- February 11, 2022
कर्नाटक के हिजाब घटना की ऑल इंडिया लॉयर्स यूनियन द्वारा कड़ी निंदा
महाराष्ट्र–(ऑल इंडिया लॉयर्स यूनियन) — कर्नाटक में मुस्लिम छात्राएं हिजाब पहनती रही हैं और कक्षाओं में भाग लेती रही हैं। लेकिन अब वहाँ हिजाब पहने मुस्लिम छात्राओं को स्कूल मे नहीं आने दिया जा रहा। भगवा स्कार्फ पहने और जय श्री राम के नारे लगा रहा लड़कों के झुंड कॉलेज मे छात्राओं के आने का विरोध कर रहे हैं। अल्पसंख्यक समुदाय को निशाना बनाने और डराने-धमकाने के लिए जानबूझकर नारे लगाने वाले आक्रामक युवा लड़कों की भीड़ कॉलेजों के बाहर दहशत का माहौल खड़ा कर रही है और दूसरी तरफ सोशल मीडिया पर सांप्रदायिक ताकतों भाजपा और संघपरिवार द्वारा नफरती अभियान फैलाया जा रहा है। राज्य सरकार मुस्लिम लड़कियों की शिक्षा के अधिकार की रक्षा के अपने संवैधानिक कर्तव्य के तहत हस्तक्षेप करने की बजाए खुद इस भेदभावपूर्ण अभियान का हिस्सा बनी हुई है। हिजाब पहनना या न पहनना भारत के संविधान द्वारा संरक्षित धार्मिक स्वतन्त्रता का अधिकार है। केवल इस आधार पर मुस्लिम छात्राओं को पढ़ाई से महरूम रखना गैरकानूनी, असंवैधानिक और अस्वीकार्य है। इस समय कर्नाटक में छात्र समुदाय के बीच उनकी वार्षिक परीक्षाओं के ठीक पहले तनाव की एक अभूतपूर्व स्थिति पैदा हो गयी है जिससे पढ़ाई में रुकावट और और खासकर मुस्लिम लड़कियों के शैक्षिक अवसरों पर प्रतिकूल असर पड़ा है। ऑल इंडिया लॉयर्स यूनियन मुस्लिम छात्राओं के अधिकारों का समर्थन करता है और भाजपा सरकार की नफरती राजनीति की कड़ी निंदा व विरोध करता है।
कर्नाटक की भाजपा सरकार ने अपनी सांप्रदायिक – विभाजनकारी राजनीति के तहत ‘‘समानता, अखंडता और सार्वजनिक व्यवस्था को बिगाड़ने वाले’’ कपड़ों पर प्रतिबंध लगाने का आदेश फिर से जारी किया। सरकार ने कर्नाटक शिक्षा अधिनियम, 1983 के 133 (2) को लागू किया, जिसमें कहा गया था कि छात्रों को कॉलेज विकास समिति या पूर्व-विश्वविद्यालय कॉलेजों के प्रशासनिक बोर्ड की अपीलीय समिति द्वारा चुनी गई पोशाक पहननी चाहिए, जो पूर्व-विश्वविद्यालय शिक्षा के अंतर्गत आते हैं। और यदि कोई गणवेश तय नहीं किया गया है, तो ‘‘समानता, अखंडता और सार्वजनिक व्यवस्था को भंग करने वाले कपड़े नहीं पहने जाने चाहिए’’। सरकार द्वारा नियमों मे बदलाव किए जाने के बाद नियोजनबद्ध तरीके से अल्पसंख्यक समुदाय को निशाना बनाने और डराने-धमकाकर सभी जगह हिजाब के विरोध की शुरुवात की जा रही है। लिए इस विवाद को तेजी के साथ आक्रामक ढंग से सोशल मीडिया पर फैलाया जा रहा है। अब भाजपा शासित 18 राज्यों मे इसी तरह के कानून लागू करने के मांग करके असुरक्षा और उन्माद का माहौल तैयार किया जा रहा है। इस वर्ष कई राज्यों मे चुनाव हैं और अगले साल कर्नाटक मे अगले साल चुनाव होने वाले हैं। चुनावों मे वोट की राजनीति और संस्कृतिक वर्चस्ववाद और ध्रुवीकरण के लिए आरएसएस और भाजपा की ओर से अल्पसंख्यकों खासकर मुस्लिम समुदाय पर पर हमले किए जा रहे हैं।
संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत धर्म की स्वतंत्रता के मौलिक संवैधानिक अधिकार, अनुच्छेद 21-ए के तहत शिक्षा के अधिकार और अनुच्छेद 21 के तहत गरिमा के अधिकार का उल्लंघन है। इसी तरह, अनुच्छेद 15(1) और 15(2) अनुमति नहीं देते हैं कि जन्म स्थान, धर्म, लिंग, जाति आदि के आधार पर कोई भी भेदभाव किया जाए। संविधान कहता है कि किसी को भी सार्वजनिक स्थानों में प्रवेश करने से नहीं रोका जाना चाहिए। अनुच्छेद 29(2) राज्य सरकार द्वारा सहायता प्राप्त संस्थानों में धर्म के आधार पर भेदभाव की अनुमति नहीं देता है। शिक्षा का अधिकार एक मौलिक अधिकार है और इसके साथ किसी भी प्रकार का समझौता नहीं किया जा सकता।
ऑल इंडिया लॉयर्स यूनियन कर्नाटक में मुस्लिम छात्राओं के उत्पीड़न की निंदा करता है और राज्य सरकार से मुस्लिम लड़कियों की सुरक्षा और शिक्षा के अधिकार को सुनिश्चित करने की मांग करता है। सभी देशवासियों को बिना किसी धार्मिक भेदभाव के शिक्षा, रोजगार और सभी नागरिक अधिकारों का अधिकार है। विभाजनकारी सांप्रदायिक कट्टरपंथी बयानबाजी, सोशल मीडिया पर नफरती पोस्ट और दहशत की राजनीति करके देश की शांति, भाईचारा, एकता और अखंडता के लिए खतरा खड़ा करने वालों पर सख्त कारवाई करके शिक्षा संस्थाओं के धर्मनिरपेक्ष और निर्भय माहौल को बहाल करने की मांग ऑल इंडिया लॉयर्स यूनियन द्वारा की जाती है।
ऑल इंडिया लॉयर्स यूनियन
अॅड. बाबासाहेब वावलकर अॅड. चंद्रकांत बोजगर
(अध्यक्ष, AILU, AILU, महाराष्ट्र राज्य) (महासचिव, AILU, महाराष्ट्र राज्य)