- September 23, 2016
कर्नाटक – स्वच्छ भारत अभियान की प्रगति की समीक्षा
पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय ————- सचिव श्री परमेश्वरन अय्यर ने कनार्टक के ग्रामीण क्षेत्रों में चल रहे स्वच्छ भारत अभियान की प्रगति की समीक्षा और इस पर विचार–विमर्श के लिए राज्य का एक दिन का दौरा किया। उन्होंने अपने दौरे के दौरान राज्य के ग्रामीण विकास और पंचायत मंत्री श्री एच. के. पटिल से मुलाकात कर उनसे विचार-विमर्श किया।
श्री पाटिल ने विचार-विमर्श के दौरान जिक्र किया कि उनकी सरकार कर्नाटक को खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) राज्य बनने की दिशा में अग्रसर है। मार्च 2017 तक राज्य के सात जिले खुले में शौच से मुक्त जिले बन जाएंगे। उन्होंने कहा कि राज्य में बैंकों से कर्ज लेकर घरों में शौचालय बनाने के लिए संसाधन जुटाए जा रहे हैं। शौचालय के साथ घरों में स्नानघर बनाने के लिए भी लोगों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। मंत्री ने बुजुर्गों की सुविधा अनुसार कमोड के प्रयोग को बढ़ावा देने की विशेष जरूरत पर प्रकाश डाला। श्री अय्यर ने मंत्री को केन्द्र के सभी तरह का समर्थन देने का आश्वासन दिया।
इसके बाद श्री अय्यर ने राज्य के अधिकारियों के साथ बैठक की तथा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये जिला पंचायत के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों से मुखातिब हुए। उन्होंने जिलों में इस दिशा में हो रही प्रगति और उनकी रणनीति तथा चुनौतियों के बारे में जानकारी ली। सचिव ने स्वच्छता के कार्य को पूरा करने के लिए नेतृत्व और क्षमता निर्माण के महत्व पर बल दिया। इस बात पर सहमति बनी कि निगरानी का फोकस ओडीएफ उपलब्धि पर हो न कि शौचालय निर्माण पर। उन्होंने पूर्ण सत्यापन के महत्व को रेखांकित किया और राज्य द्वारा अपनाए गए सामाजिक ऑडिट मैकेनिज्म की सराहना की। इस बात पर भी सहमति बनी कि जहां तक संभव हो ओडीएफ गांवों में अन्य दूसरी विकास स्कीमें भी प्राथमिकता के आधार पर शुरू किए जाएं। क्षमता निर्माण के मामले में राज्य ने आश्वासन दिया है कि इसके लिए जिलों में यूनिसेफ की मदद से प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया जाएगा। राज्य सरकार को सलाह दी गई है कि वह केन्द्र द्वारा आयोजित वास्तविक प्रशिक्षण कार्यक्रमों का लाभ उठाए।
प्रधान सचिव श्रीमती नागाम्बिका देवी ने कर्नाटक को खुले में शौच से मुक्त बनाने की रणनीति प्रस्तुत की। इस दौरान इस बात का जिक्र किया गया कि हालांकि पंचायतों के नीति निर्देशक तत्वों में गांवों को खुले में शौच से मुक्त बनाना शामिल है फिर भी कर्नाटक पंचायत अधिनियम में संशोधन किया गया है।