क्या चुनाव बनाम कैराना,सियासत का पैमाना !— सज्जाद हैदर (वरिष्ठ पत्रकार एवं राष्ट्र चिंतक)

क्या चुनाव बनाम कैराना,सियासत का पैमाना !— सज्जाद हैदर (वरिष्ठ पत्रकार एवं राष्ट्र चिंतक)

पहले चरण के चुनाव में चुनाव आयोग ने अब तक बड़ी रैलियों की अनुमति नहीं दी है। इस बीच, सभी सियासी पार्टियाँ अपनी अपनी ताकत के अनुसार सियासी मैदान में उतर आई है। सभी सियासी पार्टियों का फोकस पश्चिमी उत्त र प्रदेश पर है जहां पार्टी के बड़े नेताओं का जमावड़ा लग रहा है। खास बात यह है कि इस बार फिर से उत्तर प्रदेश का शामली जिला मुख्य भूमिका में है जिसका मुख्य कारण जिले के अन्तर्गत आने वाली विधान सभा सीट कैराना है। कैराना सीट को इस बार फिर से सियासत अपने साथ खींचकर लाना चाहती है। अब देखना यह दिलचस्प है कि सियासत के दोनों छोर पर खड़ी सियासी पार्टियां किस पिच पर चुनाव ल़ड़ती है। क्योंकि एक पार्टी मुख्य रूप से कैराना को मुद्दा बनाना चाहती है तो वहीं दूसरा धड़ा इससे इतर दूसरे मुद्दे पर चुनाव लड़ने की पिच तैयार कर रहा है। अब देखना यह है कि चुनाव किस सियासी पिच होता है। क्योंकि बहुत हद तक चुनाव गढ़े हुए मुद्दे पर निर्भर करता है जिसके अपने सियासी मायने होते हैं। क्योंकि मुद्दे के आधार पर ही समीकरण बनते एवं बिगड़ते हैं।

खास बात यह कि देश के गृहमंत्री ने कैराना के मुद्दे को जोरदारी के साथ उठाया उन्होंने कहा कि आज पश्चिम उत्तर प्रदेश के कैराना से जनता का पर्चा बांटकर मतदाताओं से वोट मांगा। कैराना में आज का माहौल देखकर मुझे बड़ी शांति मिलती है। पूरे प्रदेश में विकास की एक नई लहर दिखाई देती है। मोदी जी ने जो सारी योजनाएं भेजी हैं उसे योगी जी ने नीचे तक लागू किया है। पहले कैराना में लोग पलायन करते थे लेकिन अब ऐसा नहीं। इसी कड़ी में आगे कहते हुए कहा कि आज देश के हर गरीब और वंचित नागरिक का अपने घर का सपना पूरा हो रहा है। उत्तर प्रदेश में पाच साल पहले पलायन हो रहा था गुंडागर्दी हो रही थी अपहरण हो रहे थे तब की सरकार के सहयोग से माफिया पनप रहे थे लेकिन अब ऐसा नहीं है। जेपी नड्डा ने आगे कहा कि योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में वर्ष 2017 में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी तो उत्तर प्रदेश में जो अराजक चीजें चल रहीं थीं सभी समाप्त हो गयीं भाजपा की सरकार ने 5 साल तक लोगों को सुशासन दिया आज उत्तर प्रदेश में शांति है कानून का राज है माफिया प्रदेश छोड़ चुके हैं अराजक तत्व अब उत्तर प्रदेश में अशांति नहीं फैला पाते क्योंकि कानून अपना काम कर रहा है।

आज भाजपा के शासन से शांति है कानून अपना कार्य कर रहा है। गरीब वंचित व्यक्ति को सम्मान मिल रहा है। आज प्रदेश की जनता के आशिर्वाद से उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा पुनः 300 के पार सीटें जीतने जा रही है। पश्चिम में चुनाव प्रचार की कमान सीधे-सीधे केन्द्रीय नेतृत्व संभाल रहा है जिसमें जेपी नड्डा अमित शाह राजनाथ सिंह जैसे राष्ट्रीय नेता स्वयं मजबूती के साथ लगे हुए हैं। जिसका रूप पटल पर स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है।

कैराना का मुद्दा पुनः से राजनीति में खींचा जा रहा है जिसका मुख्य कारण है कि एक साथ एक ही मुद्दे पर चुनाव को खींच दिया जाए। जिसमें सभी प्रकार के राजनीतिक मुद्दे समाप्त हो जांए। अब देखना यह है कि सियासत के सियास मैदान में क्या दृश्य उभरकर आता है। क्योंकि कोई भी राजनीतिक पार्टी राजनीति से इतर नहीं है। जो भी पार्टी राजनीति की दुनिया में उतर चुकी है वह सभी पार्टियाँ सियासत को अपने अनुसार गढ़ने का प्रयास करती हैं। इसको नकारा नहीं जा सकता। यदि कोई भी पार्टी दूसरी सियासी पार्टी पर आरोप लगाए कि वह पार्टी जनता को मुद्दों से भटका रही है तो ऐसा कदापि नहीं है। क्योंकि सभी पार्टियाँ अपने-अपने अनुसार सियासी मुद्दों को बखूबी गढ़ती हैं। इसका मुख्य कारण है कि चुनाव में वोट प्राप्त कर सत्ता में आना। जिससे कि जनता का ध्यान आकर्षित हो और जनता का आकर्षण वोट में परिवर्तित होकर जनाधार का रूप धारण कर ले जिससे कि चुनाव में जीत हासिल हो सके।

यदि कोई भी सियासी पार्टी सियासत करती है तो वह सियासत के मैदान में हर एक हुनर को आजमाती है। इससे इन्कार नहीं किया जा सकता। क्योंकि सियासी पार्टियों का उद्देश्य होता है चुनाव जीतना और चुनाव जीतकर सत्ता में आना।

इसलिए इस प्रकार का आरोप लगाना पूरी तरह से गलत है कि चुनाव मुद्दे पर नहीं हो रहा है। निश्चित ही चुनाव मुद्दे पर ही होता है। य़ह बात अलग है कि मुद्दा क्या है अथवा मुद्दा किस प्रकार है। उस मुद्दे का जनता से किस प्रकार का सरोकार है। लेकिन चुनाव में जिस मुद्दे पर वोट पड़ेगा नेता उस मुद्दे को कैसे त्याग देगें…? कदापि नहीं।

इसलिए यह बात कहना सही नहीं है। कि यह मुद्दा सही है अथवा यह मुद्दा गलत है। क्योंकि मुद्दों का सरोकार वोट से है। यदि जिस मुद्दे के आधार पर वोट पड़ेगा तो निश्चित ही वह ज्वलंत मुद्दा उठाया ही जाएगा और बखूबी गढ़ा भी जाएगा। इसलिए मुद्दों को गलत ठहराना ही गलत है। गलत ठहराने से पहले मतदाताओं को अपने आपमें झाँककर देखना होगा कि हम कहाँ हैं। जब तक आप किसी मुद्दे पर भरपूर वोट करते रहेंगे तो वह मुद्दा सियासत के मैदान से कैसे गायब हो सकता है। इसलिए किसी भी सियासी पार्टी को गलत ठहराना ही गलत है। क्योंकि आप मुद्दे पर वोट कर रहे हैं। तो सियासी पार्टी मुद्दे को कैसे छोड़ सकती है। इसलिए किसी को गलत ठहराने से पहले अपने आपमें सुधार करने की आवश्यकता है। इसलिए कि आपका भाग्य आपके हाथ में हैं।

अब देखना यह है कि इस बार के उत्तर प्रदेश के चुनाव का सियासी ऊँट किस करवट बैठता है। मतों से पूरी तस्वीर साफ हो जाएगी।

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