- February 15, 2022
कथित प्राथमिकी या मामले को रद करने का प्रश्न ही नहीं उठता
नई दिल्ली—- सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि एक व्यक्ति जिसे प्राथमिकी में आरोपित के रूप में शामिल नहीं किया गया है, वह किसी आपराधिक मामले में किसी अन्य व्यक्ति से संबंधित कार्यवाही को रद करने का अनुरोध नहीं कर सकता है।
जस्टिस एएम खानविलकर और सीटी रविकुमार की पीठ ने यूपीपीसीएल भविष्य निधि निवेश घोटाले के संबंध में दर्ज एक प्राथमिकी को रद करने के अनुरोध संबंधी याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की।
लखनऊ के हजरतगंज पुलिस थाने में दर्ज इस मामले की जांच शुरू में उत्तर प्रदेश पुलिस कर रही थी। बाद में इसे सीबीआइ को स्थानांतरित कर दिया गया।
पीठ ने कहा, इसमें कोई विवाद नहीं है कि याचिकाकर्ताओं को उक्त अपराध में आरोपित के तौर पर शामिल नहीं किया गया है।
यदि याचिकाकर्ताओं को इस अपराध में आरोपित के रूप में शामिल नहीं किया गया है तो संबंधित कथित प्राथमिकी या मामले को रद करने का प्रश्न ही नहीं उठता।
पीठ ने अपने हाल के आदेश में कहा कि अदालत हुकुम चंद गर्ग और अन्य द्वारा मांगी गई राहत के अनुरोध की जांच करने का इरादा नहीं रखती है।
सीबीआइ अपराध के सिलसिले में उनका नाम लेगी तो वे उचित उपाय का सहारा ले सकते हैं।
पीठ ने कहा कि सीबीआइ के जांच अधिकारी याचिकाकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई करने से पहले उन्हें 48 घंटे का अग्रिम नोटिस देंगे, ताकि वे उचित उपाय का सहारा ले सकें