खरबूजा को देख कर खरबूजा रंग बदलता है

खरबूजा को देख कर खरबूजा रंग बदलता है

बैतूल ( रामकिशोर पंवार / लोकदेश) , कल तक बैतूल के पूर्व विधायक एवं प्रदेश भाजपा कोषाध्यक्ष हेमंत खण्डेलवाल से लेकर राज्य शिक्षा केन्द्र के संचालक मण्डल के सदस्य एवं माध्यमिक शिक्षा मण्डल परिषद के सदस्य रहे मोहन नागर के आगे- पीछे घुमने वाले अशोक पराड़कर विधानसभा चुनाव के नतीजो के पहले तक बैतूल विधायक के बायें कहलाते थे, लेकिन जैसे ही नतीजे सामने आए अचानक अशोक पराड़कर ने गिरगीट की तरह रंग बदला और सीधे निलय डागा के चरणो में चरण वंदन करने पहुंच गए।

अब जैसे ही मुख्यमंत्री के रूप में कमलनाथ ने शपथ ली अशोक पराड़कर मुख्यमंत्री के दायें हो गए। पूरे जिला शिक्षा केन्द्र में सीएम कमलनाथ के दायें बन कर अपनी धौंस जमाने वाले अशोक पराड़कर अब बैतूल कलैक्टर को भी ठाठस बंधाने में लगे है कि वे भले ही भाजपा के एजेंट के रूप में काम करने के लिए बदनाम हुए तो क्या हुआ उनको भी कमलनाथ का मुरीद बना कर उनकी बैतूल पोस्टींग को अंगद के पांव की तरह मजबूती प्रदान करने का दम भरने लगे।

जानकार सूत्रो ने बताया कि अशोक पराड़कर का नाम प्रदेश के उन गिने जाने आरएसएस से जुड़े स्वंय सेवको में आता है जो संघ के लिए सरकारी नौकरी में रहते हुए भी संघ के अघोषित प्रचारक कहलाते है।

भारत भारती स्थित मोहन नागर के भारत – भारती शिक्षा केन्द्र में मोहन भागवत की प्रथम पंक्ति में आगवानी करने वाले पाढुर्णा निवासी अशोक पराड़कर मूलत: छिन्दवाड़ा जिले की पाढुर्णा तहसील के निवासी है। उनका संतरा का बगीचा और व्हीआईपी कृषि फार्म हाऊस में वे उनके अनुसार कई बार कमलनाथ को दावत दे चुके है तथा उनका कमलनाथ से परिवारीक रिश्ता है।

कमलनाथ को मुख्यमंत्री बने चार दिन भी नहीं बीते कि ऐसे – ऐसे चेहरे सामने आने लगे है जो कल तक बैतूल जिले के पांचो विधानसभा सीटो पर कांग्रेस की जड़ो में मठा डालने का काम करते थे। आज सत्ता परिवर्तन के बाद अपने ऊपर लटकी जालसाजी की तलवार से बचने के लिए कांग्रेस और कमलनाथ से करीबी बताने से बाज नहीं आ रहे है।

सरकारी दस्तावेज एवं सीएम हेल्प लाइन तथा राज्य निर्वाचन आयोग में दर्ज एक दर्जन से अधिक शिकायतो में भाजपा के लिए काम करने वाले अशोक पराड़कर को मध्यप्रदेश सरकार में बैतूल जिले में आर एस एस और भाजपा संगठन के सबसे अधिक विश्वसनीय अधिकारियों में जाना एवं पहचान जाता रहा है।

बीते वर्ष 10 जून 2015 को बैतूल जिले में परियोजना अधिकारी जिला शिक्षा केन्द्र पर उनकी नियुक्ति के बाद भी जब इस बार विधानसभा के चुनाव के पूर्व उनके तीन साल पूरे हो जाने के बाद भी उनका तबादला चुनाव आयोग से लेकर जिला प्रशासन बार – बार शिकवा – शिकायतो के बाद भी बैतूल से अन्य जिले में नहीं करवा सका।

इस वर्ष 27 नवम्बर 2018 को मध्यप्रदेश शासन के स्कूल शिक्षा विभाग मंत्रालय वल्लभ भवन भोपाल में पदस्थ स्कूल शिक्षा विभाग की अवर सचिव सुश्री कलावति उइके ने शासकीय पत्र क्रमांक – 1474 /2018/20-3 दिनांक 27/11/2018 के तहत आयुक्त लोक शिक्षण विभाग मध्यप्रदेश शासन भोपाल को पत्र लिख कर आदेशित किया कि अशोक पराड़कर तात्कालिक प्राचार्य अशासकीय राजेन्द्र उच्चतर माध्यमिक शाला कामठीकंला विकासखण्ड पाढुर्णा जिला छिन्दवाड़ा के विरूद्ध कार्यवाही करके उन्हे की गई कार्यवाही से अवगत कराये।

इस पत्र की प्रति जिला छिन्दवाड़ा कलैक्टर को भी भेजी गई है क्योकि इसी वर्ष 4 मई 2018 को छिन्दवाड़ा जिला कलैक्टर ने शासकीय पत्र क्रमांक 4951/ शिक्षा / अनु/ 2018 दिनांक 4/5/2018 को प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा विभाग मंत्रालय वल्लभ भवन भोपाल को एक पत्र के साथ श्री अशोक पराड़कर की वर्ष 1998 से 2000 के बीच हुई ( दिनांक 28 /07 / 1989 में अशासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय प्राचार्य पद पर की गई सीधी भर्ती प्रक्रिया में आवेदक पात्रता नहीं रखता था।

आवेदन के समय प्रस्तुत दस्तावेज / प्रमाण पत्र भर्ती नियम एवं आवश्क्य प्रमाण पत्रो के अनुकूल नहीं पाए गए) नियुक्ति / संविलियन की पात्रता नहीं रखते है। इसलिए जिला कलैक्टर छिन्दवाड़ा का जांच के संदर्भ में अभिमत यह है कि उक्त संविलियन निरस्त कर अशोक पराड़कर द्वारा प्रस्तुत फर्जी दस्तावेजो एवं कूट रचित साक्ष्यो एवं प्रमाण पत्रो के आधार पर उनके विरूद्ध कार्यवाही की जाए।

पूरे मामले में छिन्दवाड़ा जिला कलैक्टर की जांच प्रतिवेदन रिर्पोट बीते मई माह से नवम्बर तक फाइलो में कहीं दब कर रह गई। इस बीच एक बार फिर विभाग को पूरे मामले को जबलपुर हाईकोर्ट में ले जाने के संदर्भ में चेतावनी पत्र मिला उसके बाद अचानक विभाग में खलबली मच गई। अवर सचिव स्कूल शिक्षा विभाग सुश्री कलावति उइके का पूरे मामले को लेकर एक बार फिर पत्राचार किए जाने के बाद परत दर परत पूरा मामला सामने आ गया।

इधर पूरे मामले की सूचना कलैक्टर छिन्दवाड़ा एवं जिला शिक्षा अधिकारी छिन्दवाड़ा को भेजी गई है। अब देखना बाकी है कि पूरे मामले में अवर सचिव स्कूल शिक्षा विभाग का ताजा फरमान क्या रंग लाता है।

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