• February 10, 2025

कश्मीरी पंडितो की समस्या और सदन में केजरीवाल की सरकार

कश्मीरी पंडितो की समस्या और सदन में केजरीवाल की सरकार

कश्मीरी पंडितो के नरसंहार :  दुखद घटना पर आप की मंगोलपुरी से विधायक राखी बिड़ला और अरविंद केजरीवाल दिल्ली विधानसभा में ।

और ये दोनो ही इस चुनाव में अपनी सीट नही बचा पाए..

कश्मीरी पंडितों का नरसंहार एक ऐसी त्रासदी है जिस पर इतिहास के पन्नों में स्याही से नहीं, बल्कि लहू से लिखा गया है।

कश्मीरी पंडितो की समस्या और सदन में केजरीवाल की सरकार

1989 के अंत और 1990 के दशक की शुरुआत में, इस्लामी आतंकवादियों और कट्टरपंथियों ने कश्मीरी पंडितों को निशाना बनाना शुरू कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप घाटी से उनका पलायन हुआ। यह सिर्फ एक पलायन नहीं था, बल्कि जातीय सफाए की एक भयावह घटना थी जिसे दुनिया ने भुला दिया।

19 जनवरी, 1990 की रात, मस्जिदों से लाउडस्पीकरों के माध्यम से घोषणाएँ की गईं, पंडितों को घाटी छोड़ने या मरने के लिए कहा गया। सड़कों पर नारे लगे, कश्मीरी पंडित महिलाओं के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियां की गईं। घाटी में आतंक का माहौल था, और कश्मीरी पंडितों के पास तीन विकल्प थे: धर्म परिवर्तन, मृत्यु या पलायन।

कश्मीरी पंडितों के घरों पर हमले हुए, मंदिरों को तोड़ा गया और महिलाओं के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया। 19 जनवरी, 1990 को “दुःखद बहिर्गमन दिवस” के रूप में याद किया जाता है, जब लाखों कश्मीरी पंडितों को अपनी मातृभूमि छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा। रातों रात, वे शरणार्थी बन गए, अपने घरों और अपनी पहचान से वंचित हो गए।

घाटी में कश्मीरी पंडितों की मदद के लिए कोई नहीं था। पुलिस, प्रशासन, नेता और मानवाधिकार कार्यकर्ता सब चुप थे। अस्पतालों में भी समुदाय के लोगों के साथ भेदभाव किया गया।

कश्मीरी पंडितों को सड़क से लेकर स्कूल-कॉलेज और दफ्तरों तक हर जगह प्रताड़ित किया गया।

तीस साल बाद, कश्मीरी पंडितों के खिलाफ हुए किसी भी मामले में कोई कार्रवाई नहीं की गई है। कई मामलों में तो पुलिस ने एफआईआर तक दर्ज नहीं की।

पलायन के बाद, कश्मीरी पंडितों के घरों को लूटा गया, जला दिया गया और उन पर कब्जा कर लिया गया। कई मंदिरों को तोड़ा गया और जमीन भी हड़पी गई।

कश्मीरी पंडितों का नरसंहार एक ऐसी घटना है जिसे कभी नहीं भुलाया जाना चाहिए। यह मानवता के खिलाफ एक अपराध था, और इसके लिए जिम्मेदार लोगों को न्याय के कटघरे में लाना जरूरी है।

कश्मीरी पंडितों को उनकी मातृभूमि में वापस लाने और उन्हें न्याय दिलाने के लिए हर संभव प्रयास किया जाना चाहिए।

Related post

Leave a Reply