काले बहीखाते से लाल

काले  बहीखाते से लाल

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में अपना पहला आम बजट पेश करने से पहले ही नई परंपरा शुरू कर दी. दरअसल, निर्मला पारंपरिक ब्रीफकेस की जगह बहीखाता लेकर बजट पेश करने पहुंचीं.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ब्रीफकेस की जगह लाल बहीखाते के साथ नज़र आईं. उन्होंने इसे देश का बहीखाता नाम दिया. दरअसल, मोदी सरकार का मानना है कि ये पश्चिमी संस्कृति से बाहर आकर देश की पुरानी परंपराओं से जुड़ने की शुरुआत है.

ब्रिटिश संसद को सभी संसदीय परंपराओं की जननी माना जाता है, भारत के बजट पर भी इसकी छाप दिखाई देती है. दरअसल, 1733 में जब ब्रिटेन के प्रधानमंत्री एवं वित्त मंत्री रॉबर्ट वॉलपोल संसद में देश की माली हालत का लेखाजोखा पेश करने आए, तो उससे संबंधित दस्तावेज चमड़े के एक बैग (थैले) में रखकर लाए। चमड़े के बैग को फ्रेंच भाषा में बुजेट कहा जाता है। बाद में इसे ही बजट कहा जाने लगा.

अंग्रेजों ने इस परंपरा को भारत में भी बढ़ाया जो आज भी जारी है। आजादी के बाद पहले वित्त मंत्री आरके शानमुखम चेट्टी ने 26 जनवरी 1947 को जब पहली बार बजट पेश किया तो लेदर बैग के साथ संसद पहुंचे थे। अंग्रेजों ने इस परंपरा को भारत में भी बढ़ाया जो आज भी जारी है। आजादी के बाद पहले वित्त मंत्री आरके शानमुखम चेट्टी ने 26 जनवरी 1947 को जब पहली बार बजट पेश किया तो लेदर बैग के साथ संसद पहुंचे थे।

1958 में बजट पेश करने सदन पहुंचे जवाहर लाल नेहरू के हाथ में भी काला ब्रीफकेस नजर आया था.

इतने सालों में बजट के बैग और ब्रीफकेस का रंग कई बार बदला है. पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 1991 में बजट पेश किया तो वह काला बैग लेकर पहुंचे थे. जबकि प्रणब मुखर्जी लाल ब्रीफकेस के साथ पहुंचे तो पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली के हाथों में ब्राउन और रेड ब्रीफकेस दिखा था.

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 1991 में बजट पेश किया तो वह काला बैग लेकर पहुंचे थे. जबकि प्रणब मुखर्जी लाल ब्रीफकेस के साथ पहुंचे तो पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली के हाथों में ब्राउन और रेड ब्रीफकेस दिखा था.

इस साल अंतरिम बजट पेश करने वाले कार्यवाहक वित्त मंत्री पीयूष गोयल लाल ब्रीफकेस के साथ सदन में पहुंचे थे.

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