- March 3, 2018
कडी -३ ,मनोहर सरकार के चार वर्ष — * पशुधन *,* डेरी विकास *,* सहकारी समितियां*
***** पशुधन *****
देसी नस्ल की गायों के संरक्षण तथा उन्नयन के लिए ‘‘गौ वंश संरक्षण एवं गौ संवर्धन अधिनियम-2015’’ लागू किया ।
इस अधिनियम के तहत होने वाले अपराध गैर-जमानती होंगे जिसमें अधिकतम 10 साल का कठोर कारावास तथा एक लाख रुपये का जुर्माना होगा।
इस अधिनियम के तहत नियमों का उल्लंघन करने वाले दोषी को कम से कम 3 साल का कठोर कारावास तथा 30,000 रुपये जुर्माना तथा जुर्माना न अदा करने की स्थिति में एक साल की अतिरिक्त सजा होगी।
इस अधिनियम के तहत अपराध के लिए इस्तेमाल किए गए वाहन जब्त कर लिए जाएंगे।
इस अधिनियम के तहत प्रदेश में ऐसी संस्थाओं की स्थापना की जाएगी, जहां बीमार, बेसहारा और घायल गायों का उपचार एवं उनका रखरखाव किया जाएगा तथा गौ संवर्धन के लिए वित्तीय एवं तकनीकी सहायता दी जाएगी।
इस अधिनियम के तहत देसी नस्ल की गायों के संरक्षण एवं उत्थान के लिए नई योजनाएं क्रियान्वित करना एवं देसी गायों के दूध के उत्पाद, प्रसंस्करण एवं विपणन को प्रोत्साहित करने के लिए प्रावधान किए गए हैं।
इस अधिनियम के तहत दूध तथा दुग्ध उत्पादों के अन्य घटकों की जांच तथा ए-1 व ए-2 दूध में अंतर की पहचान के लिए प्रयोगशालाओं की स्थापना के प्रावधान किए गए हैं।
‘राष्ट्रीय गोकुल मिशन’ लागू किया गया है।
गौ वंश के समग्र विकास के लिए बेसहारा गायों को आश्रय देने हेतु गांव मलिकपुर, बागड़, यमुनानगर, हिसार, बाढ़ड़ा, भिवानी तथा पानीपत में गौ अभ्यारण्यों की स्थापना की जा रही है।
हरियाणा गौ सेवा आयोग को 9.20 करोड़ रुपये उपलब्ध करवाए गए।
******डेरी विकास******
दुग्ध उत्पादकों व दुग्ध उत्पादक समिति के सदस्यों के बच्चों के लिए मैट्रिक व बारहवीं में 80% से अधिक अंक प्राप्त करने पर क्रमशः एकमुश्त 2100 रुपये तथा 5100 रुपये की छात्रवृत्ति योजना 1 मार्च, 2015 से शुरू की गई।
सहकारी दुग्ध उत्पादकों की बेटी की शादी पर 1100 रुपये की राशि कन्यादान के रूप में देने की योजना तथा सहकारी दुग्ध उत्पादक सदस्यों के लिए 5 लाख रुपये की दुर्घटना बीमा योजना मार्च, 2015 से शुरू की गई।
‘मुख्यमंत्री दुग्ध उत्पादक प्रोत्साहन योजना’ के अन्तर्गत दुग्ध उत्पादकों को दी जाने वाली सब्सिडी अप्रैल, 2015 से 4 रुपये प्रति लीटर से बढ़ाकर 5 रुपये प्रति लीटर करने का निर्णय लिया गया है।
पशुओं की चिकित्सा सुविधा के लिए 797 वी.एल.डी.ए. व 235 पशु चिकित्सकों की भर्ती प्रक्रिया शुरू।
प्रतिदिन प्रति व्यक्ति 805 ग्राम दूध उपलब्धता के साथ हरियाणा देश में दूसरे स्थान पर है, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह मात्र 309 ग्राम है।
कुरुक्षेत्र स्थित वीटा मिल्क प्लांट में देसी गायों के दूध का प्रसंस्करण होगा और यह ‘वीटा ब्रांड’ से बिकेगा।
हरयाना, साहीवाल व गिर नस्लों के सुधार के लिए ‘राष्ट्रीय गौ-भैंस प्रजनन व डेरी विकास कार्यक्रम’ के अन्तर्गत 24 करोड़ 2 लाख रुपये स्वीकृत किये।
देसी नस्ल की गायों की मिनी डेरी इकाइयां स्थापित करने वाले किसानों को चालू वित्त वर्ष से 50% तथा अन्य डेरी स्कीमों के तहत 25% अनुदान का प्रावधान।
हरयाना और साहीवाल नस्ल की अधिक दूध देने वाली गायों के पालकों को 10,000 रुपये से लेकर 20,000 रुपये तक का प्रोत्साहन दिया जा रहा है।
पशुपालन के क्षेत्र में हिसार में एक उत्कृष्ट केन्द्र स्थापित करने के लिए ईज़राइल सरकार के साथ समझौता किया गया।
***** सहकारी समितियां*****
जिन क्षेत्रों में प्राकृतिक प्रकोप से 50% या इससे अधिक फसलों का नुकसान हुआ है, उस क्षेत्र के सभी किसानों के रबी-2014 के फसली ऋणों को तीन वर्ष के लिए मध्यम अवधि ऋणों में बदला गया।
हरियाणा राज्य सहकारी कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक को 100 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की गई।
किसानों को अदायगी समय पर सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने चीनी मिलों को ऋण प्रदान करने का एक साहसिक कदम उठाया ।
सहकारी चीनी मिलों को वर्ष 2015-16 में 646 करोड़ रुपये का तथा निजी चीनी मिलों को 175 करोड़ रुपये का ऋण उपलब्ध करवाया गया।
गन्ना किसानों की सहायता के लिए वर्ष 2016-17 के दौरान सहकारी चीनी मिलों को ऋण प्रदान करने के लिए 400 करोड़ रुपये तथा निजी क्षेत्र की चीनी मिलों की सहायता के लिए 50 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया।
खरीफ-2015 के दौरान किसानों को 4580.84 करोड़ रुपये के ब्याज रहित फसली ऋण उपलब्ध करवाए गए।
प्रदेश के हर किसान को सहकारी ऋण की समय पर अदायगी करने पर खरीफ-2015 तथा रबी 2015-16 का फसली ऋण बिना ब्याज दिया जा रहा है।
पंचायत चुनावों के लिए लागू नई शर्तों के परिणामस्वरूप सहकारी बैंकों को लगभग 158.53 करोड़ रुपये के बकाया ऋणों की वसूली हुई।
पिराई सीजन 2014-15 के लिए राष्ट्रीय स्तर पर शाहबाद सहकारी चीनी मिल को तकनीकी दक्षता में व करनाल सहकारी चीनी मिल को अधिकतम चीनी रिकवरी के लिए प्रथम पुरस्कार तथा पानीपत सहकारी चीनी मिल को गन्ना विकास में द्वितीय पुरस्कार प्राप्त हुआ।