कार्रवाई वार्ता सम्मेलन -2015″ : “बच्चो और मातृ की रोक सकने योग्य मृत्यु समाप्ति

कार्रवाई वार्ता सम्मेलन -2015″ : “बच्चो और मातृ की रोक सकने योग्य मृत्यु समाप्ति

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय और इथियोपिया सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा आयोजित दो दिन चलने वालें “बच्चो और मातृ की रोक सकने योग्य मृत्यु समाप्ति हेतू – कार्रवाई वार्ता सम्मेलन -2015” का उद्घाटन किया।

पेसूका (नई दिल्ली) –   प्रधानमंत्री ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि भारत ने हाल के वर्षों में स्वास्थ्य क्षेत्र में और विशेष रूप से मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य क्षेत्र में कई उल्लेखनीय उपलब्धियां प्राप्त की हैं। उन्होंने कहा कि भारत ने त्वरित गति से वैश्विक दर की तुलना में पाँच साल से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर में गिरावट हासिल की है और भारत में वार्षिक गिरावट का मौजूदा रुझान कायम रहता है तो एमडीजी लक्ष्य को प्राप्त करने के करीब पहुंच जाएगा है।

उन्होंने कहा कि हाल ही में भारत ने पोलियो पर विजय प्राप्त करके एक और महत्वपूर्ण मील का पत्थर स्थापित किया है। उन्होनें घोषणा करते हुए कहा कि भारत से मातृ एवं नवजात टिटनेस का सफाया कर दिया गया है। प्रधानमंत्री ने उल्लेखित किया कि इस वैश्विक लक्ष्य की प्राप्त करने के लिए दिसंबर 2015 की तारीख तय की गयी थी और हमनें यह तय तारीख से पहले कर दिखाया जो हमें अन्य लक्ष्यों को भी तय अवधि से पहले हासिल करने का आत्मविश्वास देता है ।

प्रधानमंत्री ने कहा कि यहां उपस्थित हर देश के पास सुझाव के लिए कुछ है तो भारत के पास भी अनुभव का खजाना है। भारत ने कई मायनों में अच्छा प्रदर्शन किया है और हमें अन्य देशों के साथ अपने अनुभव साझा करने में बेहद खुशी होगी। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी, तंत्र को सुदृढ करने और कैप्सूल कार्यक्रम कार्यान्वयन में किसी भी देश की सहायता करके भारत को खुशी होगी।

उन्होंने यह भी कहा कि हमारी विशेष नवजात देखभाल इकाइयों (एसएनसीयू) में बच्चों को बीमारी के बेहतर प्रबंधन के लिए कर्मियों को प्रशिक्षित करने के साथ ही होम बेस्ड नवजात देखभाल केन्दों के अपने अनुभव को साझा कर सकते है। भारत के समृद्ध सार्वभौमिक टीकाकरण और विशेष रूप से इस साल “मिशन इन्द्रधनुष” से जुड़ा अनुभव सभी देशों के साथ साझा किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि हमने पहले भी सार्क देशों को यह पेशकश की थी। उन्होंने कहा कि “मैं यहां उपस्थित सभी देशों के लिए इस प्रस्ताव को आज फिर दोहराता हूं। यह पोलियो उन्मूलन के लिए हमारे समर्थन के प्रस्ताव से अलग होगा।”

इस अवसर पर बोलते हुए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री जेपी नड्डा ने अन्य देशों के साथ साझा करने योग्य भारत के प्रभावशाली अनुभवों की ओर ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने रोक सकने योग्य मां और बच्चों की होनें वाली मौतों पर काबू पाने की भारत की प्रतिबद्धता को दोहराया। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने देश को प्रजननीय बाल स्वास्थ्य (आरसीएच) के उत्साही लक्ष्यों की दिशा में मोड़ा है। उन्होंने कहा कि गुजरात की ‘ई-ममता” योजना माँ और बाल ट्रैकिंग सिस्टम केंद्र (एमटीसीएस) तक बढ़ायी गयी है।

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री का स्वच्छ भारत अभियान देश में स्वास्थ्य पर सीधे तौर पर प्रभाव डालता है। उन्होंने कहा कि भारत इस सफलता मनाने के साथ ही इसमें साझेदारी और सहयोग चाहता है। उन्होंने उल्लेख किया कि पाँच साल से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर में गिरावट, नवजात शिशु मृत्यु दर (आईएमआर) और मातृ मृत्यु दर (एमएमआर) के क्षेत्र में पर्याप्त प्रगति की गयी है ।

“मिशन इन्द्रधनुष” स्वास्थ्य मंत्रालय की एक और महत्वपूर्ण पहल है जो मौजूदा वृद्धि में तेजी लाने हेतू प्रति वर्ष टीकाकरण की वार्षिक दर मौजूदा 1% से बढा कर 5% से अधिक करने के लिए देश में टीकाकरण अभियान में तेजी लाया है। उन्होंने कहा कि यह उपलब्धियां और क्षमता निर्माण का समय है। इसके लिए हमें अन्य देशों की कार्यकुशलता की मदद से आगे बढ़ने के लिए सतत अंतर-क्षेत्रीय प्रयासों की जरूरत है।

शिखर सम्मेलन के सह-मेजबान इथियोपिया के स्वास्थ्य मंत्री, डॉ केस्तेबिरहान अदमासू ने उल्लेख करते हुए कहा कि स्वास्थ्य तंत्र, प्राथमिक स्वास्थ्य के लिए सार्वभौमिक पहुँच सुनिश्चित करना, अंतरराष्ट्रीय समर्थन और धन का लाभ उठाना, मजबूत सामुदायिक स्वामित्व, ज्ञान और अनुभव के बंटवारे जैसे कारकों ने बड़ी आबादी तक पहुँचने में मदद की है। उन्होंने कहा कि इथियोपिया ने इक्विटी के महत्वाकांक्षी लक्ष्य और स्वास्थ्य क्षेत्र में परिवर्तन के लिए लक्ष्यों को निर्धारित किया है। उन्होंने कहा कि असमानताओं और पक्षपात को दूर करने के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं और सेवाओं में उल्लेखनीय विस्तार किया गया है ।

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण सचिव, श्री बीपी शर्मा ने अपने संबोधन में मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में भारत की प्रभावशाली उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि भारत में आईएमआर और एमएमआर में गिरावट की दर वैश्विक गति से भी तेज है। उन्होंने कहा कि यह उपलब्धियां, दृढ़ता से एक मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति, मजबूत रणनीति, केंद्रित नीतियां, कठोर कार्यान्वयन ढांचे, निगरानी और मूल्यांकन की मजबूत संरचना और प्रभावी स्वास्थ्य के लिए मजबूत स्वास्थ्य प्रणालियों पर ध्यान केंद्रित करने को प्रतिबिंबित करती हैं।

उद्घाटन सत्र के दौरान वक्ताओं में बिल और मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन की वैश्विक नीति,वकालत और देश के कार्यक्रम के अध्यश श्री मार्क सुजमान, यूनिसेफ की उप कार्यकारी निदेशक डॉ गीता राव गुप्ता, यूएसएड के प्रशासक श्री अल्फोंसो ई लेनहाडट , डब्ल्यूएचओ-एसईएआरओ के क्षेत्रीय निदेशक जनरल, डॉ पूनम खेतरपाल सिंह, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, डीजीएचएस, स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय के डॉ जगदीश प्रसाद, स्वास्थ्य मंत्रालय और परिवार कल्याण, (राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन) के अपर सचिव और मिशन निदेशक श्री सी.के. मिश्रा उपस्थित थे।

सभी वक्ता इस बात पर सहमत हुए कि अब नवीन नीतियों के माध्यम से दूर दराज और उपेक्षित वर्गों तक पहुँच बनाने, स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत बनाने, राज्य और अन्य भागीदारों के बीच प्रभावी साझेदारी, अधिकतम पंहुच हेतू सूचना और प्रौद्योगिकी आधारित तकनीकों की अधिक भागीदारी और स्वास्थ्य के क्षेत्र मे नई खोजों पर पुनर्विचार करने के का समय है।

तीसरा वैश्विक कार्रवाई वार्ता सम्मेलन 2015 भारत में पहली बार आयोजित किया जा रहा है। पहले दो सम्मेलन संयुक्त राज्य अमेरिका में हुए थे। उच्च प्राथमिकता वाले 24 देश के दो दिवसीय शिखर सम्मेलन में भाग ले रहे हैं। जिनमें अफगानिस्तान, बांग्लादेश, कांगो, इथोपिया, घाना, हैती, इंडोनेशिया, भारत, केन्या, लाइबेरिया, मेडागास्कर, मलावी, माली, मोजाम्बिक, नेपाल, नाइजीरिया, पाकिस्तान, रवांडा, सेनेगल, दक्षिण सूडान लोकतांत्रिक गणराज्य, तंजानिया, युगांडा , यमन और जाम्बिया शामिल हैं।

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