• January 13, 2015

कोटा : ‘‘हमारा जल – हमारा जीवन’’ विषयक एक दिवसीय कार्यशाला

कोटा : ‘‘हमारा जल – हमारा जीवन’’ विषयक एक दिवसीय कार्यशाला

कोटा, 13 जनवरी/जल की महत्ता को कोई नकार नहीं सकता। जल जीवन के लिए सर्वोपरि है। इसके संरक्षण और मितव्ययतापूर्ण सदुपयोग तथा सभी जरूरतमंदाें व क्षेत्रों तक जल की पहुंच सुनिश्चित करने के लिए सभी प्रभावी उपाय अमल में लाना वर्तमान का फर्ज है व इसके लिए जल को सर्वोच्च प्राथमिकता देना हम सभी का परम कत्र्तव्य है।Water Workshop 13 1 15 (29)

  यह संकल्प कोटा के आई.एम.टी. सभागार में केन्द्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय की ओर से जल संसाधन विभाग के तत्वावधान में भारत जल सप्ताह के अन्तर्गत मंगलवार को आयोजित ‘‘हमारा जल- हमारा जीवन’’ विषयक एक दिवसीय कार्यशाला में लिया गया।

जिला कलक्टर ने किया उद्घाटन

कार्यशाला का उद्घाटन जिला कलक्टर जोगाराम ने सरस्वती की तस्वीर  के सम्मुख दीप प्रज्वलित कर किया। जिला कलक्टर ने संभागियों को सम्बोधित करते हुए भारत जल सप्ताह के मूल उद्देश्य के अनुरूप प्रभावी कार्ययोजना बनाकर जल संरक्षण व प्रबन्धन के बेहतर बनाने पर जोर दिया व इसके लिए समन्वित व समर्पित भागीदारी की आवश्यकता जतायी।

हम सबका है दायित्व

  जिला कलक्टर जोगाराम ने कहा कि जल से सम्बन्धित सभी विभाग आपस में तालमेल बनाकर जल संरक्षण पर ध्यान दें। इसके लिए यह जरूरी है कि जल के प्रति जागरुकता को स्वयं अपनाएं तथा दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करें और इस काम को व्यक्तिगत उत्तरदायित्व मानकर निभाएं। यह काम सभी स्तराेंं पर बहुआयामी ढंग से पूर्ण होना चाहिए।

इन विषयों पर हुआ गहन मंथन

कार्यशाला में जल संरक्षण व जल प्रबन्धन, राज्य जल नीति के महत्त्वपूर्ण बिन्दुओं, राजस्थान व कोटा जिले में उपलब्ध जल संसाधनों, जिले की जल प्रोफाईल, जल नीति की प्राथमिकताएं, कोटा में भू-जल की स्थिति, मांग एवं आपूर्ति तथा भविष्य की संभावनाएं, राज्य एवं जिले में पेयजल की गुणवत्ता की स्थिति व बेहतर समाधान के उपाय, सहभागी जल प्रबन्धन में जन सहभागिता की अनिवार्यता व उपयोग, एकीकृत जल संसाधन प्रबन्धन के उद्देश्य व परिकल्पना, कृषि में जल की मात्रा व जल क्षमता, जल बचत की संभावनाएं आदि पर विषय विशेषज्ञों व विभागीय अधिकारियों ने पॉवर पोइन्ट प्रजेन्टेशन व वार्ताओं के माध्यम से विस्तृत जानकारी दी।

कार्यशाला में आई.एम.टी.आई, कोटा के उपनिदेशक दिनेश श्रीवास्तव ने स्वागत भाषण प्रस्तुत किया। जल संसाधन विकास खण्ड कोटा के अधिशाषी अभियन्ता रोहिताश्व कुमार जैमिनी ने जिला कलक्टर व संभागियों का स्वागत किया व कार्यशाला के उद्देश्य पर प्रकाश डाला।

इन्होंने दी जानकारी

राज्य एवं जिले में उपलब्ध जल संसाधनों एवं जिले की प्रोफाईल की जानकारी जल संसाधन खण्ड कोटा के अधिशाषी अभियन्ता आर.के. जैमिनी ने दी जबकि जल संसाधन खण्ड (कालीसिंध) झालावाड़ के अधिशासी अभियन्ता धीरज जौहरी ने राज्य जल नीति की प्राथमिकताओं पर विस्तार से जानकारी  दी।

वरिष्ठ भू जल वैज्ञानिक भावे व प्रवाल अथैया  ने कोटा जिले में भूजल की स्थिति, मांग एवं आपूर्ति तथा भविष्य की संभावनाओं पर विस्तार से खाका खिंचा।

सहभागी जल प्रबन्धन में जन सहभागिता की अनिवार्यता एवं उपयोग विषय पर आईएमटी आई कोटा के दिनेश श्रीवास्तव, राज्य एवं कोटा जिले में पेयजल की गुणवत्ता की स्थिति एवं समाधान विषय पर अरविन्द खींची एवं कमलकिशोर शर्मा, एकीकृत जल संसाधन प्रबन्धन के उद्देश्यों एवं परिकल्पना पर अधिशासी अभियन्ता (वाटरशेड) राणा भूपेन्द्रसिंह तथा कृषि में जल की मात्रा एवं जल क्षमता, जल बचत की संभावनाएं विषय पर उप निदेशक डॉ. प्रकाश गुप्ता आदि ने वार्ताएं प्रस्तुत की।

जल संरक्षण पर हुआ गहरा मंथन

इसके साथ ही जल प्रबन्धन मांग व पूर्ति, भविष्य की संभावनाओं, समयबद्ध प्रभावी क्रियान्वयन के उपाय पर रोड मैप,  क्रियान्वयन, जिले की प्रोफाइल आदि पर चर्चा की गई। कार्यशाला में जल विषयक तमाम विषयों पर जल संसाधन विभाग के मुख्य अभियन्ता अजयकुमार गर्ग, पर्यावरणविद डॉ. लक्ष्मीकान्त दाधीच, केन्द्रीय भूमि जल मण्डल, पश्चिम क्षेत्र जयपुर के वैज्ञानिक वसीम अहमद, कृषि विज्ञान केन्द्र के प्रभारी महेन्द्रसिंह, महावीरप्रसाद गुप्ता, कैलाश भार्गव तथा जल से सम्बन्धित स्वयंसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधियों आदि ने महत्वपूर्ण सुझाव दिये।

मिल-जुल कर करें काम

कार्यशाला में यह निर्णय किया गया कि जल का सम्बन्ध सभी प्रमुख विभागों से लेकर हर क्षेत्र, आमजन व सृष्टि के जीव मात्र से है तथा सभी का फर्ज है कि पानी बचाने में अपनी भागीदारी निभाएं। पानी संरक्षण से सम्बन्धित सभी समानधर्मा विभागों व संस्थाओं को जल बिरादरी की संज्ञा दी गई व तय किया कि जल संरक्षण के लिए काम कर रही सभी संस्थायें एक साथ मिलकर समन्वित काम करेंगी।

व्यापक लोक जागरण जरूरी

  वक्ताओं ने जोर देकर कहा कि अब समय आ गया है जब पानी के मुद्दे की गंभीरता को समझ कर सभी को मिलजुल कर जल संरक्षण गतिविधियों में प्राण-पण से जुटें व आने वाले समय के लिए पानी बचाने को जीवन में अहम स्थान दे। इसके साथ ही पानी के सीमित उपयोग व संरक्षण के लिए लोग जागरूकता जगाने की जरूरत है।

विभागीय अधिकारी नारायण राम बामनिया ने जल की महत्ता व जल योजनाओं पर संदेश परक कविता प्रस्तुत की। जल संसाधन विभाग के मुख्य अभियन्ता अजयकुमार गर्ग ने धन्यवाद ज्ञापित किया। संचालन डॉ. दिनेश श्रीवास्तव ने किया।

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