कोरोना को लेकर देश और सूबे की सरकार है संवेदनशील—-मुरली मनोहर श्रीवास्तव

कोरोना को लेकर देश और सूबे की सरकार है संवेदनशील—-मुरली मनोहर श्रीवास्तव

कोरोना वायरस एक बड़ी समस्या है। मगर इसका निदान बहादुरी से करना ही सबसे बड़ा समाधान है। कोरोना वायरस की चपेट में दुनिया के कई देश आ चुके हैं। लगातार इस वायरस से निपटने के लिए व्यापक स्तर पर कोशिशें जारी हैं। दुनियाभर में कोरोना वायरस की चपेट में आने से हजारों लोगों की मौत भी हो चुकी है।

बड़ी संख्या में लोग इस वायरस से ग्रस्त होकर ठीक भी हो चुके हैं। कोरोना वायरस और फ़्लू के कई लक्षण एक जैसे हैं लेकिन बिना मेडिकल टेस्ट के इसके अंतर को समझना कठिन है। इससे ग्रसित होने की स्थिति में खुद को 14 दिनों तक एकांत में रखना भी इसके उपचार का एक महत्वपूर्ण भाग है। खुद को एकांत में रखने का मतलब है घर में रहना, काम पर नहीं जाना, स्कूल या किसी अन्य सार्वजनिक जगह पर नहीं जाना और सार्वजनिक परिवहन और टैक्सी से दूर रहना।

बच्चों और बुजुर्गों के प्रति रहें संवेदनशील

बच्चों को फेफड़े की बीमारी है या फिर अस्थमा है, उन्हें ज़्यादा सावधान रहने की ज़रूरत है। क्योंकि ऐसे मामलों में बच्चों पर कोरोना वायरस का खतरा बढ़ जाता है। हलांकि बच्चों के लिए ये श्वसन संबंधी सामान्य संक्रमण की तरह ही है और इससे बच्चों में ख़तरों की संभावना कम पायी गई है। बुजुर्गों में इस वायरस से संक्रमण की ज्यादा संभावना पायी गई है। इसलिए बुजुर्गों के खानपान एवं उनकी इम्यूटनिटी सिस्टम को दुरुस्त रखने के लिए विशेष ध्यान रखने की जरुरत है। वैसे तो सभी आयु वर्ग के लोग गर्म भोजन उपयोग करें साथ ही साफ-सफाई से रहें। गर्म पानी से गार्गल करना काफी उपयोगी साबित होगा।

इस संक्रमण से निपटने की है तैयारी

इस वायरस के बारे में वैज्ञानिकों का कहना है कि संक्रमण के बाद इसके लक्षण सामने आने में पांच दिनों का समय लगता है लेकिन कुछ लोगों में इसके लक्षण दिखने में इससे ज़्यादा वक़्त भी लग सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक़ कोरोना से संक्रमित व्यक्ति के लक्षण 14 दिनों तक रहते हैं। वहीं कुछ शोधकर्ताओं की राय में इसके लक्षण 24 दिनों तक रह सकते हैं।

इनक्यूबेशन पीरियड या बीमारी के सामने आने में लगने वाले समय को जानना और समझना ज़रूरी है। इससे डॉक्टरों और स्वास्थ्य विभाग को ज़्यादा बेहतर और प्रभावी तरीके से कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए कारगर कदम उठाने में मदद मिलती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक ठंड का मौसम नए कोरोना वायरस या अन्य बीमारियों को मार सकता है। इससे बचने के लिए अल्कोहल युक्त सैनीटाइजर या साबुन और पानी से हाथ को साफ करते रहें। जहां तक मच्छर से फैलने की बात की जाती है उसके प्रमाण तो नहीं मिले हैं बल्कि संक्रमित व्यक्ति के खांसने, छींकने से फैलता है। ऐसे शख्स के संपर्क में आने से बचें। क्योंकि छींकने या खांसने से हाथ पर लगी कफ़ के छोटे से हिस्से से भी कोरोना वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलने का भय बना रहता है।

साफ-सफाई के व्यापक फायदे

कोरोना वायरस का संक्रमण छींकने या खांसने से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में हो सकता है। लेकिन विशेषज्ञों का ये भी मानना है कि ये वायरस किसी सतह पर भी अस्तित्व में रह सकता है और वो भी संभवतः कई दिनों तक। इसलिए चाहे आपका मोबाईल हो या फिर दरवाजे के हैंडिल, फ्रीज, बाईक का हैंडल जैसी कई चीजों को भी साफ रखने की जरुरत है। इसलिए सबसे अच्छा यही है कि आप हाथ नियमित रूप से धोते रहें ताकि संक्रमण का ख़तरा कम हो और कोरोना वायरस को फैलने से रोका जा सके। वहीं पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड का कहना है कि हॉस्पिटल के माहौल के बाहर मास्क पहनने से किसी व्यापक फायदे के प्रमाण ज़्यादा नहीं मिलते हैं।

उन्मूलन के लिए वैक्सिन की खोज जारी

थर्मल स्कैनर तभी कोरोना से संक्रमित लोगों की पहचान कर सकता है, जब किसी को बुखार हो। निमोनिया से बचाने के लिए इस्तेमाल होने वाली वैक्सीन कोरोना वायरस से बचाव नहीं करती बल्कि इससे निपटने के लिए शोधकर्ता वैक्सीन विकसित करने में जुटे हुए हैं। कोरोना वायरस से किसी उम्र के लोग प्रभावित हो सकते हैं लेकिन अस्थमा, डायबिटीज, दिल की बीमारी वाले लोगों पर इसका ज्यादा असर पड़ता है।

कोरोना के आतंक से आर्थिक मंदी का दौर

कोरोना की चपेट में दुनियाभर के कई देशों के आने से वैश्विक कारोबार में गिरावट की आशंका जाहिर की जा रही है। कोरोना की वजह से दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन और अमेरिका के कारोबार में सुस्ती के आसार हैं जिसका असर पूरी दुनिया पर पड़ना तय है। रिसर्च एवं रेटिंग एजेंसी मूडीज एनालिटिक्स की रिपोर्ट के मुताबिक, वैश्विक अर्थव्यवस्था की विकास दर में कोरोना की वजह से इस साल 0.4 फीसद की गिरावट हो सकती है। पहले वर्ष 2020 के लिए वैश्रि्वक विकास दर में 2.8 फीसद की बढ़ोतरी का अनुमान लगाया गया था जिसे घटाकर अब 2.4 फीसद कर दिया गया है।  

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