- December 26, 2015
क्रिसमस का दिन शिल्प कला के नाम
उदयपुर -पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से आयोजित राष्ट्रीय हस्तशिल्प एवं लोक कला उत्सव‘‘शिल्पग्राम उत्सव-2015’’ में शुक्रवार को लोगों ने क्रिसमस की छुट्टी शिल्पग्राम में आये शिल्पकारों और कलाकारों के साथ व्यतीत की। हाट बाजार में खरीद-फरोख्त ने जोर पकड़ा।
शिल्पकारोें को शिल्प उत्पाद व कलात्मक नमूने का प्रदर्शन करने तथा उनके विक्रय का अवसर उपलब्ध करवाने के ध्येय से आयोजित शिल्पग्राम उत्सव में पांचवे दिन मेले में देर शाम तक लोगों का जमघट लगा रहा।
शिल्पग्राम में सभी शिल्प क्षेत्रों में लोगों ने खरीददारी के सथ मेले का आनन्द उठाया। तेज सर्दी के चलते दोपहर में शिल्पग्राम में खूब भीड़ उमड़ी। हाट बाजार के वस्त्र संसार में लोग गर्म व ऊनी परिधान तलाशते नज़र आये। हैण्डलूम से जुड़े हस्तशिल्पियों ने बड़े चाव से अपने कलात्मक नमूने दिखाये। हाट बाजार में सर्वाधिक भीड़ कच्छी शॉल, पश्मीना शॉल, शरीर को ताप देने वाली ऊनी बंडी, गर्म टोपी, हैण्ड ग्लव्ज़, ऊनी स्वेटर आदि की दूकानों पर देखी गई वहीं आज के फैशन में चलन में आई वूलन स्टॉल, मोजे इत्यादि की खूब बिक्री हुई। हाट बाजार में ही जूट के बने उत्पाद लोगों के आकर्षण का केन्द्र रहे।
शिल्पग्राम में ड्राई फ्लॉवर्स
शिल्पग्राम में चल रहे दस दिवसीय शिल्पग्राम उत्सव में भारत के पूर्वोत्तर राज्य असम से आये ड्राई फ्लॉवर दर्शकों को लुभा रहे हैं। पूर्वाचंल में आसानी से उपलब्ध शोलापीथ से तराशे गये फूलों को शिल्पकारों ने खूबसूरत रंग दिये हैं। उन्हें बाकायदा गुलदस्ते में सजा कर शिल्पग्राम में विक्रय किया जा रहा है।
शिल्पकारों ने बताया कि लोग इनके आकर्षक रंगों का देख कर एक बारगी तो अचरज में पड़ जाते हैं फिर करीब से जाने पर इन फूलों की सुंदरता को निहारते व छू कर देखते हैं। ये फूल इतने कीमती भी नहीं कि इन्हें घर ले जाने में परेशानी हो। इसके अलावा इन फूलों का रंग कई महीनों तक बरकरार भी रहता है।
शिल्पग्राम उत्सव में लोकानुरंजन परवान पर
जुगाड़ बैण्ड और राई ने रंग जमाया, मिमिक्री ने हंसाया, पंथी ने लुभाया
उदयपुर, 25 दिसम्बर/शिल्पग्राम उत्सव में मुख्य रंगमंच ‘‘कलांगन’’ पर शुक्रवार शाम आठ राज्यों के कलाकारों ने अपनी कला प्रस्तूुतियों से दर्शकों को लोक रंगों और विविध रसों से सराबोर कर दिया। इनमें छत्तीसगढ़ का पंथी, जुगाड़ बैण्ड और राई नृत्य ने लोक कला का रंग जमाया तो गुजरात से आये मिमिक्री कलाकारोें ने अपनी प्रस्तुतियों से दर्शकों को खूब हंसाया।
उत्सव की पांचवी सांझ का आगाज़ जुगाड़ बैण्ड से हुआ जिसमें विभिन्न प्रकार के अनूठे साज देखने को मिले व उनसे निकले स्वरों ने दर्शकों को रोचकता का अहसास कराया।
इस अवसर पर मध्य प्रदेश का राई नृत्य जबर्दस्त रंग जमा गया। युद्ध में विजयी राजा के सम्मान व स्वागत में युद्ध से लौटते समय राह में किये जाने वाले राई नृत्य में नर्तकों व नृत्यांगनाओं के हाव-भाव व करतब बेहद मनोहारी रहे। छत्तीसगढ़ का पंथी नृत्य भी पथ पर किया जाने वाला नृत्य था जिसमें कलाकारों ने पिरामिड रचनाएँ बना कर दर्शकों को लुभाया।
इस अवसर पर अहमदाबाद से आये मिमिक्री कलाकार हेमन्त खरसाणी उर्फ चीका ने अपनी मिमिक्री से दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया वहीं साउझउ मशीन अतुल महिड़ा ने अपने साउण्ड इफेक्ट से दर्शकों का दिल जीता।
कार्यक्रम में हरियाणा से आई बालिकाओं ने घूमर नृत्य प्रस्तुत किया। ढोल की थाप पर गीत गाती हुई बालिकाओं ने अपनी पूरी मस्ती से नृत्य प्रस्तुति दी। कार्यक्रम में भपंग वादक जुम्मे खां ने अपनी शेरो-शायरियों और कवित्तों से दर्शकों का दिल जीत लिया।
इस अवसर पर गोवा के समई नृत्य की सम्मोहक प्रस्तुति ने मन मोहा। लावणी ने अपनी मोहक छवि दर्शकों के मानस पटल पर अंकित की। कार्यक्रम की अंतिम प्रस्तुति गुजरात के डाँग आदिवासियों की रही जिन्होंने स्फूर्तिदायक नृत्य से जोश का संचार किया तथा नृत्य प्रस्तुति के चरम पर माता की सवारी निकाल कर दर्शकों का मन जीत लिया।