- July 23, 2015
गैर सरकारी संगठनों (एऩजीओ) की विदेशी निधियां :: एफसीआरए और एफसीसीआर के प्रावधान
सरकार को गुप्तचर ब्यूरो सहित विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों से एफसीआरए के उल्लंघन के बारे में जानकारी मिलती है तथापि आरोपित उल्लंघन कर्ताओं के विरूद्ध कार्रवाई आवश्यक जांच और कथित अधिनियम में आधारित उचित प्रकिया का अनुपालन करने के बाद शुरू की जाती है। किसी संघ के विरूद्ध इस अधिनियम के प्रावधानों का उल्लघंन करने की जानकारी मिलने के बाद त्वरित कार्रवाई की जाती है। एनजीओ/पंजीकृत सिविल सोसाइटीज/ और एफसीआरए 2010 के अधीन पूर्व अनुमति प्राप्त संगठनों से समय-समय पर जारी इस अधिनियम के प्रावधानों/ अनुदेशों का अऩुपालन करना अपेक्षित है।
अगर कोई एनजीओ /सिविल सोसाइटीज अधिनियम और नियमों के प्रावधानों का उल्लघंन करती है तो केवल विदेशी योगदान (विनियमन) अधिनियम 2010 के प्रावधानों के अनुसार कार्रवाई शुरू की जाती है। इस अधिनियम और नियमों का उल्लघंन करने के लिए दोषी एऩजीओ/ सिविल सोसाइटीज के विरूद्ध दंडात्मक कार्रवाई की गयी है। इन कार्रवाईयों में पूर्व संदर्भ श्रेणी में डालने पंजीकरण निलम्बित करने, खाता फ्रीज करने, पंजीकरण रद्द करने या मुकदमा चलाना शामिल है। कार्रवाई पर्याप्त अवसर देने और कानून की उचित प्रक्रिया अपनाने के बाद की जाती है। इसलिए सरकार द्वारा गैर सरकारी संगठनों सोसाइटियों का मुंह बंद करने का सवाल ही पैदा नहीं होता। सरकार आवेदन की प्रक्रिया और पंजीकरण की अनुमति, पूर्व अनुमति, प्रक्रिया को ऑनलाइन और उपभोक्ता के अनुकूल बनाने, पारदर्शिता और जवाब देही को बढ़ाने के लिए एफसीआरआर के कुछ विशेष प्रवाधानों में संशोधन करने की इच्छुक है। इन परिवर्तनों से व्यक्तियों और एफसीआर के अधीन गैर पंजीकरण संघों द्वारा विदेशी योगदान की प्राप्ति की बैंकों द्वारा तेजी से जानकारी देने और प्रभावी निगरानी में मदद मिलने की उम्मीद है। यह जानकारी गृह राज्य मंत्री श्री किरण रिजीजू ने डॉ. सुनील बालिराम गायक्वाड, डॉ. श्रीकांत एकनाथ शिंदे, श्री नागेन्द्र कुमार प्रधान, श्रीसुधीर गुप्ता, श्रीमती ज्योति धुर्वे, श्री अशोक शंकरराव चव्हाण, श्री आनंद राव अदसूल, श्रीरामचरित्र निषाद, श्री विनायक भाऊराव राउत, श्री गजानन कीर्तिकर, कुंवर हरिबंश सिंह, श्री अदलराव पाटिल शिवाजी राव, श्री भीमराव बी पाटिल, श्री राहुल शेवले, श्री बी सेनगुट्टूवन, श्री धर्मेन्द्र यादव, श्री शिरांग अप्पा बरने और डॉ. पी वेणुगोपाल और श्री रामचरित्र निषाद तथा श्री मती वनारोजा आर द्वारा दो अलग-अलग प्रश्नों के लिखित उत्तरों में दी।