प्रतिदिन की दर से 48812 कि.मी. सड़कों का निर्माण करने का लक्ष्य है, जिसे प्राप्त कर लिए जाने की उम्मीद है।

—-गैर पारम्परिक निर्माण सामग्री और कोल्ड मिक्स फ्लाई ऐष, जूट और काॅयर जियो टैक्सटाइल, अपषिष्ट प्लास्टिक, आयरन और काॅपर स्लैग जैसी हरित प्रौद्योगिकी से वर्ष 2016-17 के दौरान 3175 कि.मी. सड़कों का निर्माण किया गया है।

–वर्ष 2013-14 में इस प्रौद्योगिकी से 100 कि.मी. से कम और वर्ष 2015-16 में लगभग 2234 कि.मी. सड़कें बनाई गई थीं।

–प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत फोटोग्राफ के साथ नागरिकों की षिकायतें दर्ज करने के लिये ष्मेरी सड़कष् नामक मोबाइल अनुप्रयोग जुलाई, 2015 में षुरू किया गया। इस अनुप्रयोग को 6.81 लाख बार डाउनलोड किया गया है।

–वर्ष 2016-17 में 13842 षिकायतें प्राप्त हुई हैं। 12479 मामालों में षिकायतकर्ताआंे को अंतिम उत्तर और 1245 मामलों में अंतरिम उत्तर भेजे गये।

—वित्त वर्ष 2016-17 के दौरान पांच राज्योंः असम, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और ओडिषा के 10 जिलों में निर्मित 242 पीएमजीएसवाई सड़कों के संबंध में सड़कों की लम्बाई और उनसे जुड़ी बसावटों की निगरानी की प्रायोगिक परियोजना षुरू की गई।

फरवरी, 2017 में राष्ट्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज संस्थान, हैदराबाद तथा राष्ट्रीय सुदूर संवेदन एजेंसी, हैदराबाद द्वारा समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर कर सभी पीएमजीएसवाई सड़कों के लिये अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के प्रयोग को सर्वव्यापी बनाया जायेगा।

—इससे पहले पीएमजीएसवाई सड़कों की निगरानी के लिये अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का उपयोग नहीं हो रहा था।

–पहले ग्रामीण सड़कों के रख-रखाव को प्राथमिकता नहीं दी जाती थी। केवल 3 राज्योंः राजस्थान, उत्तर प्रदेष और बिहार ने ही अपनी ग्रामीण सड़क रख-रखाव नीति अधिसूचित की थी।

–वर्ष 2016-17 के दौरान 16 राज्यों ने ग्रामीण सड़क रख-रखाव नीति अधिसूचित कर उसका कार्यान्वयन षुरू कर दिया है। षेष 13 राज्य जून, 2017 तक यह नीति अधिसूचित कर देंगे।

–इंदिरा आवास योजना के अंतर्गत वर्ष 2013-14 में 10 लाख 83 हजार मकानों का निर्माण किया गया था। 6 फरवरी, 2017 तक यह संख्या बढ़कर 22 लाख 17 हजार हो गई है।

–आईएवाई में वर्ष 2013-14 के दौरान मकानों के निर्माण का वार्षिक लक्ष्य 24 लाख 80 हजार था जो 2016-17 के दौरान बढ़ाकर 33 लाख कर दिया गया है।

–इस योजना के अंतर्गत वर्ष 2013-14 के दौरान प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) की योजना लागू नहीं थी, वर्ष 2016-17 के दौरान एकल राज्य नोडल खाते (एसएनए) से इलैक्ट्रानिक तरीके से सीधे लाभार्थियों के बैंक/डाकघर खातों में भुगतान किया जा रहा है।

–मौजूदा वित्त वर्ष के दौरान आईएवाई में बनाये जा रहे मकानों की जियो टैगिंग के लिये समय और डाटा स्टैम्प के साथ-साथ अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किया गया है।

–मोबाइल आधारित ऐप, आवास ऐप तैयार करके इसका इस्तेमाल किया गया। इससे 19 लाख 9 हजार फोटो अपलोड किये गये। इससे पहले यह व्यवस्था उपलब्ध नहीं थी।

–आईएवाई में एमआईएस आवास साॅफ्ट के माध्यम से सार्वजनिक जांच संबंधी जानकारी आम जनता के लिये उपलब्ध है।

–वर्तमान समय में 18 राज्यों के लिये स्थानीय स्थितियों और आपदा रोधी विषेषताओं के अनुरूप स्थानीय सामग्रियों का इस्तेमाल करते हुए मकानों में अनेक प्रकार के डिजाइन उपलब्ध हैं।

–प्रधानमंत्री जी ने 20 नवम्बर, 2016 को 10 राज्यों के लिये डिजाइन जारी किये थे। इससे पहले मकान डिजाइन का कोई विकल्प नहीं था।

–ग्रामीण क्षेत्रों में राज-मिस्त्रियों के प्रषिक्षण के लिये क्वालिफिकेषन पैन (क्यूपी) तैयार किया गया। 45 दिन के लिये जाॅंब संबंधी प्रषिक्षण दिया गया।

–कई राज्यों में प्रायोगिक प्रषिक्षण पूरा हो गया है और 30 हजार राज-मिस्त्रियों को प्रषिक्षित किये जाने की योजना है।

पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय

–प्रधानमंत्री जी ने 2 अक्तूबर, 2014 को स्वच्छ भारत मिषन का षुभारंभ कर वर्ष 2019 तक देष को खुले में ष्षौच से मुक्त बनाने का लक्ष्य रखा है।

–इसके लिये उप-मिषन, स्वच्छ भारत मिषन-ग्रामीण और स्वच्छ भारत मिषन-षहरी बनाये गये हैं।

–स्वच्छ भारत मिषन स्वच्छता, हाईजीन और साफ-सफाई को बेहतर बनाने का देष का सबसे बड़ा अभियान है।

–स्वच्छ भारत मिषन व्यवहार परिवर्तन और षौचालयों के उपयोग पर पूरा ध्यान केन्द्रित कर रहा है।

–ओडीएफ सत्यापन के लिये दिषानिर्देष जारी किये गये हैं और राज्यों ने सत्यापन की प्रक्रिया आरम्भ कर दी है।

–इसे पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय की आॅनलाइन माॅनीटरिंग प्रणाली (आईएमआईएस) में भी दर्ज किया जा रहा है।

–2 अक्तूबर, 2014 से अब तक ग्रामीण क्षेत्रों में 3 करोड़ 32 लाख षौचालयों का निर्माण किया गया है।

–2 अक्तूबर, 2014 को स्वच्छता कवरेज 42.01 प्रतिषत थी, जो 6 फरवरी, 2017 को बढ़कर 60.32 प्रतिषत हो गई है।

–स्वच्छ भारत मिषन के अंतर्गत गरीब (बीपीएल) और सीमान्त (एपीएल) परिवारों को षौचालय निर्माण के लिये प्रोत्साहन राषि देने और षौचालयों का उपयोग सुनिष्चित करने पर बल दिया जा रहा है।

–वर्ष 2016-17 के लिये 1 करोड़ 50 लाख वैयक्तिक षौचालयों के लक्ष्य की तुलना में 6 फरवरी, 2017 तक 1 करोड़ 55 लाख 16 हजार 257 षौचालय निर्मित किये गये हैं, जो लक्ष्य का 103.44 प्रतिषत है।

–6 फरवरी, 2017 की स्थिति के अनुसार 91 जिलों, 909 से अधिक ब्लाॅकों, 70 हजार 275 से अधिक ग्राम पंचायतों और 156219 से अधिक गांवों को खुले में षौचमुक्त ओडीएफ घोषित किया गया है।

इसके अतिरिक्त तीन राज्यंः सिक्किम, हिमाचल प्रदेष और केरल ओडीएफ घोषित किये जा चुके हैं।

–नमामि गंगे के अंतर्गत 5 राज्यों के 52 जिलों में गंगा तट पर स्थित 4300 गांवों को ओडीएफ बनाने में प्राथमिकता दी गई है।

–अब तक 2871 गांवों को ओडीएफ घोषित किया जा चुका है।

–देष भर से 530 से अधिक कलेक्टरों को इसके लिये विषेष प्रषिक्षण दिया गया है और समुदायों में व्यवहार परिवर्तन लाने तथा लोगों को प्रेरित करने के लिये कार्यषालाओं के आयोजन के साथ आईएएस और ग्रुप-ए के अन्य परिवीक्षाधीन अधिकारियों को प्रषिक्षण दिया जा रहा है।

–स्वच्छ भारत अभियान के अंतर्गत सामूहिक व्यवहारगत परिवर्तन पर बल दिया जा रहा है।

–स्वच्छ भारत मिषन की गतिविधियों में गैर-सरकारी संगठनों, काॅरपोरेट क्षेत्र और युवा वर्ग इत्यादि को षामिल किया गया है। यह कार्यक्रम समाज के सभी वर्गों के सहयोग से जनआंदोलन के रूप में चलाया जा रहा है, जिसमें पंचायतें सक्रिय रूप से भाग ले रही हैं।

–वर्ष 2014-15 का संषोधित बजट अनुमान 2850 करोड़ रू. था और पूरी राषि का उपयोग कर लिया गया।

–वर्ष 2015-16 में संषोधित बजट अनुमान 6525 करोड़ रू. था जिसमें से 6524.52 करोड़ रू. का उपयोग किया गया।

–वर्ष 2016-17 के लिये संषोधित बजट अनुमान 10500 करोड़ रू. है, जिसमें से 6 फरवरी, 2017 तक 8335.49 करोड़ रू. का उपयोग किया जा चुका है।

–वर्ष 2017-18 के लिये बजट अनुमान 13948.27 करोड़ रू. है। वर्ष 2017-18 के लिये घरेलू वैयक्तिक षौचालयों का लक्ष्य 1 करोड़ 70 लाख रखा गया है।

—सभी मंत्रालयों ने अपने बजट प्रावधानों के अंतर्गत स्वच्छ भारत के लिये अलग धनराषि निर्धारित की है और यह कुल मिलाकर लगभग 2 हजार करोड़ रू. होगी।

–इससे स्वच्छ भारत अभियान के कार्यकलापों के लिये और संसाधन उपलब्ध हो सकेंगे।

–स्वच्छ भारत अभियान के कार्यान्वयन में जिला प्रषासन की सहायता हेतु देष के प्रत्येक जिले में टाटा ट्रस्ट द्वारा एक जिला स्वच्छता प्रेरक प्रायोजित किया जा रहा है।

–देषभर के 100 महत्वपूर्ण स्थानों को स्वच्छता के लिये चिन्हित किया गया है। इसमें से पहले चरण के अंतर्गत 10 स्थलों पर काम षुरू कर दिया गया है।

–माॅनीटरिंग तथा मूल्यांकन प्रणाली सुदृढ़ की गई है। आईएमआईएस पर घरेलू स्तर के आंकड़े हैं।

–एक स्वच्छता ऐप तैयार किया गया है, स्वच्छता ऐप पर लोगों द्वारा स्वच्छता की टैगिंग भी की जा सकती है।

राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम

1 फरवरी, 2017 को माननीय वित्त मंत्री जी ने राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम के उप-मिषन का प्रस्ताव किया है, जिसके अंतर्गत अगले 4 वर्षों में आर्सेनिक तथा फ्लोराइड प्रभावित 28 हजार बसावटों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराया जायेगा।

–18 अगस्त, 2016 तक देष में 27916 आर्सेनिक और फ्लोराइड प्रभावित बसावटें थीं इनमें फ्लोराइड की 13736 बसावटें और आर्सेनिक की 14180 बसावटें हैं।

–आर्सेनिक प्रभावित बसावटों के लिये प्रति व्यक्ति लागत 7000 रू. और फ्लोराइड प्रभावित बसावटों के लिये 11500 रू. सीमित की गई हैं।

–अनुमान है कि आर्सेनिक और फ्लोराइड बसावटों में स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने के लिये लगभग 25 हजार करोड़ रू. की आवष्यकता होगी, जिसमे केन्द्र सरकार का अंषदान लगभग 12500 करोड़ रू. होगा।

–वित्त वर्ष 2017-18 के लिये एनआरडीडब्ल्यूपी के कुल 6050 करोड़ रू. के बजट में से इस उप-मिषन के लिये 1000 करोड़ रू. आवंटित किये गये हैं।

-वित्त वर्ष 2015-16 के लिये एनआरडीडब्ल्यूपी के अंतर्गत आवंटन 4373 करोड़ रू. था, जो वित्त वर्ष 2016-17 मंे बढ़कर 6000 करोड़ रू. हो गया।

–वित्त वर्ष 2017-18 के लिये इस योजना के अंतर्गत आवंटन बढ़ाकर 6050 करोड़ रू. कर दिया गया है।

–पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय ने नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय से वित्तीय सहायता के तहत उन दूरदराज के जनजातीय क्षेत्रों में सोलर डुअल पम्प नल-जल आपूर्ति योजना को बढ़ावा दिया है, जहां बिजली आपूर्ति नहीं है, या अक्सर बिजली गुल रहती है। यह योजना बहुत लोकप्रिय हुई है।

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