• May 4, 2020

कोविड-19 पर एक मल्टीमीडिया गाइड ‘कोवडि कथा’ भी लॉन्च

कोविड-19 पर एक मल्टीमीडिया गाइड ‘कोवडि कथा’ भी लॉन्च

नई दिल्ली (पीआईबी)— केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण और पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने डीएसटी के 50 वें स्‍थापना दिवस के अवसर पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सभी स्वायत्त संस्थानों (एआई) और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के अधीनस्थ कार्यालयों के प्रमुखों के साथ बातचीत की। बातचीत के दौरान उनकी एस एंड टी पहल, विशेष रूप से कोविड-19 प्रकोप से निपटने के लिए उनके प्रयासों के संबंध में चर्चा की गई।

मंत्री ने इस अवसर पर कोविड-19 पर एक मल्टीमीडिया गाइड ‘कोवडि कथा’ भी लॉन्च किया। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के माध्यम से राष्ट्र की सेवा करते हुए डीएसटी के 50वें वर्ष में प्रवेश करते ही स्वर्ण जयंती समारोह भी शुरू किया गया और पूरे वर्ष देश के विभिन्न हिस्सों में तमाम गतिविधियों शुरू की गईं।

डीएसटी के सचिव प्रोफेसर आशुतोष शर्मा ने डीएसटी की प्रमुख पहल और अगले पांच वर्षों के लिए उसके दृष्टिकोण पर प्रकाश डाला। उन्‍होंने बताया कि डीएसटी कोविड-19 से निपटने के लिए निदान, परीक्षण, स्‍वास्‍थ्‍य की देखभाल, उपकरण एवं आपूर्ति के लिहाज से बाजार के लिए तैयार समाधान के लिए अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशालाओं, शैक्षणिक संस्थानों, स्टार्ट-अप और एमएसएमई से प्रौद्योगिकी की पहचान और मैपिंग के लिए कदम उठा रहा है।

नेशनल साइंस एंड टेक्नोलॉजी एंटरप्रेन्योरशिप डेवलपमेंट बोर्ड (एनएसटीईडीबी), साइंस फॉर इक्विटी, एम्पावरमेंट एंड डेवलपमेंट (एसईईडी) और साइंस एंड इंजीनियरिंग रिसर्च बोर्ड (एसईआरबी), टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट बोर्ड (टीडीबी) और सर्वे ऑफ इंडिया (एसओएल) जैसे सांविधिक निकायों के वरिष्ठ वैज्ञानिकों और अधिकारियों ने इस प्रकोप से निपटने के लिए उठाए जा रहे विभिन्‍न कदमों के बारे में बताया। इसी प्रकार श्री चित्रा तिरुनल इंस्टीट्यूट फॉर मेडिकल साइंसेज एंड टेक्नोलॉजी (एससीटीआईएमएसटी) तिरुवनंतपुरम, इंटरनेशनल एडवांस्ड रिसर्च सेंटर फॉर पाउडर मेटलर्जी एंड न्यू मटेरियल (एआरसीआई) हैदराबाद, जवाहरलाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस साइंटिफिक रिसर्च (जेएनसीएएसआर), सेंटर फॉर नैनो एंड सॉफ्ट मैटर साइंसेज (सीईएनएस) बेंगलूरु, नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन (एनआईएफ) अहमदाबाद और एसएन बोस नेशनल सेंटर फॉर बेसिक साइंसेज (एसएनबीएनसीबीएस) कोलकाता जैसे स्वायत्त संस्थानों के निदेशकों ने इस संकट से निपटने के लिए की गई तैयारियों के बारे में बताया।

बातचीत के दौरान डॉ. हर्षवर्धन ने डीएसटी को उसके 50वें स्थापना दिवस के अवसर पर बधाई दी और कहा, ‘डीएसटी और इसके स्वायत्त संस्थानों ने भारत में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी को अंतर्राष्ट्रीय स्तर की ऊंचाई दी है और विभिन्‍न समुदायों अनगिनत लोगों को लाभान्वित किया है। डीएसटी विभिन्‍न संस्थानों और विषयों में प्रतिस्‍पर्धा के जरिये चयनित वैज्ञानिकों के माध्यम से राष्‍ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संबंधी क्षमता एवं दक्षता को मजबूत करने के लिए हमारे देश में अनुसंधान एवं विकास सहायता प्रदान करता है। डीएसटी के प्रयासों ने भारत को विज्ञान पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशनों की संख्या के मामले में चीन और अमेरिका के बाद वैश्विक स्तर पर तीसरा स्थान हासिल करने में मदद की है।’

डॉ. हर्षवर्धन ने कोविड-19 से निपटने में भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा सही समय पर प्रतिक्रिया देने के लिए उनकी प्रशंसा की। उन्होंने कहा, ‘भारतीय वैज्ञानिकों ने हमेशा से चुनौतियों को स्‍वीकार किया है और इस बार भी उन्होंने देश को निराश नहीं किया है। हमें याद रखना चाहिए कि विभिन्‍न मोर्चों पर तेजी से और व्‍यापक पैमाने पर काम करने की आवश्यकता थी। जैसे: (i) हमारे पूरे स्‍टार्टअप इकोसिस्‍टम की व्‍यापक मैपिंग ताकि उपयुक्‍त प्रौद्योगिकी समाधान की पहचान एवं मदद की जा सके। (ii) मॉडलिंग, वायरस के गुण एवं इसके प्रभाव, अभिनव समाधान आदि पर काम करने वाले शिक्षकों और अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशालाओं से उद्योगों और परियोजनाओं को मदद। (iii) समाधान प्रदान करने के लिहाज से प्रासंगिक डीएसटी के स्वायत्त संस्थानों को सक्रिय करना आदि। मुझे खुशी है कि हमारे डीएसटी के वैज्ञानिकों ने इस तथ्य के बावजूद कि हम समय के खिलाफ चल रहे हैं, इसे हासिल किया है। यहां विशेष रूप से एससीटीआईएमएसटी तिरुवनंतपुरम का उल्लेख करना चाहूंगा जो पहले से ही 10 से अधिक प्रभावी उत्पादों के साथ सामने आया है। इनमें से कई उत्‍पाद काफी प्रभावी हैं और उनका तेजी से उत्‍पादन किया जा रहा है।’

डॉ. हर्षवर्धन ने कहा, ‘विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने इन 49 वर्षों के दौरान हमारे देश के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी नवाचार क्षेत्र में व्‍यापक योगदान किया है। इनक्यूबेटरों और स्टार्ट-अप की संख्या में उल्‍लेखनीय वृद्धि के साथ इसने काफी प्रगति की है।’ उन्होंने डीएसटी की कुछ महत्वपूर्ण पहलों को रेखांकित किया और कहा, ‘युवा वैज्ञानिकों को उनके शोध कार्यों पर लोकप्रिय विज्ञान लेख लिखने के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्‍य से कई योजनाएं और कार्यक्रम शुरू किए गए हैं जैसे ऑग्‍मेंटिंग राइटिंग स्किल्‍स थ्रू आर्टिकुलेटिंग रिसर्च (एडब्‍ल्‍यूएसएआर), स्टार्टअप गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए नेशनल इनिशिएटिव फॉर डेवलपिंग एंड हारनेसिंग इनोवेशन (एनआईडीएचआई) कार्यक्रम, युवा छात्रों को अभिनव रूप से सोचने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए मिलियन माइंड्स ऑगमेंटिंग नेशनल एस्पिरेशंस एंड नॉलेज (एमएएनएके), नैशनल मिशन ऑन इंटरडिसिप्लिनरी साइबर-फिजिकल सिस्टम्स, सर्वश्रेष्ठ वैश्विक विज्ञान परियोजनाओं के साथ जुड़ने के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में अंतरराष्ट्रीय सहयोग जैसे कि तीस मीटर टेलीस्कोप प्रोजेक्ट में भागीदारी और 40 मिलियन अमेरिकी डॉलर के भारत- इजराइल औद्योगिक अनुसंधान एवं विकास और प्रौद्योगिकीय नवाचार कोष ने भारत के विज्ञान और प्रौद्योगिकी प्रयासों को काफी आगे बढ़ाया है।’

केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री ने इस साल बजट में वित्‍त मंत्री द्वारा 8,000 करोड़ रुपये की लागत से क्वांटम प्रौद्योगिकी एवं अनुप्रयोग (एनएम-क्‍यूटीए) पर राष्ट्रीय मिशन शुरू किए जाने की घोषणा का विशेष उल्लेख करते हुए कहा, ‘एनएम-क्यूटीए की लॉन्चिंग क्वांटम टेक्नोलॉजीज और संबंधित क्षेत्रों जैसे क्वांटम कंप्यूटिंग, क्वांटम क्रिप्टोग्राफी, क्वांटम संचार, क्वांटम मेट्रोलॉजी और सेंसिंग, क्वांटम इनहेंस्‍ड इमेजिंग आदि को बढ़ावा देने और उसे प्रोत्‍साहित करने के लिए भविष्य की ओर एक छलांग है। मुझे विश्‍वास है कि डीएसटी आम लोगों के फायदे के लिए इस अत्याधुनिक तकनीक का फल हासिल कर देश को गौरवान्वित करेगा।’

डॉ. हर्षवर्धन ने अपना वक्‍तव्‍य समाप्त करते हुए कहा, ‘डीएसटी द्वारा वैज्ञानिक सामाजिक उत्तरदायित्व पर राष्ट्रीय नीति तैयार की जा रही है। यह नीति नवाचार एवं सामाजिक उद्यमिता के सिद्धांतों पर आधरित होना चाहिए जिसे डीएसटी ने अपनी 49 वर्षों की यात्रा के दौरान हासिल किया है। मुझे विश्‍वास है कि यह दस्‍तावेज विज्ञान और समाज के सभी हितधारकों तक पहुंचने के लिए परियोजनाओं के सभी अनुदानकर्ताओं को एक या अधिक गतिविधियों का चयन करके शिक्षा और अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशालाओं में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के सभी उपकरण, ज्ञान, श्रमशक्ति और बुनियादी ढांचे के साथ बड़े पैमाने पर प्रेरित करेगा। इन गतिविधियों में बुनियादी ढांचा साझा करना, कॉलेज/ विश्वविद्यालय के संकाय का संरक्षण/ प्रशिक्षण, उन्‍नत वैज्ञानिक कौशल एवं अनुसंधान पर प्रशिक्षण, छात्रों के इंटर्नशिप, अनुसंधान संस्कृति को बढ़ावा आदि शामिल हो सकते हैं।’

Related post

साड़ी: भारतीयता और परंपरा का विश्व प्रिय पोशाक 

साड़ी: भारतीयता और परंपरा का विश्व प्रिय पोशाक 

21 दिसंबर विश्व साड़ी दिवस सुरेश सिंह बैस “शाश्वत”- आज से करीब  पांच वर्ष पूर्व महाभारत काल में हस्तिनापुर…
पुस्तक समीक्षा :कमोवेश सभी कहानियां गोरखपुर की माटी की खुशबू में तर-बतर है

पुस्तक समीक्षा :कमोवेश सभी कहानियां गोरखपुर की माटी की खुशबू में तर-बतर है

उमेश कुमार सिंह——— गुरु गोरखनाथ जैसे महायोगी और महाकवि के नगर गोरखपुर के किस्से बहुत हैं। गुरु…
पुस्तक समीक्षा : जवानी जिन में गुजरी है,  वो गलियां याद आती हैं

पुस्तक समीक्षा : जवानी जिन में गुजरी है,  वो गलियां याद आती हैं

उमेश कुमार सिंह :  गुरुगोरखनाथ जैसे महायोगी और महाकवि के नगर गोरखपुर के किस्से बहुत हैं।…

Leave a Reply