• July 19, 2018

कभी के मालभोगी अब कर्मयोगी हैं– शैलेश कुमार

कभी के मालभोगी अब कर्मयोगी हैं– शैलेश कुमार

विच्छेदन और विभाजन का जनक : — कांग्रेस

कांग्रेसियों ने जातीयता कि मीठी जहर फैलाई :

हिन्दू – मुस्लिम में दरार पैदा करने के लिए संविधान कि प्रस्तावना में धर्मनिरपेक्ष- “जैसे विषैला -शब्द ” से छेद ही नही किया।

वरण-

मुस्लिम विरुद्ध भावना न फैले उसे दवाने के लिए अल्पसंख्यक के बहाने — सिख , बौद्ध , जैन धर्म जोड़ कर हिन्दुओं में एक और दरार पैदा किया।

जातीयता की राजनीति ——– बड़े वर्ग और छोटे वर्गों में दरार और बढाया ।

फिर समग्र हिन्दुओं को जाति – जाति में टुकड़े- टुकड़े खंडित कर दिया।

दलित बस्तियों में जाकर बड़े वर्गों की चुगलखोरी और गाली गलोज वही बड़े वर्गों के पास जाकर दलितों को गाली- गलौज।

80 के मध्यान में जब कांग्रेस की नीच नीतियों से राजद , मुलायम , मायावती पूर्ण परिचित हुई तो वही विभाजन नीति को लेकर धरातल पर उतड़े। इनलोगों की भी खूब चली। लेकिन स्लोगन के अलावा कोई मौलिक सुधार नहीं कर पाए।

कांग्रेस इन सभी को घुन की तरह घुलाती रही और ये लोग फिर कांग्रेस के ट्रैक पर चलते हुए मुस्लिम और दलितों का परचम फहराने लगे। इनलोगों की राजनीति की रोटी सिर्फ मुस्लिम और दलितों के तावा पर सेंकती रही क्योंकि ये वर्ग मानसिक तौर पर परिपक्व नहीं थे सिर्फ भनु भाव न जाने पेट भरण के काम।

कांग्रेस द्वारा इन लोगों के सामने भिखारियों की तरह कभी सब्सिडी तो कभी साडी के टूकडे फेंक दिया जाता था। ये लोग तांडव देखते रहते थे।

कालांतर में जब इनलोगों के बच्चे पढ़े- लिखे तथा कांग्रेस , राजद, सपा , बसपा ,इनैलो, तृणमूल और सबसे बड़ा गद्दार कम्युनिष्ट पार्टी (बंगाल ,केरल ) जमात के बारे में गम्भीर हुए तो पुंगी बज गई।

अपने कार्यकाल के दौरान कांग्रेस ने विधवा नारी की तरह देश को बना रखा । विदेश में कहीं भी भारत के नाम से कोई इज्जत नहीं था। जैसे लग रहा था की देश की जनता कांग्रेस की भाड़ बनकर रह गई है ।

उक्त सभी कुरीतियों से भाजपा अब तक अछूत रही क्योंकि राष्ट्र को महत्व देने वाली हिन्दुओं की सोच वाली यही एक मात्र पार्टी रही है। लेकिन जिस नीतियां को अपना कर कांग्रेस और उसके गैंगवार दशकों तक प्रजा को मूर्ख बनाते रहे , उसी नीति को अब बीजेपी ने गोद ले लिया जब गोद ले लिया तो परिणाम सर्वे भवंतु भूत -भविष्यः में बदल गया है।

वामपंथियों , क्षेत्रीय दलों तथा कांग्रेसियों से परेशान जनता ने राष्ट्र के गौरव को प्राप्त करने के लिये मोदी बीजेपी के हाथों देश को समर्पित कर दिया. बडी सोच के साथ बीजेपी ने अपनी राष्ट्रीय नीति में फेरबदल करते हुए “विकास” को स्थान दिया तथा माला खट – खट सीताराम से बाहर आई और नए सोच तथा विकल्प के साथ समस्या समाधान के तरीको की खोज में निरंतर प्रयासरत है।

सवाल है जिस देश में एक- एक कर्मचारी , एक -एक अफसर एक- एक नेता 68 वर्षों तक सिर्फ लूटने का काम किया हो उसे सिर्फ पांच वर्षों में संपन्न नहीं कर सकते हैं।

जो जनता या नेता अभी भों — भों कर रहे हैं वे 2014 से पहले कहाँ थे ? क्या उनके नजरों और दिमाग में लूटेरों की हरकत नहीं था या उनको भी शेयरहोल्डर बनाया गया था।

अगर देशवासी स्वान निंद्रा में नहीं होते तो दशकों तक एक ही पार्टी की सरकार सत्ता में रहकर चंबल के लुटेरों की तरह नही लुटते अभी जिस विषम समस्या से हम सभी गुजर रहे है शायद वह समस्या ही न होते।

अभी जनता के सामने जितने भी कर्मयोगी अभी आ रहे है वे 2014 से पहले मालभोगी थे जब जनता ने बीजेपी को लाकर माल को बंद कर दिया तो ये स्वानकर्मी — कर्मयोगी बनकर जनता को पढ़ाने जाते है —

मैं सिर्फ इतना ही कहना चाहता हूँ की अगर स्वान निंद्रा में रहेंगे तो काक भी पंख नहीं मार पाएगी –

——–निर्णय आपके हाथ

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