कृषि आमदनी बीमा योजना – केन्द्रीय कृषि मंत्री श्री राधा मोहन सिंह

कृषि आमदनी बीमा योजना – केन्द्रीय कृषि मंत्री श्री राधा मोहन सिंह
 

केन्द्रीय कृषि मंत्री श्री राधा मोहन सिंह ने कहा है कि अगले साल से केन्द्र सरकार द्वारा नई कृषि आमदनी बीमा योजना शुरू की जायेगी जिसमें किसानों को न्यूनतम आय का प्रावधान होगा। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार गाँव, गरीब और किसानों की समृद्धि के लिये समर्पित सरकार है। श्री सिंह आज यहाँ फसल बीमा पर  दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन सत्र को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की पहल पर इस संगोष्ठी का आयोजन मध्यप्रदेश की नई फसल बीमा योजना बनाने के लिए किया गया था।

केन्द्रीय कृषि मंत्री ने मध्यप्रदेश में कृषि क्षेत्र में हुई अभूतपूर्व प्रगति का उल्लेख करते हुए कहा कि अन्य राज्यों को मध्यप्रदेश का अनुकरण करना चाहिये। उन्होंने कहा कि केन्द्र की किसान-हितैषी योजनाओं की सफलता में राज्यों  की मुख्य भूमिका है।

मध्यप्रदेश ने इस दिशा में उत्कृष्ट कार्य किया है। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश ने सिंचाई का क्षेत्र बढ़ाते हुए किसानों के हित में बजट का बेहतर इस्तेमाल किया है। श्री सिंह ने कहा कि गुजरात और मध्यप्रदेश ने सिंचाई क्षेत्र बढ़ाने में अभूतपूर्व काम किया है।

श्री सिंह ने कहा कि मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन की दिशा में पूववर्ती सरकार ने कोई काम नहीं किया था। वर्तमान केन्द्र सरकार ने हर किसान को मृदा स्वास्थ्य कार्ड उपलब्ध करवाने की पहल कर ऐतिहासिक काम किया है। पूर्व सरकार ने  इस कार्य के लिए मात्र 78 करोड़ रुपये पूरे देश के लिये रखे थे। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में इस काम के लिये 568 करोड़ रूपये उपलब्ध करवाये गये हैं।

केन्द्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि किसानों की जमीन नहीं ली जायेगी। पारंपरिक जैविक खेती के लिये 50 हजार रूपये प्रति हेक्टेयर किसानों को दिये जायेंगे। उन्होंने  कहा कि आपदा में किसानों को सौ प्रतिशत राहत देने के लिये फसल नुकसान की सीमा 50  प्रतिशत से घटाकर 33  प्रतिशत की गयी है।

मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि अगले रबी मौसम से किसानों के लिये प्रायोगिक तौर पर सुनिश्चित कृषि आय योजना (एग्रीकल्चर  इन्कम एश्योरेंस स्कीम) नाम से नई फसल बीमा योजना शुरू की जायेगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि मध्यप्रदेश द्वारा खेती में सहयोग करने से देश में मंदी के दौर के बावजूद राजस्व संग्रहण में कमी नहीं आई और आर्थिक वृद्धि दर दो अंक में बनी रही। श्री चौहान ने कहा कि यदि देश की अर्थ-व्यवस्था को बचाना है तो खेती को बचाना होगा। उन्होंने कहा कि किसानों को सिंचाई सुविधाएँ, समय पर खाद-बीज का प्रदाय, कृषि उपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाकर और खेती की लागत कम कर खेती और किसानों को बचाया जा सकता है। बीते वित्तीय साल में किसानों को 12 हजार करोड़ रुपये की विभिन्न प्रकार की सहायता दी गई ताकि उनकी फसलों के नुकसान की भरपाई हो सके।

नई फसल बीमा योजना के स्वरूप की चर्चा करते हुए श्री चौहान ने कहा कि यह विचारणीय है कि फसल बीमा किसके लिये बने। बेंक के लिये, बीमा कंपनियों के लिये या किसानों के लिये। फसल बीमा योजना सिर्फ किसानों पर केन्द्रित होना चाहिये क्योंकि किसानों के लिये फसल ही जीवन है।

उन्होंने कहा कि फसल बीमा योजना इतनी सरल होना चाहिये कि किसानों को आसानी से समझ में आये और वे इसका पूरा लाभ उठा सकें। बिना किसी परेशानी के प्रीमियम की राशि भर सके। उन्होंने कहा कि पूववर्ती बीमा योजनाएँ कभी भी किसान हितैषी और आकर्षक नहीं रहीं। वे प्रभावी नहीं थी इसलिये अपना उद्देश्य पूरा नहीं कर पाईं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि बीमा योजना राजस्व मॉडल पर होना चाहिये न कि उत्पाद आधारित। खराब मौसम से फसल नुकसान के अलावा उपज की दरें गिरना भी किसान के लिये नुकसानदायक होता है। उन्होंने कहा कि फसल बीमा योजना ऐसी बनाना होगी कि फसलों के बाजार दाम गिरने के बाद भी किसान अप्रभावित रहें। 

उन्हें न्यूनतम सुनिश्चित आय हो। प्रीमियम दरें कम और सरल हों। प्रीमियम का फार्मूला सरल हो। किसानों का सौ प्रतिशत बीमा कव्हरेज करने के लिये गाँव के नौजवानों को कृषि फसल बीमा एजेंट बनाने पर भी विचार किया जाना चाहिये ताकि उन्हें स्थानीय स्तर पर रोजगार मिले और सभी किसानों का बीमा भी हो जाये।       

श्री चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश में खरीफ 2015  से अपनायी जाने वाली कृषि फसल बीमा योजना में उत्पादन अनुमान, फसल कटाई प्रयोग के लिये रिमोट सेंसिंग का उपयोग किया जायेगा। ऑटोमेटेड मौसम स्टेशन बनाये जायेंगे। उन्होंने कहा कि यदि किसान बीमा राशि का दावा प्रस्तुत न करे तो भी उसे निश्चित प्रोत्साहन राशि मिलना चाहिये। इसके लिये केन्द्र और राज्य मिलकर मॉडल पर विचार कर सकते हैं।

किसानों को निश्चित आय मिले इसके लिये किसान कल्याण कोष स्थापित करने पर भी विचार किया जाना चाहिये। इससे सरकार और किसानों के बीच सीधा संबंध बनेगा। इसके लिये केन्द्र और राज्य मिलकर बजट उपलब्ध करवाने पर विचार कर सकते हैं।

कृषि मंत्री श्री गौरीशंकर बिसेन ने कहा कि  सरल और प्रभावी  परिणामोन्मुखी फसल बीमा योजना होनी चाहिये। उन्होंने कहा कि  अलग-अलग कृषि जलवायु क्षेत्र के लिये अलग-अलग नीति बनाई जाना चाहिये। इसके लिये प्रीमियम भी अलग-अलग होना चाहिए। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश की फसल बीमा योजना देश के लिये मार्गदर्शी होगी।

अखिल भारतीय किसान संगठन के संगठन मंत्री श्री दिनेश कुलकर्णी ने कहा कि फसल खरीद की  जो व्यवस्था मध्यप्रदेश में है उसे देश में लागू करना चाहिए। उन्होंने कहा कि किसानों की आय सुनिश्चित करने के लिये आयोग बनाने पर पर भी विचार होना चाहिए।

प्रमुख सचिव कृषि श्री राजेश राजौरा ने संगोष्ठी की अनुशंसाओं की जानकारी दी। उन्होंने फसल बीमा योजना के प्रस्तावित स्वरूप की चर्चा की और कृषि एवं बीमा क्षेत्र के विशेषज्ञों के सुझावों से अवगत भी करवाया।  

संगोष्ठी में पशुपालन मंत्री सुश्री कुसुम मेहदेले, राजस्व मंत्री श्री रामपाल सिंह, पूर्व कृषि मंत्री श्री रामकृष्ण कुसमरिया एवं कृषि वैज्ञानिक उपस्थित थे। अतिथियों को स्मृति-चिन्ह भेंट किये गये। कृषि उत्पादन आयुक्त श्री आर.के. स्वाई ने आभार व्यक्त किया।

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