- June 29, 2020
कोशी महासेतु का वैकल्पिक मार्ग तैयार एल—— 22 किलोमीटर— 85 साल बाद फिर दौड़ेगी रेल
पटना —— उत्तरी बिहार के दूरस्थ क्षेत्र के आम लोगों का लगभग 90 वर्ष पुराना सपना सच करने को तेज़ी से रेलवे काम कर रही है।
उत्तर भारत को पूर्वोत्तर से जोड़ने के लिए वेकल्पिक मार्ग मिलेगा। कोशी महासेतु होकर दिल्ली से गोरखपुर सीतामढ़ी दरभंगा सकरी निर्मली सरायगढ़ फारबिसगंज के रास्ते पूर्वोत्तर भारत जाने के लिए एक छोटा रास्ता मिलेगा।
सुपौल से अररिया गलगलिया के रास्ते न्यू जलपाईगुड़ी होते हुए गुवहाटी तक लंबी दूरी की ट्रेनो का परिचालन आसानी से किया जा सकेगा।
नवनिर्मित कोसी महासेतु से शीघ्र ही रेल परिचालन शुरू होने की उम्मीद है।
तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा 6 जून 2003 को नए कोसी महासेतु के निर्माण हेतु शिलान्यास किया गया था।
1.9 किलोमीटर लंबे नए कोसी महासेतु सहित 22 किलोमीटर लंबे निर्मली-सरायगढ़ रेलखंड का निर्माण वर्ष 2003-04 में ₹323.41 करोड़ की लागत से स्वीकृत किया गया था।
परियोजना की अद्यतन अनुमानित लागत ₹516.02 करोड़ है।
1934 में प्रयलंकारी भूकंप में पुल के ध्वस्त होने के बाद सुपौल से मधुबनी दरभंगा का संपर्क पूरी तरह से कट गया था।
1887 में निर्मित पुल सुपौल के निर्मली के पास कोशी की सहायक नदी तिलजुगा के पास बनाया गया था जो नए बने पुल से अलग है।
कोशी नदी अपने स्थान को बदलने के लिए जग जाहिर है। जिस जगह पर नया पुल बनाया गया है यहां 1934 के समय कोशी नदी नही बहती है।
यह बिल्कुल नई लाइन और नया पुल है। 23 जून को इस रेलखंड पर ट्रेन चलाकर ट्रॉयल किया गया था।
स्पेशल ट्रेन सरायगढ़ से आसनपुर कुपहा तक कि गयी।
इसी महीने इस रेलखंड पर सीआरएस कराये जाने की योजना है।