- May 10, 2016
किसानों के कल्याण के लिए चलाए गये कार्यक्रमों के सकरात्मक परिणाम – श्री राधामोहन सिंह
पेसूका ——(कृषि मंत्रालय )————- केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री, श्री राधामोहन सिंह ने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा किसानों के कल्याण के लिए चलाए गये कार्यक्रमों के सकरात्मक परिणाम आने लगे हैं। ये बात उन्होंने आज कटक के कंदरापुर में आयोजित एक जन सभा में कही।
उन्होंने कहा कि देश के कृषि वैज्ञानिक खेती – किसानी को उन्नत बनाने के लिए दिन रात काम कर रहे हैं और कृषि में आधुनिक तकनीकों के प्रयोग से अनगिनत लोगों को भूखमरी बचाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि एनआर आर आई, कटक के वैज्ञानिकों ने विश्व में पहली बार सीआर धान 310 का विकास किया है जिसमें 11 प्रतिशत प्रोटीन है जबकि सामान्यतः दूसरी किस्मों में केवल 6 से 7 प्रतिशत तक प्रोटीन होता है।
केन्द्रीय कृषि मंत्री ने इस मौके पर बताया कि एन आर आर आई वर्तमान डबल हॉप्लाएड पर अनुसंधान कर रहा है और एक ऐसी विधि विकसित करने का प्रयास कर रहा जिसके सफल हो जाने पर संकर चावल की खेती के लिए किसानों को बाजार से संकर चावल के बीज खरीदने की जरूरत नहीं होगी।
नई विधि से संकर चावल के गुण एवं विशेषताओं को चावल प्रजातियों में स्थिर कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान चावल की खेती को टिकाऊ और लाभप्रद बनाने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है।
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ने सभा में उपस्थित लोगों को बताया कि मई 2014 में केन्द्र में सरकार बनने के बाद किसान कल्याण लिए कई कार्यक्रम शुरू किए गये और इनसे किसानों के जीवन में बदलाव आने शुरू हो गये हैं। उन्होंने इस संदर्भ में निम्नलिखित योजनाओं का जिक्र किया।
प्रधान मंत्री कृषि सिंचाई योजना
खराब मानसून से किसानी को राहत पहुचाने के लिए प्रधान मंत्री कृषि सिंचाई योजना शुरू की गयी है। इस योजना के अंतर्गत “हर खेत को पानी” यानि प्रत्येक किसान के खेत मे सिंचाई की सुविधा और फसल की “जल उपयोग दक्षता” को बढाने पर ज़ोर दिया जा रहा है।
भारत सरकार जल संरक्षण और क्षेत्रीय स्तर पर सिंचाई के क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देने तथा इसके प्रबंधन के लिए प्रतिबद्ध है। सुनिश्चित सिंचाई के तहत कृषि योग्य क्षेत्र का विस्तार, खेत मेँ पानी के संरक्षण के लिए इसकी उपयोग दक्षता में सुधार, परिशुद्ध सिंचाई (precision irrigation) तथा पानी के बचत के लिए नवीन प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देना, जलवाही स्तर (aquifer) के पुनर्भरण बढ़ाने, अर्धशहरी कृषि के लिए नगरपालिका के अपशिष्ट जल के पुन: उपयोग की व्यवहार्यता की खोज तथा टिकाऊ और स्थाई जल संरक्षण के उपायों को लागू करने पर बल दिया जा रहा है जिससे सिंचाई परियोजनाओं मे निजी निवेश भी अधिक से अधिक आकर्षित हो रहे है।
परंपरागत कृषि विकास योजना
देश में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए 2015 में एनडीए सरकार द्वारा एक पहल शुरू किया गया था। योजना के अनुसार, किसानों का समूह बनाकर देश के बड़े क्षेत्रों में जैविक खेती के तरीकों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इस योजना का लाभ उठाने के लिए कृषक समूह मे कम से कम 50 किसान हों तथा 50 एकड़ भूमि होनी चाहिए।
इस योजना के अंतर्गत प्रत्येक किसान को तीन साल की समयावधि के अंदर 20,000 रुपये प्रति एकड़ की दर से उपलब्ध कराया जाएगा। किसान इस वित्तीय राशि को जैविक बीज खरीदने के लिए, फसल की कटाई के लिए तथा उपज को स्थानीय बाजार मे विक्रय हेतु ले जाने के लिए प्रयोग कर सकता है।
मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना
सरकार ने एक मिशन के रूप में हर किसान को मृदा स्वास्थ्य कार्ड उपलब्ध कराने के लिए एक योजना शुरू की है। इस कार्ड में फसलों के अनुरूप मिट्टी की जांच के अनुसार उचित मात्र में पोषक तत्वों और खादों के प्रयोग की जानकारी होगी जिससे किसान अपनी खेतो मे अधिक पैदावार पाने मे सफल होंगे। इस कार्ड मे किसानों को उनके खेत के उपजाऊपन की सही जानकारी प्राप्त होगी।
विशेषज्ञों द्वारा किसानों को मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए समाधान दिया जाएगा। इस कार्ड के द्वारा लंबे समय तक खेती के पश्चात हुए मिट्टी की गुणवत्ता मे परिवर्तन पर किसान निगरानी रख सकते हैं और अपने मिट्टी के स्वस्थ्य को बनाए रखने मे इसका उपयोग कर सकते हैं।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना
फसलों के बर्बाद होने से हुए नुकसान से किसानों को राहत पहुंचाने के लिए भारत सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की शुरुआत की है। सही मायने में ये एक किसान कल्याण योजना है। इस योजना के अंतर्गत किसानों पर प्रीमियम का बोझ कम करने के साथ साथ पूर्ण बीमा राशि के लिए फसल बीमा दावे के शीघ्र निपटारे को भी सुनिश्चित किया गया है ।
उपज में हुई हानि के अलावा इस नई योजना में कटाई के उपरांत हुए नुकसान के भरपाई की भी व्यवस्था की गई है। इस योजना के अंतर्गत खेत के स्तर पर ओलावृष्टि, बेमौसम बारिश,भूस्खलन और बाढ़ सहित स्थानीय आपदाओं के आकलन की व्यवस्था प्रदान की गई है। इस योजना का लाभ लेने के लिए खरीफ फसलों के लिए केवल 2% और रबी फसलों के लिए 1.5 प्रतिशत के दर से एक अतिअल्प प्रीमियम का ही भुगतान किसानो को करना है और बाकी का प्रीमियम सरकार भरेगी।
सरकार ने सब्सिडी की कोई ऊपरी सीमा तय नहीं की है और यहाँ तक की अगर शेष प्रीमियम 90 प्रतिशत भी हो तो सरकार इसका भुगतान करेगी। योजना के तहत फसल हानि के त्वरित आकलन के लिए रिमोट सेंसिंग, स्मार्टफोन और ड्रोन का इस्तेमाल अनिवार्य किया गया है । यह बीमा दावा प्रक्रिया को गति देगा।
राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-नाम)
राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-नाम) अखिल भारतीय इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग पोर्टल है जिसका उद्देश्य मौजूदा कृषि उपज विपणन समिति (एपीएमसी) मंडियों का एक नेटवर्क बनाकर कृषि उत्पादों के लिए एक एकीकृत राष्ट्रीय बाजार तैयार करना है। कृषि उत्पादों के एक बाजार से दूसरे बाजार तक मुक्त प्रवाह, मंडी के अनेकों शुल्कों से उत्पादकों को बचाने और उचित मूल्य पर उपभोक्ता के लिए कृषि वस्तुओं को मुहैया कराने के लिए सरकार ने राष्ट्रीय कृषि बाजार को विकसित करने का फैसला लिया है।
सितंबर 2016 तक ई-नाम 200 से ज्यादा कृषि मंडियों को कवर करेगा और मार्च 2018 तक कुल 585 मंडियों में ऐसी प्रणाली विकसित की जाएगी जो किसानों के लिए अपनी पैदावार को बाजार तक पहुंचाने को आसान बनाएगी। फिलहाल किसान अपनी उपज मंडियों या बाजार समितियों के जरिये बेचते हैं जो कि उनकी उपज पर कई तरह के शुल्क लगाते हैं। अब पूरे राज्य के लिए एक लाइसेंस होगा और एक बिंदु पर लगने वाला शुल्क होगा। मूल्य का पता लगाने के लिए इलेक्ट्रॉनिक नीलामी होगी।
इसका असर यह होगा कि पूरा राज्य एक बाजार बन जाएगा और अलग अलग बिखरे बाजार खत्म हो जाएँगे। किसानों को अपनी उपज बेचने के लिए और अधिक विकल्प मिलेंगे। ऑनलाइन प्लैटफ़ार्म होने से पारदर्शिता बढ़ेगी। किसानो को बेहतर कीमत मिलेगी।
उन्होंने कहा कि डिजिटल प्रोद्यौगिकी हमे दूसरों से जोड़ने और विभिन्न मुद्दों पर अपने विचार साझा करने का अवसर प्रदान करती है। प्रधानमंत्री श्री मोदी डिजिटल प्रौद्योगिकी को सभी नागरिकों को रोज़गार के अवसर प्रदान करने और राष्ट्र में बदलाव लाने के रूप में देखते हैं।
श्री मोदी डिजिटल इंडिया का लाभ देश के किसानों को दिलाना चाहते है, जिसके लिए नेशनल एग्रीकल्चर मार्केट का वर्चुअल प्लेटफॉर्म तैयार किया जा रहा है। साथ ही साथ नजदीक के चयनित मंडी के पास मृदा परीक्षण प्रयोगशालाओं का प्रावधान भी रखा गया है जिससे किसानों को मृदा परीक्षण मे सुविधा होगी।
ग्राम उदय से भारत उदय अभियान
ग्रामीणों की आजीविका में सुधार और ग्रामीण विकास को बढ़ावा देने, देश भर में पंचायती राज को मजबूत बनाने, ‘सामाजिक समरसता’ को बढ़ाने तथा कृषि योजनाओं के बारे में जागरूकता पैदा करने के उद्देश्य से भारत सरकार ने ग्राम उदय से भारत उदय अभियान का शुभारंभ किया है।
मेरा गांव मेरा गौरव
वैज्ञानिक खेती और नई तकनीकियों को गाँव गाँव तक पंहुचाने के लिए एक नई योजना शुरू की गई है जिसमें कृषि विश्वविद्यालयों और देश भर में आईसीएआर संस्थानों के सभी कृषि विशेषज्ञों को शामिल किया गया है। इस योजना के तहत करीब 20,000 कृषि वैज्ञानिकों को एक गांव को गोद लेने के लिए प्रेरित किया गया है जो आधुनिक वैज्ञानिक खेती के तरीकों के बारे में जागरूकता पैदा करने तथा उसके क्रियान्वयन मे लगे हैं। “एन आर आर आई” के 78 वैज्ञानिक लगभग 92 गावों का चयन कर किसानों के संपर्क में हैं तथा एक तय समय सीमा के अंतर्गत कृषि से संबन्धित नई तकनिकियों और अन्य संबंधित पहलुओं पर किसानों को जानकारी प्रदान करने के कार्ये में लग गए हैं।
राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान कटक की उपलब्धियां
कृषि मंत्री ने कहा कि गत 23 अप्रैल को इस गौरवमयी संस्थान ने अपना सत्तरवां स्थापना दिवस मनाया। 23 अप्रैल 1946 को कटक मे “केन्द्रीय चावल अनुसंधान की स्थापना” हुई थी। उन्होंने कहा कि ये हमारे लिए गर्व की बात है कि “सी आर आर आई” की उपलब्धियों को देखते हुए अब इसे “राष्ट्रीय” संस्थान का दर्जा देकर इसका नाम “राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान” कर दिया गया है। अब तक इस संस्थान ने विभिन्न कृषि जलवायु परिस्थितियों के लिए 114 चावल किस्में विकसित की है।
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ने एन आर आर आई कटक के उन सभी वैज्ञानिकों को धन्यवाद दिया जिन्होंने एक अति उपयोगी मोबाइल ऐप “राइस एक्सपर्ट” विकसित किया है जिससे किसान धान में लगने वाले विभिन्न कीटों, पोषक तत्वों, निमेटोड और धान रोग से संबंधित समस्याओं, विभिन्न परिस्थितियों के लिए चावल की किस्मों, कृषि औजार और फसल कटाई के बाद विभिन्न क्रियाकलापों के लिए वास्तविक समय पर अपने खेत में ही जानकारी प्राप्त कर सकेंगे।
इस अवसर पर केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस, राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), श्री धर्मेंद्र प्रधान, कटक के लोकसभा सांसद श्री भर्तृहरि महताब, डेयर के सचिव एवं भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ त्रिलोचन महापात्र , राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ ए के नायक और जाने – माने कई वैज्ञानिक भी उपस्थित थे।