- July 23, 2017
गिरफ्तारी शुदा व्यक्ति के विधिक अधिकारों की रक्षा करना अधिवक्ताओं का दायित्व
जयपुर———राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधीश एवं राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष श्री के.एस. झावेरी ने कहा कि कोई भी गिरफ्तारी शुदा व्यक्ति को प्रथम गिरफ्तारी से लेकर अन्वीक्षा पूरी होने तक सक्षम विधिक सहायता से वंचित नहीं रहना चाहिए उनके विधिक अधिकारों की रक्षा करना अधिवक्ताओं का दायित्व है।
श्री झावेरी ने यह बात शनिवार को जयपुर में एक दिवसीय राज्य स्तरीय बेल/रिमांड अधिवक्तागण के प्रशिक्षण कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि हमारा संविधान प्रत्येक नागरिक को व्यक्तिगत सुरक्षा एवं व्यक्तिगत स्वतन्त्रता की गांरटी प्रदान करता है जिसके तहत प्रत्येक व्यक्ति का विधिक अधिकार है कि गिरफ्तारी के समय उसके मानव अधिकारों का उल्लंघन नहीं हो तथा उसे अपने बचाव के लिए सक्षम विधिक सहायता प्राप्त हो।
उन्होंने कहा कि प्रत्येक अभियुक्त को गिरफ्तारी के समय और उसके पश्चात न्यायालय में पेश करने पर अपने बचाव के लिए अपना पक्ष प्रस्तुत करने, रिमाण्ड का विरोध करने या जमानत पर छूटने के लिये अधिवक्ता की सेवाओं की आवश्यकता रहती है, ऎसे में बेल अधिवक्ताओं को अपनी भूमिका निभानी चाहिए।
इस अवसर पर राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधीश एवं राजस्थान उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति, जोधपुर के अध्यक्ष श्री जी.के.व्यास ने बताया कि जो अपराधी न्यायालय के समक्ष लाया जाता है, वह अपनी बात विधिक तौर पर समक्ष रखे, इसकी जिम्मेदारी अधिवक्ताओं की होती हैै।
प्रशिक्षण कार्यक्रम में राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधीश एवं राजस्थान उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति, जयपुर के अध्यक्ष श्री मोहम्मद रफीक ने कहा कि राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने न्यायिक एवं कार्यपालक मजिस्ट्रेट न्यायालयों के साथ-साथ आवश्यकतानुसार सेशन न्यायालयों में भी बेल/रिमाण्ड अधिवक्ता नियुक्त करने के निर्देश दिए हुए है।
उन्होंने कहा कि इस कार्यशाला में गिरफ्तार शुदा व्यक्ति की प्रथम गिरफ्तारी से लेकर अन्वीक्षा पूरी होने तक की विधिक सहायता सहित विभिन्न न्यायिक प्रक्रियाओं की जानकारी दी जाएगी।
इससे पहले कार्यक्रम में अतिथियों द्वारा बेल/रिमांड एड्वोकेट्स के विषय पर प्रकाशित पुस्तक का विमोचन भी किया गया। कार्यक्रम में आयोजित विभिन्न सत्रों में लीगल सर्विस टू ए पर्सन इन कस्टडी, लीगल प्रोविजन इन कॉन्सट्टीयूशन, कोड ऑफ क्रिमिनल प्रसीजर, रोल ऑफ कोटर्स/जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड, रोल्स एण्ड रेस्पोन्सिबिलिटिज ऑफ बेल/रिमांड एडवोकेटस् सहित विभिन्न विषयों पर चर्चा की गई।
कार्यक्रम में राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधिपतिगण, प्रदेश के सभी जिलों के बेल/रिमाण्ड अधिवक्तागण, राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, सचिवालय व राजस्थान उच्च न्यायालय की रजिस्ट्री के पदाधिकारीगण, न्यायिक, प्रशासनिक व पुलिस अधिकारीगण, सहित विभिन्न अधिवक्ताओं ने भाग लिया। कार्यक्रम के अंत में राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव श्री एस.के.जैन ने सभी को धन्यवाद दिया।