- November 9, 2014
कानून व्यवस्था तो बहाना है : पुलिस बीच-बीच में जंप मार देती है- – रमित शर्मा, डीआईजी रेंज
मेरठ। पढ़ने में अजीब जरूर लग रहा है, लेकिन यह तल्ख सच्चाई। यहां पांच हजार बदमाशों के हाथों में हथियार रहते हैं। इसके बावजूद इनके खिलाफ संगठित तौर पर कार्रवाई नहीं की जाती है। इनमें 365 से ज्यादा बदमाश पुलिस रिकॉर्ड में दर्ज हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अलग-अलग जिलों के इनामी सूचीबद्ध किए जाएं तो इनकी संख्या पांच हजार से अधिक पहुंच जाएगी। आंकड़ों पर गौर करें तो पुलिस प्रतिवर्ष करीब पांच हजार केस आर्म्स एक्ट में दर्ज करती है। ऐसे में हथियार कितने होंगे इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है।
कानून व्यवस्था तो बहाना है
अवैध हथियारों की बरामदगी के लिए स्पेशल अभियान चलाया जाता है। आईजी और डीआईजी के आदेश पर स्पेशल अभियान में सफलता भी मिलती है। इसके बाद बाकी दिन यूं ही बीत जाते हैं। पुलिस के पास बहाना फुर्सत नहीं मिलने का रहता है। वहीं, रूटीन चेकिंग में पुलिस का ज्यादा जोर चालान काटने या वसूली पर रहता है।
सेटिंग के क्या कहने
अवैध काम बिन संरक्षण नहीं हो सकता है। वह चाहे अवैध हथियारों की तस्करी हो या खुद का कुटीर उद्योग। सब कुछ सेटिंग से चलता है। दबाव पड़ने पर तमंचे की फैक्ट्री पकड़कर गुडवर्क दिखा दिया जाता है। जिले के कुछ नेताओं पर अवैध हथियार बनाने, बेचने और तस्करी करने वालों को संरक्षण देने के आरोप लगते रहे हैं।
बड़े गैंग की कहानी
पश्चिम उत्तर प्रदेश के बड़े गैंग में कुछ ऐसे भी हैं जिनके लिए पिस्टल और रिवाल्वर एक्स्ट्रा आइटम मानी जाती है। यहां छोटे हथियारों के बजाए कारबाइन अथवा एके-47 से ज्यादा काम चलता है। ऐसे बदमाशों का निशाना पुलिस भी रहती है।
अवैध हथियारों की बरामदगी के लिए अभियान अनवरत चलता है, लेकिन पुलिस बीच-बीच में जंप मार देती है। यह सतत प्रक्रिया है। इसलिए पुलिस को अपना टास्क क्लीयर रखना चाहिए। आने वाले समय में देखा जाएगा कि कौन इस अभियान को गंभीरता से लेता है। – रमित शर्मा, डीआईजी रेंज