- November 6, 2015
किसानों के संकट पर सब मिलकर सेवा करें-मुख्यमंत्री श्री चौहान
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा िक संकट के समय साथ मिलकर किसानों को राहत पहुँचाने और उन्हें संकट से निकालने का काम करें। किसानों के संकट पर किसी प्रकार की राजनीति नहीं करें और हम सब मिलकर किसानों की सेवा करें। उन्होने कहा कि किसानों को सूखे के अंधेरे से निकालेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा है कि किसानों की आत्महत्या पर राजनीति नहीं होना चाहिये। उन्होंने कहा कि किसानों को जिंदगी नहीं हारने देंगे, उनको हर संभव राहत दी जायेगी।
श्री चौहान आज यहाँ सूखे की स्थिति पर चर्चा के लिये बुलाये गये विधानसभा के विशेष सत्र में हुई चर्चा का जवाब दे रहे थे। प्रदेश में सूखे की स्थिति की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि इस साल सूखे की स्थिति भयावह है। सोयाबीन की फसल अच्छी आने की उम्मीद थी, लेकिन नुकसान हुआ। फसल नुकसान का कोई अनुमान नहीं था, लेकिन अवर्षा और कहीं-कहीं अति-वर्षा से फसल का भारी नुकसान हुआ। उत्पादकता में कमी आयी और इसलिये देश में पहली बार उत्पादकता के आधार पर फसल हानि का सर्वे करने का प्रावधान किया।
किसानों के प्रति सरकार संवेदनशील
श्री चौहान ने कहा कि किसानों के प्रति सरकार संवेदनशील है। इसलिये सूखे और राहत के मुद्दे पर एक दिन का विशेष सत्र बुलाया गया, ताकि संकट का समाधान निकले। उन्होंने कहा कि किसी भी व्यक्ति द्वारा आत्महत्या अत्यंत दु:खद है, क्योंकि मानव जीवन महत्वपूर्ण है। आत्महत्या के प्रकरणों को राजनीति से जोड़कर नहीं देखना चाहिये। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के शासन में 17 हजार 187 किसानों ने आत्महत्या की थी। आत्महत्या को राजनीति से जोड़ने से किसानों का भला नहीं होगा।
राहत राशि में कई गुना वृद्धि
श्री चौहान ने कहा कि सरकार ने फसल नुकसान की राहत राशि में कई गुना वृद्धि की है। कांग्रेस के 10 साल के शासन में फसल नुकसान होने पर किसानों को केवल 670 करोड़ रुपये की राहत दी गयी थी, जबकि भाजपा शासन में 7,600 करोड़ रुपये राहत राशि दी गयी है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के समय सिंचित और असिंचित भूमि पर नुकसान के लिये बहुत कम राहत राशि दी जाती थी, जबकि भाजपा शासन में इसे कई गुना बढ़ाया। सब्जी, मसाला, ईसबगोल, संतरे, सैरीकल्चर के नुकसान पर राहत कई गुना बढ़ायी गयी। गाय, घोड़ा, भैंस, बकरी पर भी राहत की राशि कई गुना बढ़ायी गयी। पक्के मकान की क्षति होने पर 95 हजार रुपये दिये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार किसानों से संबंधित हर मुद्दे पर गंभीर और संवेदनशील है और संवेदनशीलता के साथ काम करती रहेगी।
खेती के लिये सिंचाई क्षमता बढ़ाने की चर्चा करते हुए श्री चौहान ने कहा कि 36 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई क्षमता बढ़ायी गयी है, जिससे वर्ष 2018 तक 50 लाख हेक्टेयर कर दिया जायेगा। मालवांचल में सिंचाई के लिये नर्मदा-क्षिप्रा परियोजना लागू की गयी और नर्मदा-पार्वती और केन-बेतवा परियोजनाएँ लागू की जा रही है। उन्होंने कहा कि स्व. श्री अर्जुन सिंह ने गुलाब सागर सिंचाई योजना शुरू की थी, लेकिन भाजपा ने उसे पूरा किया।
किसानों की भलाई के लिये सरकार ने अनेक कार्य किये हैं और कर रही है। सिंचाई का क्षेत्र साढ़े सात लाख हेक्टेयर से बढ़ाकर 36 लाख हेक्टेयर कर दिया है, जिसे वर्ष 2018 तक बढ़ाकर 50 लाख हेक्टेयर किया जायेगा। जिन क्षेत्रों में नहरों से पानी नहीं पहुँचाया जा सकता, वहाँ पर पाइप लाइन से सिंचाई के लिये पानी पहुँचाने के कार्य किये गये हैं। बिजली का उत्पादन 2900 मेगावॉट था, जब विपक्ष सत्ता में था। आज 15 हजार मेगावॉट बिजली का उत्पादन हो रहा है। आज की स्थिति में 8,500 मेगावॉट विद्युत का उत्पादन हो रहा है। उन्होंने कहा कि गाँवों के भ्रमण पर गये अधिकारियों, विधायकों और जन-प्रतिनिधियों से प्राप्त जानकारी के आधार पर यह पाया गया है कि किसानों को दो चरणों में विद्युत की आपूर्ति किया जाना अधिक उपयुक्त है। इसलिये यह फैसला किया गया है कि सिंचाई के लिये 8 घंटे और घरेलू उपयोग के लिये 24 घंटे विद्युत की आपूर्ति की जायेगी।
विद्युत बिल संबंधी कठिनाइयों को भी समाप्त करने के लिये प्रयास किये जायेंगे। उन्होंने कहा कि 50 प्रतिशत से अधिक फसल क्षति से पीड़ित किसानों से विद्युत बिल की वसूली स्थगित की गयी है। उन्होंने कहा कि जो सक्षम है, ऐसे किसान और शहर, गाँव के लोग बिजली का बिल अदा करें, ताकि व्यवस्थाएँ सुचारु रूप से चलती रहें। उन्होंने बताया कि विद्युत नियामक आयोग द्वारा 5 हार्स-पॉवर के कनेक्शन पर 31 हजार रुपये की दर तय की गयी है। सरकार द्वारा स्थायी कनेक्शनधारक किसान से मात्र 6000 रुपये का वार्षिक बिल लिया जाता है। इस प्रकार सरकार द्वारा प्रत्येक कनेक्शनधारी को 25 हजार रुपये की सबसिडी दी जा रही है। उन्होंने कहा कि सरकार का प्रयास है कि वर्ष 2017-18 तक समस्त 6 लाख अस्थायी कनेक्शनधारी किसानों को स्थायी विद्युत कनेक्शन उपलब्ध करवा दिये जायें। इस कार्य पर 5000 करोड़ का व्यय होगा। इससे ओवरलोडिंग से उत्पन्न होने वाली समस्याएँ दूर हो जायेंगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मध्यप्रदेश दलहन-तिलहन उत्पादन में देश में सबसे आगे हैं। खाद्यान्न फसलों में देश में दूसरा स्थान प्राप्त किया है। वर्ष 2004-05 में खाद्यान्न का कुल उत्पादन एक करोड़ 33 लाख मीट्रिक टन था, वह 10 वर्ष में बढ़कर 4 करोड़ 50 लाख मीट्रिक टन हो गया है। यूपीए और एनडीए की सरकारों ने लगातार 3 वर्ष से प्रदेश को कृषि कर्मण पुरस्कार से पुरस्कृत किया है। उन्होंने कहा कि संकट अभूतपूर्व है। प्रदेश के 33 हजार गाँवों की 44 लाख हेक्टेयर सोयाबीन की फसल बर्बाद हो गयी है। उड़द, मूंग, सोया के साथ ही धान की फसल भी बर्बाद हुई है। उन्होंने कहा कि प्रचलित फसल बीमा योजना किसानों के साथ धोखा है। यह वास्तव में बैंक ऋण का बीमा है। क्षति का आकलन तीन वर्ष की औसत उपज के आधार पर किया जाता है। जहाँ लगातार 3 वर्षों से फसल खराब हो रही हो, वहाँ किसान की क्षति का आकलन कैसे हो सकता है। उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा मिशन मोड में किसानों का बीमा और फसल कटाई प्रयोग करवाकर 3 हजार 500 करोड़ क्षतिपूर्ति का दावा प्रस्तुत किया गया है। इसमें 1500-1500 करोड़ की राशि राज्य और केन्द्र सरकार द्वारा दी जायेगी। शेष राशि बीमा कम्पनी द्वारा दी जायेगी। उन्होंने कहा कि प्रभावित किसानों को हर संभव सहायता उपलब्ध करवाने के प्रयास किये जा रहे हैं। किसानों से कर्ज की वसूली भी नहीं की जायेगी। अल्पकालिक ऋण को दीर्घकालिक ऋण में बदला जायेगा। एक साल का ब्याज सरकार अदा करेगी। अगले साल बकायादार किसानों को ऋण उपलब्ध कराया जायेगा। वाणिज्यिक बैंकों से भी वसूली स्थगित करने का अनुरोध किया गया है। कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक को निर्देशित किया गया है कि निजी साहूकार भी किसानों से वसूली नहीं करें। निर्देशों का उल्लंघन करने वाले साहूकारों को दण्डित किया जाये। उन्होंने कहा कि राहत केवल उन्हीं किसानों को मिलेगी, जो आयकर दाता नहीं हैं।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि वर्षा के बदलते पेटर्न के कारण फसल क्षति की प्रचलित व्यवस्था में वर्तमान संकट का आकलन संभव नहीं होने के कारण यह निर्णय किया गया है कि 5-6 गाँवों के संकुल को भी सूखाग्रस्त घोषित किया जायेगा। किसान की फसल यदि क्षतिग्रस्त हुई है, तो बिना सूखाग्रस्त घोषित किये उसको राहत और मदद उपलब्ध करवाई जायेगी। बटाई, अधिया और तिया प्रणाली से खेती करने वालों को राहत मिलेगी। इसके लिये भू-राजस्व संहिता में भी आवश्यक संशोधन किये जायेंगे। वनाधिकार पट्टा प्राप्त किसानों को भी फसल की क्षति होने पर राहत की पात्रता होगी। मिर्च, उड़द, मूंग की फसल की क्षतिपूर्ति भी की जायेगी।
श्री चौहान ने कहा कि वन अधिकार कानून में पट्टाधारकों को भी राहत की राशि दी जायेगी। कोई भी प्रभावित किसान राहत राशि से वंचित नहीं रहेगा। अगली फसल तक के लिये किसानों को एक रुपये किलो गेहूँ, चावल और नमक दिया जायेगा। बेटियों की शादी के लिये 25 हजार रुपये का चैक दिया जायेगा। किसानों को राहत देने के लिये हर संभव कदम उठाये जायेंगे। अगर जरूरत होगी तो बजट में और कटौती की जायेगी।
श्री चौहान ने किसानों के लिये उठाये गये कदमों की चर्चा करते हुए कहा कि मनरेगा में ज्यादा से ज्यादा राहत कार्य खोले जायेंगे। इसमें 100 दिन की मजदूरी बढ़ाकर 150 दिन कर दी गयी है। उन्होंने किसानों को आश्वासन दिया कि रबी में खाद की कमी नहीं होने दी जायेगी।
मनरेगा में नई जल संरचनाओं को बनाने का अभियान चलाया जायेगा। राजस्थान सरकार से प्रदेश के हिस्से का पानी लेने के संबंध में चर्चा चल रही है। उन्होंने कहा कि 2017 तक सभी किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड दिया जायेगा। श्री चौहान ने भविष्य की रणनीति पर चर्चा करते हुए कहा कि फसल चक्र बदलने के लिये अभियान चलाया जायेगा। उद्यानिकी फसलों की खेती और निर्यात को बढ़ावा दिया जायेगा। किसानों को सहकारिता के नेटवर्क में जोड़ने का अभियान चलाया जायेगा। अनुदान की छोटी-छोटी योजनाओं को समाप्त कर बड़ी योजनाएँ लागू की जायेंगी।
श्री चौहान ने कहा कि डेयरी उद्योग इकाइयों में कम से कम 5 दुधारु पशु दिये जायेंगे। खाद्य प्र-संस्करण की छोटी इकाइयों को प्रोत्साहित किया जायेगा। टपक सिंचाई और माइक्रो इरीगेशन को बढ़ावा दिया जायेगा। 51 मण्डियों में सब्जी और फलों की अलग मण्डी होगी। हर जिले में आदर्श फार्म विकसित किया जायेगा। पोस्ट हार्वेस्ट मेनेजमेंट इंस्टीट्यूट की स्थापना की जायेगी।
द्वितीय अनुपूरक अनुमान
मुख्यमंत्री श्री चौहान के उदबोधन के साथ ही वित्त मंत्री श्री जयंत मलैया द्वारा प्रस्तुत 8,407 करोड़ 24 लाख 81 हजार 840 रुपये के द्वितीय अनुपूरक अनुमान को पारित कर दिया गया। तत्पश्चात श्री मलैया द्वारा प्रस्तुत विनियोग विधेयक को भी सर्व-सम्मति से पारित किया गया।