• March 2, 2016

गौरव पथ पर अग्रसर राजस्थान परवान पर हैं स्वच्छता गतिविधियाँ – डॉ. दीपक आचार्य,उप निदेशक

गौरव पथ पर अग्रसर राजस्थान  परवान पर हैं स्वच्छता गतिविधियाँ  –  डॉ. दीपक आचार्य,उप निदेशक

उदयपुर (सू०ज०) —   राजस्थान भर में इन दिनों स्वच्छ भारत मिशन की गतिविधियां परवान पर हैं। स्वच्छता की जरूरत और इसके पारिवारिक, सामाजिक एवं परिवेशीय प्रभावों से जुड़े विभिन्न आयामों के बारे में की समझ पा चुके ग्रामीणों और शहरवासियों में इस मिशन को लेकर व्यापक उत्साह पसरा हुआ है।

स्वच्छता के लिए जरूरी तमाम गतिविधियों के साथ ही गांवों को खुले में शौच मुक्त बनाने का जुनून ग्रामीणों में छाया हुआ है जिसके चलते ग्रामीणों में इस बात को लेकर आतुरता है कि उनका गांव भी ओडीएफ घोषित हो।  अब इसे ग्राम्य प्रतिष्ठा का प्रश्न माना जाने लगा है।

जन-जन तक पहुँचा संदेश

पिछले कुछ समय से लगातार विभिन्न माध्यमों से गाँवों और शहरों में स्वच्छता का संदेश पूर्ण यौवन के साथ संवहित हो रहा है। प्रदेश के हर क्षेत्र में वहाँ के लोक कलाकारों की टोलियों ने अंचल विशेष की बोली और भाषा-शैलियों में गीत-नृत्य, नुक्कड़ नाटक, उद्घोषों और तमाम प्रकार की साहित्यिक-सांस्कृतिक विधाओं का भरपूर उपयोग करते हुए स्वच्छ भारत मिशन का संदेश जन-जन तक पहुंचाया।

समन्वित भागीदारी का दिग्दर्शनODF Rajasthan (1)

मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे की पहल पर प्रदेश भर में राज्य सरकार के विभागों के साथ ही जन प्रतिनिधियों, स्वयंसेवी संस्थाओं, धार्मिक,सामाजिक, सेवाव्रती संगठनों, व्यवसायियों और समाजों के साथ ही हर वर्ग के लोगों, स्कूली बच्चों, बुजुर्गों तथा आम जन ने इसमें जो भागीदारी दर्शायी है वह प्रदेश के लिए शुभ संकेत है। इनके साथ ही विभिन्न संगठनों, आर्मी, एनसीसी, एनएसएस, स्काउट-गाइड आदि की भी भागीदारी उल्लेखनीय रही है।

बना जनता का अपना मिशन

सभी के समन्वित और अनवरत प्रयासों का ही परिणाम है कि आज राजस्थान भर में  स्वच्छ भारत मिशन जनता का अपना मिशन बना हुआ निरन्तर उपलब्धियों की ओर अग्रसर है। अकेले स्वच्छ भारत मिशन से संबंधित सम सामयिक संदेशमूलक नवसृजित साहित्य और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों का भण्डार हर क्षेत्र में नज़र आने लगा है।

लोक लहरियों ने जगायी चेतना

इसके साथ ही स्वच्छता से संबंधित प्राचीन उक्तियों और लोक साहित्य के माध्यम से भी आम जन में स्वच्छता के बारे में जागरुकता पैदा करने की दिशा में निरन्तर प्रयास जारी हैं। बड़ी संख्या में लोक कलाकारों की टीमें इन गतिविधियों के माध्यम से स्वच्छ भारत मिशन में अपनी सहभागिता दर्शा रही हैं।ODF Rajasthan (2)

इन परंपरागत प्रचार माध्यमों ने न केवल शहरों और कस्बों बल्कि दूरदराज के गांवों, पालों, फलों, मज़रों, ढाणियों और पहाड़ी क्षेत्रों से लेकर प्रदेश के सीमावर्ती अंचलों तक बेहतर माहौल खड़ा किया है।

नौनिहाल भी पीछे नहीं

इसी का नतीजा है कि राजस्थान में स्वच्छता के प्रति ऎतिहासिक लोक चेतना जगी है व लोग इस कार्य में स्वेच्छा और उत्साह से अपनी भागीदारी निभाने आगे आ रहे हैं। खासकर स्कूली बच्चों के माध्यम से यह संदेश लाखों घरों और परिवारों तक पहुंचा है। इस दिशा में स्कूलों में होने वाली प्रार्थना सभाओं, सांस्कृतिक कार्यक्रमों, वार्ताओं आदि जागरुकता गतिविधियों ने खासा संबल दिया है।

स्वेच्छा से आगे आ रहे गांव के गांव

स्वच्छता के विभिन्न कारकों के साथ ही गाँवों में खुले में शौच से मुक्ति पाने का अभियान परवान पर है। ग्रामीणों क्षेत्रों में लोगों को अब लग गया है कि इसके बिना सब कुछ प्रभावित होता है। गाँव की परिवेशीय स्वच्छता के लिए हर घर में शौचालय होने से जीवन में कई सारे फायदों की समझ ग्रामीणों में विकसित होने की वजह से इस मिशन को आशातीत सफलता प्राप्त हो सकी है।

समझ हुई विकसित

ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य की बुनियाद को मजबूत करने, घर से बाहर जाने पर जंगली जानवरों से सुरक्षा और किसी भी दुर्घटना या अनहोनी से बचने, घर की महिलाओं की इज्जत, बच्चों, बुजुर्गों, निःशक्तों एवं बीमारों के लिए सहूलियत, आकस्मिक वेग को रोके रखने से होने वाली बीमारियों से बचाव, बस्तियों के फैलाव और जंगलों की कमी के चलते दूर जाने में लगने वाले समय की बचत आदि कई विशेषताओं की वजह से यह मिशन जन-जन का अपना मिशन बन चला है।

आगे रहने की हौड़

इस मिशन में अब ग्रामीण स्वेच्छा से आगे आने लगे हैं और पूरे उत्साह से अपने-अपने क्षेत्र में शत-प्रतिशत स्वच्छता के लिए अनथक प्रयासों में जुटे हुए हैं। खुले में शौच से मुक्त गांव घोषित कराने का ज़ज़्बा अब ग्रामीणों में इस कदर हावी हो गया है कि ग्रामीण अपने घरों में शौचालय बनाने का काम जल्द से जल्द करा लेने के लिए जुटे हुए हैं।

सभी का मानना है कि दूसरे गांव ओडीएफ घोषित हों, उससे पहले यह गौरव उनके अपने गांव को मिलना चाहिए।  यह काम अब सीधे तौर पर गांव की प्रतिष्ठा से जुड़ गया है। ग्राम पंचायतें और ग्राम्य जन प्रतिनिधिगण भी इस मामले में आगे रहने की बाजी मारने को उत्सुक हैं।

महिलाओं की सराहनीय सहभागिता

 सरकारी मशीनरी, जन प्रतिनिधिगण और आम ग्रामीणों की आत्मीय सहभागिता मिलकर स्वच्छ भारत मिशन को ग्राम्यांचलों में मूर्त रूप दे रही है। इस कार्य में महिला जन प्रतिनिधियों और ग्राम्य महिलाओं की सराहनीय पहल देखी जा रही है। घरों में शौचालय निर्माण के साथ ही अब इनके लिए जल उपलब्धता के बारे में भी ग्रामीणों में सोच विकसित हुई है और वे इस दिशा में भी सक्रिय हुए हैं।

इन सुविधाओं ने गांवों में जल संरक्षण के प्रति भी जागरुकता जगायी है। जिन ग्राम पंचायतों को ओडीएफ घोषित किया जा चुका है वहां के बाशिन्दे अपने आपको गौरवान्वित महसूस करने लगे हैं। इसकी खुशी इन पंचायतों के आबाल-वृद्ध स्त्री-पुरुषों के चेहरे से अच्छी तरह पढ़ी जा सकती है। इन ग्राम पंचायतों ने जनचेतना और लोक भागीदारी से स्वच्छता गतिविधियों में सफलता का ऎतिहासिक गौरव हासिल कर लिया है।

हो रहा  प्रेरणा संचार

जो गांव ओडीएफ घोषित हो चुके हैं उनकी वजह से आस-पास के गांवों में भी व्यापक लोक चेतना का प्रवाह देखा जा रहा है। गांव के गांव अपने आपको ओडीएफ घोषित कराने के लिए उतावले हैं और इस लक्ष्य को पाने के लिए सामूहिक जिम्मेदारी के साथ काम हो रहे हैं। गांव-गांव में ग्रामीण इस बात को लेकर उत्साहित हैं कि वे भी इस महाभियान में अपनी भागीदारी निभाएं और ऎसा काम कर जाएं कि आने वाली पीढ़ियां भी याद रखें।

इसी तरह शहरी क्षेत्रों और कस्बों में भी घरों में शौचालय निर्माण और सामुदायिक सुविधालयों के निर्माण का दौर बना हुआ है। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि स्वच्छता के मामले में राजस्थान ने करवट ले ली है और इस मामले में आने वाले दिन प्रदेश के लिए गौरव प्रदान करने वाले साबित होंगे।

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