कानपुर के बिकरु गांव : सांठ-गांठ में IPS, PCS, 67 दरोगा और इंस्पेक्टर शामिल

कानपुर के बिकरु गांव : सांठ-गांठ  में IPS, PCS, 67 दरोगा और इंस्पेक्टर  शामिल

राजेश कुमार सिंघानियाँ (राज्य व्यूरो)————— कानपुर के बिकरु गांव में पिछले साल 2 जुलाई को गैंगस्टर विकास दुबे और उसके साथियों ने DSP समेत 8 पुलिसकर्मियों की गोली मारकर हत्या कर दी थी। इसके बाद जब जांच हुई तो पुलिस और बदमाशों के बीच सांठ-गांठ का खुलासा हुआ था। आरोपियों में IPS, PCS, 67 दरोगा और इंस्पेक्टर समेत कई पुलिसकर्मी शामिल थे। सभी दोषी भी पाए गए, लेकिन अभी तक कार्रवाई किसी पर नहीं हुई है। अब इस प्रकरण में केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय सख्त है।

विकास दुबे और उसके खजांची जयकांत बाजपेई उर्फ जय की मदद करने वाले पुलिस कर्मियों, अफसरों की सूची मांगी है। इसके लिए यूपी के मुख्य सचिव आरके तिवारी को अल्टीमेटम दिया है। कहा है कि 60 दिनों के भीतर कार्रवाई करके उन्हें अवगत कराएं। अगर कार्रवाई नहीं हो पाती तो कारणों के साथ जवाब भेजकर इसकी जानकारी दें।

इकलौते गवाह की शिकायत का केंद्र ने लिया संज्ञान

कानपुर में ब्रह्मनगर निवासी अधिवक्ता सौरभ भदौरिया इस प्रकरण के इकलौते गवाह और पैरोकार हैं। उन्होंने इस बाबत केंद्रीय कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय दिल्ली में शिकायत दर्ज कराई थी। सौरभ का आरोप था कि बिकरु कांड के मुख्य आरोपी विकास दुबे और उसके खजांची की मदद करने वाले पुलिसकर्मियों पर अब तक कार्रवाई नहीं हो सकी। उन्हें बचाया जा रहा है। इसमें आईपीएस, पीपीएस समेत 67 दरोगा और इंस्पेक्टर समेत अन्य पुलिसकर्मी दोषी पाए गए हैं। इसके बाद भी इन सभी के खिलाफ अब तक विभागीय कार्रवाई नहीं हो सकी है।

इस शिकायत का संज्ञान लेते हुए कार्मिक मंत्रालय के अपर मुख्य सचिव आईएएस सूर्य प्रकाश ने 7 जुलाई को यूपी के मुख्य सचिव को आदेश देते हुए कहा है कि मामले की जांच की जाए और 60 दिनों की समय सीमा के भीतर शिकायत का निवारण किया जाए। यदि इसके निवारण में अधिक समय लगने की संभावना है, तो देरी के कारणों के साथ एक अंतरिम उत्तर शिकायतकर्ता और विभाग को भेजकर अवगत कराएं।

सौरभ भदौरिया इस संबंध में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, डिप्टी सीएम केशव मौर्या और कई अफसरों से मिलकर मामले में कार्रवाई के लिए पैरवी कर रहे हैं। सौरभ ने कहा है कि जब तक बिकरु कांड के दोषी पुलिस कर्मियों समेत अन्य आरोपियों पर कार्रवाई नहीं हो जाएगी वह पैरवी करते रहेंगे।

क्या है कानपुर शूटआउट?

बीते साल 2020 में 2/3 जुलाई की रात कानपुर के बिकरु गांव में विकास दुबे और उसके साथियों ने CO समेत आठ पुलिस वालों को रात के अंधेरे में घात लगाकर मार डाला था। पुलिसकर्मी विकास दुबे को पकड़ने गए थे। पुलिसकर्मियों की हत्या के अगले दिन ही पुलिस ने विकास दुबे के चाचा प्रेम प्रकाश पांडे और अतुल दुबे को मार गिराया था। इस मामले का मुख्य आरोपी विकास दुबे एक हफ्ते बाद मध्यप्रदेश के उज्जैन से गिरफ्तार हुआ था।

विकास दुबे को यूपी STF और यूपी पुलिस की टीम उज्जैन से कार के जरिए ला रही थी। यूपी पुलिस के मुताबिक, कानपुर में एंट्री के दौरान तेज बारिश हो रही थी जिससे काफिले की एक गाड़ी पलट गई। गाड़ी पलटने के बाद विकास दुबे ने पुलिसवालों का हथियार छीना और भागने की कोशिश की। जब पुलिस की ओर से उसे घेरा गया, तो उसने पुलिस पर फायरिंग की कोशिश की। पुलिस ने कहा कि इसके बाद मौजूद जवानों ने गोली चलाई और विकास दुबे मारा गया।

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