• April 29, 2015

कोड़मदेसर: देशी गौवंश की आधारभूत सुविधाओं का उद्घाटन

कोड़मदेसर: देशी गौवंश की आधारभूत सुविधाओं का उद्घाटन

जयपुर – राज्यपाल एवं वेटरनरी विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्री कल्याण सिंह ने मंगलवार को बीकानेर के कोडमदेसर में पशुधन अनुसंधान केन्द्र देशी गौवंश साहीवाल व कांकरेज के लिए इजराइली तर्ज पर बनाए गए पशुघरों (आधारभूत संविधाओं) का विधिवत् उद्घाटन किया।

कुलाधिपति ने नवनिर्मित आधुनिक पशुघरों का अवलोकन किया। वेटरनरी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. ए.के. गहलोत ने वहां पर मौजूद देशी गौवंश की साहीवाल नस्ल की 25, 24 और 20 लीटर दूध तथा कांकरेज नस्ल की 19 लीटर 16-16 लीटर प्रतिदिन अधिकतम दूध देने वाली देशी गौवंश की जानकारी राज्यपाल ने विश्वविद्यालय की अनुसंधान, शिक्षा और प्रसार की तमाम गतिविधियों का दिग्दर्शन कराने वाली प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया। प्रदर्शनी में पशुओं की आधुनिक शल्य चिकित्सा, उपचार सेवाओं, पशु पोषण और हाइड्रोपोनिक्स से हरे चारे के उत्पाद सहित चारे संरक्षण की तकनीक की जानकारी दी गई।

इस अवसर पर राज्यपाल ने बड़ी संख्या में उपस्थित ग्रामीणों, पशुपालकों और कृषकों से सीधा संवाद किया। राज्यपाल ने एक-एक पशुपालक महिलाओं और कृषकों से घर की आर्थिक स्थिति, उपलब्ध पशुधन, शिक्षा, खेती और पारिवारिक जिम्मेवारियों के मद्देनजर सवाल पूछकर ग्रामीणों की वर्तमान स्थिति का जायजा लिया।

इस अवसर पर संवाद कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए राज्यपाल ने वेटरनरी विश्वविद्यालय द्वारा पशुपालकों के लिए किए गये सकारात्मक और रचनात्मक कार्यों के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि भारत वर्ष के गा्रमीण क्षेत्रों में स्वदेशी गौवंश के प्रति लोगों में विश्वास और गहरी आस्था हैं।

देशी गौवंश से अधिक दूध उत्पादन के प्रयासों से इसे और मजबूती मिलेगी। उन्होंने हरे चारे के उत्पादन और संरक्षण की तकनीकी कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि यहां की जमीन उपजाऊ हैं। कृषकों को खाद्यान के साथ-साथ हरे चारे के उत्पादन को भी प्राथमिकता देनी चाहिए। हमारे यहां खेती में स्थिरता आ रही है। इसलिए हमें पशुपालन को भी पूरी शिदद्त के साथ अपनाना हैं।

मरूस्थलीय क्षेत्रों में उद्योगों के बजाय गौपालन पर ध्यान देने के सकारात्मक परिणाम मिल सकते हैं। पंचगव्य का भी अपना विशेष महत्व है। गौमूत्र, गोबर की खाद और गौजन्य उत्पादों को भी बड़े पैमाने पर अपनाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि वेटरनरी विश्वविद्यालय इसमें सक्रियता से कार्य कर रहा है। संवाद कार्यक्रम में तारानगर (चूरू) से आई महिला पशुपालक प्रशिक्षणार्थी चामाली, संपति कुमारी, लक्ष्मीनारायण और बीकानेर की गीता, सुषमा व श्रीगोपाल उपाध्याय सहित कृषकों से राज्यपाल ने बात की।

वेटरनरी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.ए.के. गहलोत ने विश्वविद्यालय की सुद्घढ़ शैक्षणिक व्यवस्था, प्रशासनिक और मजबूत वित्तिय स्थिति से अवगत करवाया। उन्होंने बताया कि देशी गौवंश की राज्य में उपलब्ध पांच नस्लों पर किए गए अनुसंधान कार्यों के सकारात्मक परिणाम आए हैं।

विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के प्रयासों से इन नस्लों से अधिकतम दूध उत्पादन के परिणामों से राज्य में उपलब्ध गौवंश में 50 फीसदी से भी अधिक देशी गौवंश पालन के प्रति पशुपालकों में विश्वास कायम होगा। विश्वविद्यालय ने बड़े पैमाने पर पशुपालन की नई तकनीक और वैज्ञानिक क्रिया कलापों को पशुपालकों तक पहुँचाने के लिए शिक्षण कार्यक्रम शुरू किए हैं।

इस अवसर पर वेटरनरी विश्वविद्यालय के डीन, डायरेक्टर, फैकल्टी सदस्य और स्नातकोत्तर छात्र/छात्राओं सहित गा्रमीण जन बड़ी संख्या में उपस्थित थे।

कुलाधिपति ने वेटरनरी विश्वविद्यालय के जनसम्पर्क प्रकोष्ठ द्वारा तैयार त्र्ैामासिक न्यूज लेटर के ताजा अंक का विमोचन भी किया और नीम का एक पौधा केन्द्र परिसर में रोपित किया।

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