- November 23, 2015
काले धन पर पैन की पैनी नजर : बच कर कहां जायेगा ?
विदेशों में जमा काले धन पर सख्ती के बाद सरकार अब देश में काले धन के प्रसार पर मार करने की तैयारी कर रही है। इसके लिए केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) आयकर नियमों को तार्किक बनाने की दिशा में काम कर रहा है, जिसमें विशेष लेनदेन के लिए स्थायी खाता संख्या (पैन) के अनिवार्य उल्लेख का दायरा बढ़ाया जाएगा। इसके अलावा थर्ड पार्टी एजेंसियों के लिए अनिवार्य सालाना सूचना रिटर्न (एआईआर) के दायरे का भी विस्तार होगा। यह कवायद अर्थव्यवस्था में करवंचना और काले धन के प्रवाह को नियंत्रित करने में बड़ा डेटाबेस बनाने की सरकारी कोशिशों के अनुरूप ही है।
एक सरकारी अधिकारी ने बताया, ‘अर्थव्यवस्था में घरेलू काला धन प्रवाह को रोकने के लिए हम आयकर अधिनियम के नियमों के तहत मांगी जाने वाली सूचनाओं को सशक्त बनाने पर काम कर रहे हैं। इसके लिए 114बी के तहत पैन कार्ड और 114 ई के तहत अनिवार्य एआईआर जारी करना शामिल है।’ फिलहाल पैन कार्ड का अनिवार्य उल्लेख 5 लाख रुपये से अधिक की अचल संपत्ति की खरीद पर या किसी मोटर वाहन, होटलों और रेस्टोरेंट के बिलों के 25,000 रुपये से अधिक के भुगतान पर करना पड़ता है।
सरकार जहां पैन कार्ड के अनिवार्य उल्लेख की सीमा बहुत ऊंची है, उसे घटाने और जहां बहुत नीची है, उसे बढ़ाने पर विचार कर रही है। इसके अतिरिक्त सरकार कई और चीजों में पैन कार्ड के उल्लेख को अनिवार्य बनाएगी। वहीं जहां जरूरी नहीं है, वहां पैन के अनिवार्य उल्लेख को खत्म किया जाएगा। इसके अलावा एआईआर के मामले में सरकार सात थर्ड पार्टी स्रोतों की सूची के साथ ही उसकी सीमा के पैमाने को बढ़ाने जा रही है।
अधिकारी ने बताया, ‘हम एआईआर के लिए अधिक लेनदेन और थर्ड पार्टी स्रोतों को जोड़ेंगे और जो अप्रासंगिक हो चुकी हैं, उन्हें हटाएंगे।’ बैंक में 50,000 रुपये से अधिक की नकदी या 50,000 रुपये से अधिक के जीवन बीमा प्रीमियम के साथ भी पैन का उल्लेख करना अनिवार्य है। लेनदेन की ऐसी सात श्रेणियां हैं, जहां बैंकों, म्युचुअल फंडों, बीमा कंपनियों जैसी थर्ड पार्टियों को किसी भी व्यक्ति के लेनदेन की सूचना आयकर विभाग को मुहैया करानी पड़ती है। मिसाल के तौर पर अगर किसी ने एक साल में 10 लाख रुपये जमा कराए हैं तो संबंधित बैंक को उसकी सूचना विभाग को देनी होगी।
अगर एक के्रडिट कार्ड से सालाना 2 लाख रुपये से अधिक की खरीदारी होती है तो कार्ड जारी करने वाले बैंक को इसकी सूचना विभाग को देनी होती है। 2 लाख रुपये या उससे अधिक की म्युचुअल फंड यूनिट खरीदने पर भी आप विभाग की निगरानी में आ जाते हैं। कंपनियां भी अगर शेयर, बॉन्ड, ऋणपत्र जारी कर 5 लाख रुपये से अधिक की रकम हासिल करती हैं वे भी निशानदेही पर आ जाती हैं।
पीडब्ल्यूसी में लीडर-डायरेक्ट टैक्स राहुल गर्ग ने बताया, ‘यह कदम काले धन के प्रसार पर जरूर कुछ प्रभावी निवारक साबित होगा।’ नांगिया ऐंड कंपनी के राकेश नांगिया ने बताया कि काले धन पर अंकुश लगाना घरेलू स्तर पर यह बहुत बड़ा मुद्दा है। लेनदेनों और सीमाओं को तार्किक बनाने से इसका कुछ हद तक समाधान होगा।’