- December 23, 2014
गोलियों और मतदाता पत्रों के बीच वायुसेना की भूमिका
विधानसभा चुनावों को पांच चरणों में कराने की योजना बनाई गई थी। पहला चरण 25 नवम्बर को संपन्न हुआ था, जबकि अंतिम चरण 20 दिसंबर को संपन्न हुआ। जम्मू-कश्मीर में ऊंची पहाड़ी घाटियां हैं, जिनकी वजह से अधिकारियों को चुनावों का संचालन करने में दिक्कतें आती हैं। भारतीय वायु सेना इन दुर्गम और सुदूर क्षेत्रों में पहुंचने में बड़ी भूमिका निभाती है।
ईवीएम, चुनाव कर्मियों और सुरक्षाबलों को समय पर पहुंचाना और लाना एक बड़ी चुनौती है, जिसका समाधान आईएएफ परिवहन और हेलिकॉप्टर बेड़े की तैनाती के जरिए किया जाता है। हेलिकॉप्टरों का उपयोग चुनाव के संचालन के दौरान इनशान, नवापंछी और सोनदार, कारगिल जैसे सुदूर स्थानों और जांसकर तथा लद्दाख श्रृंखलाओं जैसी ऊंची और सुदूर स्थानों पर कर्मचारियों और उपकरणों को लाने और ले जाने के लिए किया गया था।
इस कार्य के लिए आईएएफ एमआई 17वी5, एएलएच और चीता हेलिकॉप्टरों का उपयोग किया गया। जिन वायुसेना कर्मचारियों ने इन उड़ानों का संचालन किया, उन्हें इस दायित्व ने उनके उड़ान कौशलों को प्रखर बनाने का अवसर मुहैया कराया। इन अभियानों की योजना काफी पहले बना ली गई थी और इसी वजह से इसी क्षेत्र में चुनावों से कुछ सप्ताह पहले के बचाव एवं राहत अभियानों की तुलना में उनके सामने कम बड़ी चुनौती आई। एक कनिष्ठ पायलट ने टिप्पणी की ‘चुनाव के दायित्व ने हमें इस घाटी और जमीन की पर्त को देखने का अवसर मुहैया कराया, जिसे हम आमतौर पर अपने उच्च दबाव वाले कार्यों के दौरान नहीं देख पाते।’