• May 14, 2020

कोविड 19 के प्रबंधन का जायजा –13 मई तक देश में कुल 74,281 मामले – परिवार कल्याण मंत्री डॉ हर्ष वर्धन

कोविड 19 के प्रबंधन का जायजा –13 मई तक देश में कुल 74,281 मामले – परिवार कल्याण मंत्री डॉ हर्ष वर्धन

दमन एवं दियू, सिक्किम, नागालैंड एवं लक्षदीप मे कोई मामला नहीं——-

नई दिल्ली —- केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ हर्ष वर्धन ने केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री श्री अश्विनी कुमार चौबे की उपस्थिति में पंजाब के स्वास्थ्य मंत्री श्री बलबीर सिंह सिद्धू के साथ वीडियो कांफ्रेंस के जरिये एक उच्च स्तरीय बैठक की।

यह राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों में कोविड 19 के प्रबंधन के लिए तैयारी और की जाने वाली कार्रवाइयों का जायजा लेने के लिए विभिन्न राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों के स्वास्थ्य मंत्रियों एवं रेड जोन तथा उच्च प्राथमिकता वाले जिलों के कलेक्टरों के साथ एकैकी चर्चाओं की श्रृंखला का एक हिस्सा है।

आरंभ में, डॉ हर्ष वर्धन ने कहा कि 13 मई तक देश में कुल 74,281 मामले रिपोर्ट किए गए हैं जिनमें से 24,386 स्वस्थ हो गए हैं तथा 2,415 लोगों की मृत्यु हो गई है। पिछले 24 घंटों के दौरान 3,525 नए पुष्ट मामले सामने आए हैं।

उन्होंने बताया कि जहां पिछले 14 दिनों में दोगुने होने का समय 11 था, वहीं पिछले तीन दिनों में यह सुधर कर 12.6 पर आ गया है। उन्होंने कहा कि मृत्यु दर 3.2 प्रतिशत है और रिकवरी दर 32.8 प्रतिशत होने का अनुमान है।

उन्होंने यह भी कहा कि (कल तक) आईसीयू में 2.75 प्रतिशत सक्रिय कोविड-19 मरीज हैं, वेंटिलेटर पर 0.37 प्रतिशत और 1.89 प्रतिशत आक्सीजन के सपोर्ट पर हैं।

डॉ हर्ष वर्धन ने कहा कि 352 सरकारी प्रयोगशालाओं एवं 140 निजी प्रयोगशालाओं के माध्यम से देश में जांच क्षमता बढ़ कर 1,00,000 जांच प्रति दिन हो गई है। संचयी रूप से अभी तक कोविड-19 के लिए 18,56,477 परीक्षण किए गए हैं जबकि कल 94708 नमूनों की परीक्षण किया गया है।

उन्होंने कहा कि‘पिछले 24 घंटों में 9 राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों-अर्थात अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह, अरुणाचल प्रदेश, दादरा एवं नागर हवेली, गोवा, छत्तीसगढ़, लद्दाख, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम ने कोविड-19 का कोई भी मामला दर्ज नहीं कराया है।

दमन एवं दियू, सिक्किम, नागालैंड एवं लक्षदीप ने अभी तक कोई भी मामला दर्ज नहीं कराया है। ‘

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि देश में कोविड-19 से मुकाबला करने के लिए अब 8,708 क्वारांटाइन केंद्रों एवं 4,93,101 बेडों के साथ 5,577 कोविड देखभाल केंद्रों सहित 1,79,882 बेडों (आइसोलेशन बेड-1,60,610 तथा आईसीयू बेड-19,272) के साथ 900 समर्पित अस्पताल तथा 1,29,689 बेडों ( आइसोलेशन बेड-1,19,340 तथा आईसीयू बेड-10,349) के साथ 2,040 समर्पित कोविड स्वास्थ्य केंद्र उपलब्ध हैं। उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र ने राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों/केंद्रीय संस्थानों को 78.42 लाख एन-95 मास्क एवं 42.18 लाख पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट (पीपीई) भी उपलब्ध कराया है।

निदेशक (एनसीडीसी) डॉ. एस के सिंह ने राज्य एवं इसके प्रबंधन में कोविड-19 मामलों की स्थिति पर एक संक्षिप्त प्रस्तुति दी। 12 मई, 2020 तक कुल 1913 मामलों के साथ सभी 22 जिले कोविड-19 से प्रभावित बने हुए हैं, 3 जिले (लुधियाना, जालंधर एवं पटियाला) रेड जोन में हैं तथा 15 आरेंज जोन में हैं। कुल संग्रहित नमूने 43,999 हैं तथा सैंपल की पोजिटिविटी दर 4.3 प्रतिशत है। कुल 4,216 मामलों में से नांदेड़ हुजूर साहेब से लौटने वालों में सबसे अधिक 1,225 पोजिटिव मामले हैं। यह भी उल्लेख किया गया कि राज्य के समक्ष लौटने वाले प्रवासी मजदूरों की लगभग 20,521 की संख्या एक अन्य चुनौती है।

डॉ हर्ष वर्धन ने श्री बलबीर सिंह सिद्धू एवं लुधियाना, अमृतसर, पटियाला एवं जालंधर जिलों के डीएम के साथ कोविड-19 के प्रबंधन एवं अन्य प्राथमिकता वाले मामलों से संबंधित विभिन्न मुद्वों पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने लॉकडाउन उपायों के सख्त अनुपालन, सर्तकता पूर्वक की गई कांटैक्ट ट्रेसिंग, नियंत्रण जोन में सभी लोगों की स्क्रीनिंग, लॉकडाउन के दौरान लोगों तक अनिवार्य वस्तुओं एवं दवाओं की होम डिलीवरी तथा अप्रभावित क्षेत्रों में की गई सिवियर एक्यूट रेस्पिरिटरी संक्रमण (एसएआरआई)/इंफ्लुएंजा जैसी बीमारी (आईएलआई) सर्तकता निगरानी को लेकर उठाए गए कदमों की सराहना की।

डॉ हर्ष वर्धन ने कहा कि पंजाब ने आयुष्मान भारत-स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्रों को प्रचालनगत करने में अच्छा कार्य किया है। इनका उपयोग डायबिटीज, हाइपरटेंशन एवं तीन समान प्रकार के कैंसरों (मुंह, सीना एवं गर्भाशय) से ग्रस्त लोगों की स्क्रीनिंग तथा व्यापक रूप से समुदाय को प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने में किया जा सकता है।

उन्होंने राज्य से एसएआरआई/आईएलआई स्क्रीनिंग को सुदृढ़ बनाने तथा यह सुनिश्चित करने कि प्रतिरक्षण मुहिमों, तपेदिक मामलों की खोज एवं उपचार, डायलिसिस रोगियों के लिए ब्लड ट्रांसफ्यूजन उपलब्ध कराने, कैंसर रोगियों का उपचार गर्भवती महिलाओं की एएनसी आदि पर प्रतिकूल प्रभाव न पड़े, का भी आग्रह किया। जहां तक उपलब्ध आंकड़े निजी एवं सरकारी क्लिनिकों में तपेदिक मामलों की अधिसूचना में गिरावट का संकेत देते हैं, राज्यों को इस क्षेत्र को भी प्राथमिकता देने की आवश्यकता है। यह बताते हुए कि वेतनों का समय पर भुगतान और निष्पादन संबंधित प्रोत्साहन अग्रिम पंक्ति के स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के हौसले बढ़ाएगा, राज्य से इन्हं समय पर जारी करने का अनुरोध किया गया। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि बेहतर संपर्क निगरानी एवं उपयुक्त चिकित्सा अंतःक्षेपों के लिए लौटने वाले सभी लोगों के लिए आरोग्य सेतु को डाउनलोड करना अनिवार्य बना दिया जाना चाहिए। इसके अतिरिक्त, राज्य के हेल्पलाइन नंबर 104 के बारे में जागरुकता बढ़ाये जाने की आवश्यकता है और काॅल सेंटरों की संख्या भी एनएचएम के तहत संवर्द्धित किया जाना चाहिए। देश भर में काॅल सेंटर एजेंटों को कोविड-19 रोगियों, स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं तथा ठीक हो चुके रोगियों के बारे में भी लांछन से संबंधित मुद्वों को लेकर प्रशिक्षित किया गया है, इसलिए इस उद्वेश्य के लिए भी उनका उपयोग किए जाने की आवश्यकता है।

राज्य स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान भी ओपीडी सेवाएं जारी रहीं हैं और गैर कोविड स्वास्थ्य प्रदायगी प्रभावित नहीं हुई है। उन्होंने घर-घर की निगरानी के जरिये 6,58,000 लोगों की स्क्रीनिंग की है। बताया गया कि पंजाब ने अपना खुद का डैशबोर्ड विकसित किया है जो एक हीट मैप जेनेरेट करता है जिसका उपयोग प्रभावी नियंत्रण उपायों के लिए उभरते हॉटस्‍पॉट को निर्धारित और डिमार्जिनलाइज करने के लिए किया जाता है। श्री सिद्धू ने कहा कि नांदेड़ साहेब से लौटने वाले सभी श्रद्धालुओं की स्क्रीनिंग की गई है, जांच की गई है तथा व्यापक रूप से समुदाय के बीच घुलने मिलने से रोकने के लिए उन्हें क्वारांटाइन कर दिया गया है और इस प्रकार प्रभावी रूप से संक्रमण के प्रसार को रोक दिया गया है। इसके अतिरिक्त, एक मृत्यु लेखा परीक्षा भी आरंभ की गई है जिससे संकेत मिला है कि पंजाब में कोविड-19 मौतों के मामलों में एक बड़ा प्रतिशत सह-रुग्णता वालों का है। प्रमुख सचिव (स्वास्थ्य) श्री अनुराग अग्रवाल ने कहा कि इसके अतिरिक्त, 85 प्रतिशत से अधिक मरीज बिना लक्षण वाले हैं। उन्होंने कहा कि उनके चिकित्सा अंतःक्षेपों को संचालित करने के लिए राज्य में सभी दिशानिर्देशों/प्रोटोकॉल का सख्ती से अनुपालन किया गया है।

इस बैठक में ओएसडी (स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण) श्री राजेश भूषण, संयुक्त सचिव (स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय) डॉ मनोहर अगनानी, डीजीएचएस डॉ राजीव गर्ग एवं केंद्र तथा राज्य के अन्य वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारियों ने भी भाग लिया।

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