- August 22, 2015
गतांक से आगे : अजीम प्रेम जी की कंपनी विप्रो के ठगों ने विकलांग को भी नहीं बख्शा ————?
सिंगरौली (नीरज गुप्ता )- दिनांक 26/11/2013 को ईमेल से कंपनी को एक महीने का समय देते हुआ कहा गया की उक्त समय में मेरी और मेरे दोस्तों की ज्वाइनिंग नहीं हुई तो भारत सरकार से अनुरोध किया जाएगा। तदुपरांत दिनांक 11/12/2013 को ईमेल के द्वारा कंपनी प्रबंधन ने मुझे चेतावनी दिया की अपने प्रमाण पत्र को प्रमाणित करे। मैंने इसकी सत्यापन दिनांक 12/11/2013 को ईमेल के द्वारा दिया।
दिनांक 24/11/2013 को कंपनी की ईमेल-आईडी (helpdesk.recruitment@wipro.
मैंने कंपनी से प्रमाणित करने के लिए कहा की जिस ईमेल-आईडी से ऑफर लेटर मुझे मिला है वह गलत कैसे है ? इस पर कंपनी ने मुझे नजदीक के पुलिस स्टेशन में FIR करने के लिए कहा ?
मुझे एक जानकर ने सलाह दी की “इसे ” कंपनी के कम्पलेंन बोर्ड की साइट पर डालकर जानकारी प्राप्त करे। दिनांक 18/02/2014 को कंपनी के कम्पलेंन बोर्ड में सारी जानकारी भेजने पर कंपनी प्रबंधन के द्वारा दिनांक 19/02/2014 को जानकारी दिया गया की गलत ईमेल-आईडी किस साइट से बनती है ? वही दूसरी तरफ दिनांक 19/02/2014 को कंपनी प्रबंधन ने ईमेल-आईडी (acharya.sourav@yahoo.in) से मेरा कलर प्रमाण पत्र की छाया कॉपी मांगी | दिनांक 20/02/2014 मैंने रंगीन प्रमाण पत्र भेजा।
जानकारी साझा करने के लिए कंपनी की कम्पलेंन बोर्ड की साइट के द्वारा एक एस0ऍम0एस0 प्राप्त हुआ, जिसमे एक फेसबुक की लिंक था इस लिंक पर मुझसे मोबाइल देने के लिए कहा गया ? मैंने मोबाइल नं0 07771822877 और ईमेल-आईडी neeraj.gupta615@gmail.com , फेसबुक पर साझा कर दिया | कंपनी के मोबाइल नं0 09051923234 से एक कॉल आयी, इस काल पर बताया गया की मैं (सौरभ आचार्या) हूँ और आलोक कुमार शांडिल्य नाम का एक संदिग्ध मिला है जो पकड़ा गया है | मैंने कंपनी के कम्पलेंन साइट से जानकारी मांगी की आलोक कुमार शांडिल्य जो पकड़ा गया है क्या सही है ? कंपनी के कम्पलेंन साइट से दिनांक 21/02/2014 को इसे सत्यापित किया। दिनांक 24/02/2014 को ईमेल-आईडी acharya.sourav@yahoo.in से एक ईमेल मिला , जिसमे मेरे ज्वाइनिंग का समय (Documentation Date – 17th March, 2014 and Induction Date – 20th March, 2014 ) निश्चित था |
कंपनी की कम्पलेंन बोर्ड के फेसबुक साइट से ये बताया गया की मुदुल घोष नाम का एक और संदिग्ध पकड़ा गया है। ये सारी प्रतिक्रिया CBI कोलकाता ब्रांच के द्वारा किया जा रहा है | यह भी बताया गया की आलोक कुमार के द्वारा 200-700 नौजवानों की और मुदुल घोष के द्वारा 6000 नौजवानों के भविष्य ख़राब किया जा चूका है |
इस समूह में सम्मिलित कुछ और नाम जो इस प्रकार है –
अलोक कुमार शांडिल्य धनबाद/ कोलकता (200-700 बेकसूर नौजवानों की भविष्य ख़राब की है)
मृदुल घोष, कोलकता/दिल्ही /पुणे/मुम्बई (6000 बेकसूर नौजवानों की भविष्य ख़राब की है)
मनोज कुमार, धनबाद / कोलकता (अभी नहीं पकडे गए)
आशीष चन्द्र, धनबाद / कोलकता (अभी नहीं पकडे गए)
सौरभ आचार्या ने मुझे नजदीकी पुलिस स्टेशन में FIR करने के लिए कहा। जिससे की प्रक्रिया को मजबूती मिले | मैंने पुलिस स्टेशन में जाकर थाना प्रभारी को सारी जानकारी दी | इस पर थाना प्रभारी ने कहा की अगर CBI कार्य कर रही है तो वो कुछ नहीं कर सकते है |
सौरभ आचार्य ने मुझे जानकारी दी की मुदुल घोष के राजनीतिक पार्टी से सम्बन्ध होने के कारण इस प्रक्रिया में कार्य करने में अड़चन आ रही है | दोनों के बीच वार्ता की रिकॉर्डिंग मैंने यू – टूयब पर अपलोड कर दिया है |
मेरे दोस्त पवन नारवल के ईमेल-आईडी (Pk.narwal.14@gmail.com) पर दिनांक 27/02/2014 इस ईमेल-आईडी resourcing.infotech@wipro.com से पुनः सिनर्जी अकाउंट (Synergy User Name :599080) आया | जो साइट (https://synergy.wipro.
दिनांक 11/03/2014 , पवन नारवल के ईमेल-आईडी पर एक ईमेल-आईडी (mahima.hegde@wipro.com) से कॉल लेटर (Contact Person: Dhruv) आया | लेकिन जब मैंने इस के बारे में 13/03/2014, ईमेल-आईडी (helpdesk.recruitment@wipro.
अब मुझे यह समझ में आ चुका था की विप्रो कंपनी के प्रबंधक का ही यह षडयंत्र है जो बेरोजगारो की जिंदगी से खेल रहा है। मै सारी साक्ष्यों का वीडियो बना
Inside Story of Wipro Company
https://www.youtube.com/watch?
Who is give me offer Latter by E-mail
https://www.youtube.com/watch?
Conversation between Neeraj Gupta and Wipro Company by E-mail
https://www.youtube.com/watch?
About Complain Board of Wipro Company Side
https://www.youtube.com/watch?
https://www.youtube.com/watch?
https://www.youtube.com/watch?
Convesation between Neeraj Gupta and aloke shandilya (Voice Record)
https://www.youtube.com/watch?
Saurev Acharya was connected me on Complain Boad of Wipro Company(Voice Record)
https://www.youtube.com/watch?
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https://www.youtube.com/watch?
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https://www.youtube.com/watch?
https://www.youtube.com/watch?
https://www.youtube.com/watch?
https://www.youtube.com/watch?
Conversation between Me and CSP Singrauli
https://www.youtube.com/watch?
Conversation between me and cyber crime cell
https://www.youtube.com/watch?
https://www.youtube.com/watch?
Conversation between me and Ajay Singh, who is accepting to responsible back to give me my loss carrier
https://www.youtube.com/watch?
https://www.youtube.com/watch?
https://www.youtube.com/watch?
https://www.youtube.com/watch?
मैं नौकरी की तलाश करने लगा | 18/06/2014 को एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी मिली | ज्वाइनिंग के बाद अगले ही दिन कुछ लोग मेरा पीछा करने लगे | जिससे अपने जान को अनहोनी देखकर , मैंने एक लेटर, जो पहले से बनाया हुआ था, अपने एक दोस्त को देते हुए कहा की इसे प्रधानमन्त्री को निबंधित डाक से भेज देना। उसके बाद से मै छुप-छुपा कर वहाँ से भाग खड़ा हुआ | मेरे उस दोस्त ने दिनांक 19/06/2014 को माननीय प्रधान मंत्री को पत्र रजिस्ट्री कर दिया |
दिनांक 02/07/2014, सायबर क्राइम सेल को कोरियर द्वारा बरगवां से पत्र प्रेषित किया है | साइबर क्राइम सेल के द्वारा एक शिकायत क्र0 – C-2621/DCP/EOW जो ईमेल-आईडी (cybercell.eow12@gmail.com) से प्राप्त हुआ | इस प्रकरण पर अभी तक कुछ कार्यवाई नहीं हुई है जिसके बाद 02/11/2014 को माननीय प्रधान मंत्री जी को पुनः स्मार पत्र देकर ध्यान आकर्षित करने का प्रयास किया। लेकिन कोई कार्यवाई नहीं हुई है जिसके कारण हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाने पर मजबूर हूँ।
मैंने शोशल साइट पर इसकी जानकारी पोस्ट कर दिया। कंपनी को जब इसका पता चला की मै HC की दरवाजा खटखटाने जा रहा हूँ तो 12/06/2015 को एक जय हिन्द न्यूज़ शोशल मीडिया ने मेरे फेसबुक की मेरे प्रोफाइल से फ्रेंडशिप कर मेरी मदद करने की बात की। उसने एक मोबाइल नं0 09540520191 (अजय सिंह) और एक ईमेल-आईडी jaihind57@gmail.com दिया | उसने कहा की सभी जानकारी साक्ष्यों के साथ भेजें। मोबाइल पर संपर्क में रहे।
जब मैंने बातें की तो अजय सिंह ने खरीद-फरोख्त करने की कोशिश किया | मैंने अजय सिंह को साफ-साफ इंकार करते हुए कहा की मै पैसे के लिए नहीं बल्कि देश के बेकसूर नौजवानों की भविष्य ख़राब के विरुद्ध हूँ और इस उदेश्य से लड़ाई लड़ रहा हूँ | इसके बाद जय हिन्द न्यूज़ शोशल मीडिया ने सारी साक्ष्यों को हटा दिया। मैंने उसके ईमेल-आईडी से फेसबुक की साइट में सर्च कर उसकी सारी साबुत लेकर पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों को ईमेल से भेज दिया। जय हिन्द न्यूज़ शोशल मीडिया को चेतावनी दिया की अगर उसने अजय सिंह के बारे में नहीं बताया तो सारी साक्ष्यों को हाईकोर्ट में पेश करूँगा |
मनोज वशिष्ट एनकाउंटर मामले में दिल्ली पुलिस के दोगला चेहरा
विप्रो कंपनी के द्वारा अपने भविष्य को खोने की शिकायत पर मैंने 02/07/2014 दिल्ली साइबर क्राइम सेल, मंदिर मार्ग , पत्र भेजा। 09/07/2014 साइबर क्राइम सेल ने ईमेल से शिकायत क्र0 C-2621/DCP/EOW , बताया गया की पुलिस अधीझक सिंगरौली, मध्य प्रदेश को शिकायत भेजा गया है। साइबर क्राइम सेल ने एक और ईमेल से बताया की उक्त शिकायत की एक और शिकायत क्र0 PC-2621/14&DY-651/DCP/EOW दिनांक 19/01/2015, गाँधी नगर गुजरात के पुलिस अधीक्षक को भेजा गया है। एक ही शिकायत की दो अलग-अलग शिकायत नंबर मिला तो दिल्ली पुलिस कमिश्नर भीम सेन बस्सी को ईमेल से यह जानकारी दी गई। उन्होंने मामले की जाँच की बात कही।
मैंने हाई कोर्ट में एक याचिका दायर किया। , दिनांक 15/05/2015 को ईमेल के माध्यम से साइबर क्राइम सेल, दिल्ली पुलिस कमिश्नर भीम सेन बस्सी और समस्त पुलिस के वरिष्ठ अधिकारीयों को जानकारी दी गई। विप्रो कंपनी के द्वारा सलग्न चार लोगों की जानकारी इस प्रकार हैं –
> अलोक कुमार संधिल्या, धनबाद/कोलकता (200-700 नौजवानों की भविष्य)
> मृदुल घोष, कोलकता/दिल्ही/पुणे/मुम्बई (6000 नौजवानों की भविष्य)
> मनोज कुमार, धनबाद/कोलकता (अभी नहीं पकडा गया)
> आशीष चन्द्र, धनबाद/कोलकता (अभी नहीं पकडा गया)
मुझे मीडिया के कुछ TV चैनल के माध्यम से ये जानकारी मिली की दिल्ली की स्पेशल टास्क फ़ोर्स के द्वारा मनोज वशिष्ट नाम के व्यक्ति को मार दिया गया है। जिसकी जानकारी मेरे द्वारा दिल्ली के समस्त पुलिस अधिकारी से मांगने पर नहीं दिया गया। जिस मनोज वशिष्ठ को मारा गया है वो मेरे केश के सम्बंधित है या नहीं ? उसके विपरीत पुलिस के आला अधिकारियों के द्वारा बयान आया की इस तरह का कोई भी शिकायत उनके पास नहीं है और ये बताया गया की मनोज बशिष्ट के नाम की बहुत सी अपराधिक मामले बहुत से पुलिस अधिकारियो के पास है। लेकिन ये छुपा लिया गया की मैंने भी साइबर क्राइम सेल को इस तरह की शिकायत किया था। जिसकी शिकायत नंबर उनके द्वारा दिया गया है इससे साफ होता है की इन अपराधियों के साथ में पुलिस के आला अधिकारी भी लिप्त है और मनोज वशिष्ट को मारने की उनकी कोई भी मंशा न थी। वो आकस्मिक ही हो गया और मनोज वशिष्ट मारा गया।
कुछ ऐसे तथ्य जिससे साफ होता है की कहीं न कहीं मनोज वशिष्ट मेरे केश में संलिप्त है –
1. विप्रो कंपनी के कम्प्लेन बोर्ड के बयान में मनोज कुमार का नाम होना।
2. मनोज वशिष्ट के परिजन और दिल्ली पुलिस के मुताबिक भारत के बहुत से बेकसूर नौजवानों के साथ धोखाधडी में वह संलिप्त है। मेरे साथ जिन लोगो ने धोखाधडी किया है उसमे मनोज कुमार का होना।
3. मनोज वशिष्ट को दिल्ली पुलिस की साइबर क्राइम सेल की टिम के द्वारा 29 फरवरी और 16 मई को पकड़ने प्रयास।
4. विप्रो कंपनी के कम्प्लेन बोर्ड के द्वारा ये बताया जाना की मनोज कुमार धनवाद का है और मनोज बशिष्ट धनवाद के आसपास का है।
5. दिनांक 15/05/2015 को साइबर क्राइम सेल, दिल्ली CP भीम सेन बस्सी और समस्त वरिष्ठ अधिकारियो को मेरे द्वारा ये बताना की मैंने इस केश को HC में दयार किया है। साइबर क्राइम सेल के द्वारा दिनांक 16/05/2015 को मनोज वशिष्ट को पकड़ने की कोशिश करना।
इन सब तथ्यों से स्पष्ट होता है की मनोज वशिष्ट का मेरे केश से कही ना कही सम्बन्ध है। जिसकी जानकारी मैंने साइबर क्राइम सेल और दिल्ली पुलिस कमिश्नर भीम सेन बस्सी से मांगी थी |
संपर्क :
गृह संख्या : 165, गांव – बरगवां , पोस्ट – डागा
जिला सिंगरौली (म0 प्र0) – 486886
फोन : 7771822877