- March 13, 2017
काश !!—-जीत की ई -पत्र—शैलेश कुमार
तीन फ़रवरी को मैं पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन के प्लेट फार्म नंबर 3 पर बैठा था। कुछ देर में एक बुर्काधारी परिवार करीब के बेच पर आ कर बैठ गये । मुझे एहसास हुआ की ये लोग शिक्षित परिवार से है और कुशल भी है।
बात चली मोदी बीजेपी की । इससे उनमें सोच की दक्षता भी दिखी। ये लोग गावँ जा रहे थे साथ में वोट देने का भी उद्देश्य था।
बेटी ने अब्बा से प्रश्न किया – इस बार क्यों ने मोदी को वोट दें। माँ अपनी समझदारी से प्रतिरोध किया –बेटी अपने ही पैसों के लिए कितने दिनों लाइन में लगी ?
बेटी – छोड़ न माँ ! कुछ तो काम किया है , देश के लिए। कम से कम पाकिस्तान को तो उचित जबाब दे ही रहा है न ! अब्बाजान चुप क्यों हो ? उन्होंने कहा -मैं तो बहुमत के साथ हूँ।
बेटी ने कहा –मैं किसी भी तरह के तलाक का विरोधी हूँ। इमामो और मौलवियों के चंगुल से मुस्लिम महिलाओं को स्वतंत्र होना चाहिए। इस बार मोदी को वोट करुँगी ,अगर उसने धोखा दिया तो अगले चुनाव में लात मारूँगी।
शायद वह मोदी के भाषण से नेट पर अपडेट भी हो रही थी ।
फिर उसने मुझसे कहा -मैने आपको कही देखा है। मुझ में घबराहट आई। उसी ने मुझे navsancharsamachar.com साइट खोल कर दिखलाई, शायद आप ही है।
अब बताओं मैं गलत तो नहीं हूँ।
मैंने सिर्फ इतना ही पूछा – शिक्षा की डिग्री कहाँ से ली है ? उत्तर – जेएनयू से।
गाडी आई और वे सभी सवार हो गए।
मैंने 8 फ़रवरी को बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष, दिल्ली और अध्यक्ष, उत्तरप्रदेश को जीत की ई -पत्र से शुभकामनाएं दी।
क्या उसका परिचय पूछना चाहिए था, उसे कवर करना चाहिए। परिवार बहुत ही सलीके दिखे। कही मैं कवर के लिए फोटो लेता, वे लोग मना कर देते। ऐसे प्रश्नों से मैं सोते वक्त रात मे घिर गया। नींद ही नही आ रही थी।
ऐसा इसलिये हुआ कि किसी के परिचय लेने की मुझ में आदत ही नहीं है और यह आदत मुझे आज सता रही है। काश !!
समस्या यह है कि मैं परिचय देना और लेना दोनों ही को तुच्छ समझता हूं लेकिन कभी- कभी यह आवश्यक भी है।
क्या उत्तरप्रदेश के चुनाव में वाकई धर्मनिरपेक्ष जैसे विषमकारी और विघटनकारी संविधान में वर्णित शब्दों की धज्जियां उडेगी ? अगर मुस्लिम हिंदूओं के साथ कदम ताल कर रहें है तो इनलोगों को आज तक किसने अलग रखा ?
अगर मुस्लिम परिवार शिक्षित होगें तो राजनीति पलट जायेगी,तो फिर उन उल्लूओं का क्या होगा जिन्होंने आज तक मुस्लिमों को हिंदूओं से अलग थलग कर रखा है ?
क्या मोदी बीजेपी इस खाईं को पाटने में सफल होगें ???