• January 28, 2015

गांव के पडाव पर अधिकारी — शिक्षा राज्यमंत्री

गांव के पडाव पर अधिकारी — शिक्षा राज्यमंत्री

जयपुर – शिक्षा राज्य मंत्री प्रो. वासुदेव देवनानी ने साक्षरता एवं सतत् शिक्षा विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे प्रेरकों से व्यक्तिगत संवाद रखें। उन्होंने कहा कि जब भी कोई अधिकारी गांव-ढ़ाणी में स्थित साक्षरता एवं सतत शिक्षा केन्द्र का निरीक्षण करने जाए तो वहां पर सतत् शिक्षा के प्रसार में लगे प्रेरकों से व्यक्तिगत सम्पर्क करें। इनकी बैठकें लें और आवश्यकता पड़े तो रात्रि विश्राम भी गांव में ही करें। उन्होंने कहा कि साक्षर भारत और राज्य में सतत् शिक्षा के उद्देश्य को इसी से सही मायने में पूरा किया जा सकेगा।

श्री देवनानी मंगलवार को शासन सचिवालय स्थित अपने कक्ष में साक्षरता एवं सतत् शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सरकार साक्षरता  एवं सतत् शिक्षा में जब 403 करोड़ का व्यय कर रही है तो जरूरत इस बात की भी है कि औपचारिक शिक्षा से किन्हीं कारणों से वंचित रहे लोगों को शत-प्रतिशत साक्षर करने के लिए अधिकारी परिणाम भी अच्छा दें। उन्होंने कहा कि इस संबंध में किसी भी प्रकार की कोताही को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने साक्षरता एवं सतत शिक्षा के लिए किए जा रहे विभाग के प्रयासों की समीक्षा करते हुए कहा कि विभाग आंकड़ों में ही नही व्यवहार में साक्षरता एवं सतत् शिक्षा के प्रसार का कार्य करे।

शिक्षा राज्य मंत्री ने कहा कि वह स्वयं अब हर तीन माह में विभाग द्वारा किए जा रहे कार्यों का मूल्यांकन करेंगे। उन्होंने पंचायत समितियों में स्थापित लोक शिक्षा केन्द्रों को प्रभावी किए जाने पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि गांव-ढाणी में साक्षरता एवं सतत् शिक्षा के लिए जो केन्द्र स्थापित हैं, उनमें समाज को संस्कारित करने वाली अच्छी पुस्तकों की उपलब्धता भी अधिकारी सुनिश्चित करें।

प्रो. देवनानी ने खासतौर से प्रदेश में महिला साक्षरता पर गंभीर होकर प्रयास किए जाने पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि नवसाक्षरों और निरक्षरों में आवश्यक कौशल विकास प्रदान करने के साथ ही नव साक्षर वयस्कों को सतत् शिक्षा के अधिकाधिक अवसर प्रदान करने के लिए प्रदेश में ठोस एवं व्यावहारिक योजना पर कार्य किया जाए। उन्होंने कहा कि समाज को शत-प्रतिशत साक्षर किए जाने के साथ ही महिलाओं को आत्मनिर्भरता के अवसर प्रदान करने की भी इस समय सर्वाधिक जरूरत है। उन्होंने कहा कि शिक्षा जब स्वावलम्बन से जुड़ेगी तो किन्ही कारणों से औपचारिक शिक्षा से वंचित अपने आप ही शिक्षा के लिए आगे आएंगे। उन्होंने इस संबंध में महिलाओं को प्रेरित किए जाने के अधिकाधिक प्रयास भी विभाग द्वारा किए जाने पर जोर दिया।

उन्होंने साक्षरता एवं सतत शिक्षा विभाग द्वारा किए जा रहे कार्यों की समीक्षा करते हुए बुनियादी साक्षरता मूल्यांकन परीक्षा में जिलेवार भाग लेने वाले नव साक्षरों के बारे में भी जानकारी प्राप्त की। इससे पहले बैठक में साक्षरता एवं सतत शिक्षा विभाग की निदेशक श्रीमती निवेदिता मेहरू ने विभाग की गतिविधियों के बारे में जानकारी दी।

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