गायों की राजनीति

गायों की  राजनीति

के०के०झा— देश में गायों पर की जा रही राजनीति कष्टप्रद है | जिसका वर्णन नहीं किया जा सकता हैं, दरअसल जब से केंद्र में बीजेपी की सरकार बनी है तब से यही कहा जा रहा हैं की देश में गौ- रक्षकों की संख्या में काफी वृद्धि हुई हैं |
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गौ-तस्कर से गौ -माता को बचाने के लिए गौ -रक्षक दल प्रत्येक राज्य में कानून को अपने हाथ में लेकर गौ- तस्कर को दिन दहाड़े मौत के घाट उतार रहे हैं| अब सवाल अलवर,राजस्थान की है| जब अलवर में कोई गौ तस्कर नही था तो गौ तस्करों कि पीटाई क्यों की गई जिसके कारण एक व्यक्ति की मृत्यु हो गई | कानून को अपने हाथ में लेने वाले गौ -तस्कर देश और समाज के लिए खतरे की घंटी हैं|

गाय को सिर्फ राजनैतिक मुद्दा बनाया गया हैं लेकिन देखभाल के लिये कोई इंतजाम नही है. गायों कि संख्या के मुकाबले गोशालाएं भी गिनती भर हैं |

इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कहना है कि देश में गौ- रक्षा के नाम पर कुछ लोग दुकान चला रहें हैं ऐसे कथित आदमी बर्दाश्त नही किये जायेगें | इसके बावजूद भी गौ-तस्करी रूक नही रहा हैं और न ही गौ -तस्कर द्वारा कानून से खिलवाड़ ही रूक रहां हैं.

एक तरफ गौ- रक्षक, तस्करों से तो गाय को बचा लेता हैं तो दूसरी तरफ भूख से उस गाय की मृत्यु हो जाती है| करोड़ो रूपया खर्च किये जाने के बावजूद भी कोई सार्थक परिणाम सामने नहीं आ रहा हैं|

गाय के लिए जो जमीन सरकार आवंटित करती है , उसे भी भू-माफिया अपने कब्जे में लेकर अपना अशियाना खड़ा कर लेता हैं जिससे कंपकंपाती ठंड में या कड़ी धूप में,खुले आसमान नीचे गायें पॉज करती हुई देखी जा सकती है.

गायें राजनीतिक मुद्दा नही बननी चाहिये क्योंकि देश में हिंदू हो या मुस्लिम या ईसाई सभी के घर के बच्चे का आहार दूध ही है.

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