- January 1, 2020
कंप्यूटर बाबा के बाद अब आईएएस अधिकारी की ताजपोशी की संभावना के बीच बैतूल जिले में मचा बवाल— रामकिशोर दयाराम पंवार
बैतूल (मध्यप्रदेश) —– बीते वर्ष विधानसभा चुनाव के समय कांग्रेस अपने वचन पत्रो के साथ चुनावी मैदान में उतरी थी,लगभग एक साल कांग्रेस के वचन पत्र में बैतूल जिले से निकलने वाली पुण्य सलिला सूर्यपुत्री ताप्ती नदी को लेकर बनाए जाने वाले 100 करोड़ रूपये के ताप्ती न्यास बनाए जाने का भी वादा किया गया था.
धार्मिक आस्था का केंद्र प्रदेश की नर्मदा, शिप्रा, ताप्ती और मंदाकिनी नदी के लिए प्रदेश सरकार चार अलग- अलग ट्रस्ट बनाना था लेकिन सरकार केवल तीन नदियों के न्यास का गठन करके उसकी कुर्सी पर कंप्यूटर बाबा को अध्यक्ष नियुक्त कर चुकी है.
राज्य सरकार प्रदेश की इन चारो धार्मिक दृष्टि से महत्चपूर्ण नदियों के लिए चार करोड़ रूपये का प्रावधान रखी है. प्रत्येक नदी ट्रस्ट के लिए 100 – 100 करोड़ रुपए का बजट प्रस्तावित है. इसके बाद इन चारों नदियों के संरक्षण, सफाई, प्रमुख त्योहारों पर स्नान और मेले जैसी सांस्कृतिक गतिविधियां सब कुछ ट्रस्ट के अधीन होगी .
सरकार ने इन नदियों के ट्रस्ट बनाने का एक्शन प्लान तैयार कर लिया उस पर अमल शुरू कर दिया. प्रदेश सरकार चारों नदियों के लिए अलग से घाटी एवं विकास प्राधिकरण भी गठित करेगी. बीते वर्ष भूतड़ी अमावस्या पर उज्जैन में स्नान के दौरान कीचड़ वाले पानी से श्रद्धालुओं को हुई परेशानी के बाद सरकार ने ट्रस्ट को जल्द से जल्द अस्तित्व में ले आई.
प्रदेश का अध्यात्म विभाग के ड्राफ्ट पर कैबिनेट की मंजूरी मिलते ही कंप्यूटर बाबा पहले राज्य मंत्री दर्जा प्राप्त अध्यक्ष न्यास अध्यक्ष बने. न्यास का मूल काम नदी के सामाजिक, सांस्कृतिक, शैक्षिक, पर्यावरणीय और आर्थिक विकास कार्यों को आगे बढ़ाना है. इसके लिए विशेष तौर पर बजट जारी किया गया.
207 नदियों में से मात्र पांच नदियों को माना
पांच साल में चार नदियों पर चार करोड़ रूपये
यूं तो मध्यप्रदेश को नदियों का मायका कहा जाता है. प्रदुषण के आधार पर बेतवा को मध्यप्रदेश की गंगा कहा जाता है. इसी तरह मालवा की गंगा क्षिप्रा नदी कहा जाता है.
बुंदेलखड की जीवन रेखा बेतवा नदी कहा जाता है. भारत की सबसे बड़ी पांचवी बड़ी नदी का नाम नर्मदा को कहा गया. मध्यप्रदेश में 207 नदियां बहती है.मध्यप्रदेश से निकलने वाली नदियों में सर्वाधिक सुर्खियों में चम्बल रही है.
मध्यप्रदेश की दुसरी सबसे बड़ी नदी है जो बीहड़ / कंदराओ का निमार्ण का करती है. जिसकी वजह यहां पर डाकू और बागियों की शरणस्थली कहा जाता है. इसे महाभारत में चर्मयावति के नाम से पुकारा गया है. कालीदास ने मेघदूत में चम्बल को चमर्णवति नाम दिया गया है.
मध्यप्रदेश की कांग्रेस सरकार ने प्रदेश की 207 नदियों में से मात्र चार नदियों के लिए पांच साल का एक्शन प्लान बनाया है जिसमें चार करोड़ रूपये पांच साल में खर्च करने होगें. एक नदी को एक साल में 25 लाख रूपये मिलेगें. एक्शन प्लान में इस बात का जिक्र है कि ट्रस्ट बनने के डेढ़ साल के भीतर नदियों के विकास का रोडमैप तैयार किया करके उसे मूर्त रूप में प्रदान किया जाए.
ट्रस्ट की वार्षिक रिपोर्ट से लेकर आय- व्यय का ब्योरा भी हर वर्ष पेश किया जाएगा. ट्रस्ट के लिए ऑडिटर होंगे, जो हिसाब – किताब सार्वजनिक करने में मदद करेंगे. ट्रस्ट बनने के बाद इन नदियों को संवारने के लिए कॉर्पोरेट घराने और आम लोग भी खुलकर दान कर सकेंगे. ट्रस्ट में सालाना ऑडिट की व्यवस्था होने से आय-व्यय की पारदर्शिता भी रहेगी.
11 मार्च 2018 को अध्यक्ष बन गए कंप्यूटर बाबा
नियुक्ति वर्ष में हुआ सुधार 2018 की जगह 2019
जबलपुर के बरेला में जन्में श्री नामदेव दास त्यागी उर्फ कम्प्यूटर बाबा को प्रदेश शासन के अध्यात्म विभाग, मंत्रालय के तहत् माँ नर्मदा, माँ क्षिप्रा एवं माँ मंदाकिनी नदी न्यास का अध्यक्ष बनाया गया है.
भाजपा शासन में भी राज्यमंत्री का दर्जा दिया गया था. उन्होंने नर्मदा के प्रति तत्कालीन शासन की अनदेखी के चलते मंत्री पद से इस्तीफा देकर बगावत का बिगुल फूंका था. इसके पश्चात् उन्होंने संपूर्ण प्रदेश में हजारों संतों के साथ माँ नर्मदा के साथ किये गये अन्याय के लिए भाजपा को आड़े हाथों लिया था. प्रदेश में लोकसभा चुनाव की आचार संहिता से पूर्व उन्हें रविवार 11 मार्च 2019 को नदी न्यास का अध्यक्ष घोषित किया गया.
धार्मिक आस्था का बड़ा केंद्र हैं चारों नदियां
नर्मदा :- अमरकंटक से निकलने वाली नर्मदा नदी प्रदेश में सबसे ज्यादा धार्मिक महत्व रखती है. भाजपा सरकार ने नर्मदा सेवा यात्रा निकाली थी. पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह भी चुनाव से पहले नर्मदा सेवा यात्रा पर निकले थे.
शिप्रा:- उज्जैन में हर 12 साल में शिप्रा के किनारे सिंहस्थ मेले का आयोजन होता है. 12 ज्योतिर्लिंग में से एक महाकालेश्वर भी इसी नदी के किनारे स्थित है.
ताप्ती:- बैतूल जिले के मुलताई में इस नदी का उद्गम है. सूर्यपुत्री के नाम से विश्व विख्यात इस नदी को ताप, पाप और श्राप हरने वाली आदिगंगा भी कहते हैं. पूर्व से पश्चिम कर ओर बहने वाली नदियों में शामिल ताप्ती मध्यप्रदेश – महाराष्ट्र – गुजरात का 750 किमी का सफर तय करती है. इस नदी विश्व का एक मात्र बारह ज्योतिलिंग है. ताप्ती में भाई दूज / यम चतुर्थी पर भाई- बहनों के विशेष स्नान का महत्व है.
मंदाकिनी:- मंदाकिनी को पयस्वनी भी कहते हैं. इसका उद्गगम चित्रकूट में है. यह नदी करीब 300 गांवों में सिंचाई का मुख्य जरिया है. यहीं से राम वनगमन पथ की शुरुआत होती है.
ताप्ती न्यास अध्यक्ष की कुर्सी को लेकर कांग्रेसी एवं ताप्ती भक्तो की अंधी दौड़ शुरू
मध्यप्रदेश की कांग्रेस सरकार ने प्रदेश की तीन नदियो के न्यास का एक ही व्यक्ति कंप्यूटर बाबा को अध्यक्ष बना कर सभी को चौका दिया लेकिन प्रदेश की ताप्ती को लेकर अभी तक यह तय नही कर पाई की अध्यक्ष की कुर्सी पर किसकी ताजपोशी होगी. अध्यक्ष की कुर्सी की दौड़ में बैतूल, बुरहानपुर, खंडवा जिले के कांग्र्रेसियो के अलावा ताप्ती भक्तो की एक लम्बी चौड़ी फौज अपनी कुर्सी को लेकर अपने – अपने दावे प्रस्तुत करने में लगी हुई है.इस बीच इस $खबर ने बैतूल जिले में सनसनी पैदा कर दी है कि मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार एक सेवानिवृत आईएएस अधिकारी / बैतूल जिले के पूर्व जिला कलैक्टर डीएस राय की मध्यप्रदेश की चौथी धार्मिक एवं जन आस्था का केन्द्र बनी ताप्ती नदी के न्यास के अध्यक्ष के रूप में ताजपोशी की जा रही है.
जानकार सूत्रो के अनुसार प्रदेश सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के भरोसेमंद आईएएस अधिकारी रहे डीएस राय को लगभग 2020 में ताप्ती न्यास अध्यक्ष की कुर्सी का 20-20 का मैच खेलने जा रहे है. प्रदेश सरकार इसके पूर्व नर्मदा, मंदाकिनी,क्षिप्रा को लेकर बने न्यासो का अध्यक्ष नरसिंहपुर निवासी नामदेव दास त्यागी उर्फ कंप्यूटर बाबा को बनाने के बाद शेष बची बैतूल जिले की मुलताई तहसील से निकलने वाली पुण्य सलिला माँ सूर्यपुत्री ताप्ती को लेकर बनने वाले ताप्ती न्यास का अध्यक्ष बनाने जा रही है.
प्रदेश सरकार को ताप्ती किनारे और खास कर बैतूल जिले का कोई स्थायी मूल निवासी ताप्ती भक्त कांग्रेसी न मिलने की वज़ह से डीएस राय की नियुक्ति करने जा रही है या फिर और कोई वज़ह है जो बताई नहीं जा सकती. डीएस राय को ताप्ती न्यास का अध्यक्ष बनाने के पीछे तर्क दिया जा रहा है कि श्री राय ने ही बैतूल जिले की मुलताई से ताप्ती दर्शन यात्रा जो अब ताप्ती परिक्रमा यात्रा में बदल गई है उसकी शुरूआत की थी लेकिन भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष जितेन्द्र कपूर जो इस यात्रा के अध्यक्ष भी है उनका कहना है कि ताप्ती दर्शन यात्रा समिति में ऐसे लोगो की संख्या सर्वाधिक है जो बीते 15 सालो से यात्रा में भाग ले रहे है और कांग्रेस और भाजपा दोनो ही पार्टी के पदाधिकारी भी है लेकिन आज तक किसी ने भी अपनी दांवेदारी इस रूप में प्रस्तुत नहीं की है जिसका तर्क दिया जा रहा है.
यात्रा की शुरूआत में किसी व्यक्ति का नही बल्कि सभी ताप्ती भक्तो का योगदान है.
सुखदेव पांसे का प्रचार कर चुके है
वोट मांगने के बदले ताज पोशी !!
जानकार सूत्र बताते है 12 जनवरी 1998 में समाजवादी पार्टी के विधायक डाँ सुनीलम् के विधायक कार्यकाल में मुलताई मे ंहुए बहुचर्चित गोलीकांड के बाद बैतूल जिला कलैक्टर बने श्री डी एस राय ने सुखदेव पंासे की राजनीति को उभारने में अच्छी – खासी मदद की थी. श्री राय बीते वर्ष 2018 में कांग्रेस के मुलताई विधानसभा क्षेत्र से प्रत्याशी सुखदेव पांसे के लिए वोट मांगने के लिए आए थे.
पूर्व कलैक्टर एवं सेवानिवृत आईएएस अधिकारी डी एस राय ने साईखेड़ा, मासोद , बिसनूर, हिवरखेड़, सोनोरा, प्रभात पटट्न , मंगोना, बिरूल बाजार में जन सम्पर्क करके कंाग्रेस प्रत्याशी के लिए वोट मांगे थे.
वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में मौजूदा केबिनेट मंत्री श्री सुखदेव पांसे पर पूर्व कलैक्टर श्री डी एस राय पर बड़ा अहसान था जिसे वे चुकाने के लिए केबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त ताप्ती न्यास के अध्यक्ष के रूप में तथाकथित ताजपोशी करवाना चाहते है.
कांग्रेसियों के मुँह पर तमाचा
कुर्सी के दावेदार हजार, मानने को नहीं तैयार !!!
इस समय बैतूल जिले में लालबत्ती की चाह रखने वाले कुर्सी के दावेदारो की गिनती की जाए तो एक हजार के अधिक हो जाएगी लेकिन पार्टी फोरम तो दूर कोई सामने आकर बोलने को भी तैयार नहीं है. जिले के कांग्रेसी नेताओ की स्थिति मुलताई के विधायक एवं केबिनेट मंत्री सुखदेव पांसे के सामने भिगी बिल्ली की तरह है.
जिले में जो कमलनाथ की दुकान चलाने के नाम पर बदनाम है वे कमलनाथ के दरबार मे धक्के खाते वायरल वीडियों में कई बार एक्सपोज हो चुके है. बैतूल जिले मे जबसे चौक चौराहो पर डीएस राय के अध्यक्ष बनने की चर्चा जोर पकडऩे लगी जिले के लोगो के बीच बहस शुरू हो गई.
जिले में सासंद से लेकर विधायक तक बाहर से लोग आकर बनने के बाद भी क्या कांग्रेस पार्टी या प्रदेश की सरकार जिले में किसी एक व्यक्ति को इस पद का उपयुक्त नहीं समझ रही है.
बैतूल जिले में एक भी कांग्रेसी या माँ ताप्ती का भक्त नहीं है जो कमलनाथ या जिले के सबसे ताकतवर केबिनेट मंत्री सुखदेव पांसे की गुड बुक का हो…! बैतूल जिले में कांग्रेस पार्टी यदि किसी बाहरी व्यक्ति को ताप्ती न्यास का अध्यक्ष बनाती है तो जिले के कांग्रेसी आन्दोलित हो जाएगें.
विपक्षी पार्टी कांग्रेस को ताना मार – मार कर उसका जीना दुभर कर देगी लेकिन कांग्रेस को इस बात की कोई परवाह नहीं की कोई क्या सोचेगा या क्या करेगा.
जो वास्तव में है न्यास की कुर्सी पद के दावेदार
जिनको जाना ही जाता है ताप्ती के नाम – काम से
बैतूल जिले में यूं तो पुण्य सलिला माँ सूर्यपुत्री को अपना समयदान कर चुके है ऐसे लोगो की कमी नहीं है. मुलताई से ही यदि शुरूआत करे तो नि:संदेह पत्रकार राजू पाटनकर से लेकर असलम अहमद तक दौड़ में शामिल हो सकते है. नगर पालिका के पूर्व अध्यक्ष रवि यादव हो या फिर मोहन सिंह परिहार सभी की ताप्ती के प्रति श्रद्धा भक्ति बेमिसाल रही है.
कहना नहीं चाहिए लेकिन सिख समुदाय से सरदार हनी सिंह पंवार समाज की ओर राजा पंवार , बल्लू बारंगे, अशोक कड़वे, बालाराम डोंगरदिये ऐसे नाम है जिनको उनकी राजनैतिक पार्टी के प्रति सोच एवं आस्था से न देख कर ताप्ती से जुड़े होने के कारण देखना चाहिए.
जिले में वैसे तो न्यास के अध्यक्ष के दावेदार को ताप्ती के प्रति श्रद्धा एवं विश्वास तथा समपर्ण के आधार पर देखे तो जिले के वरिष्ठ नागरिक संगठन से जुड़े के के पाण्डे सबसे योग्य एवं प्रबल दावेदार है.
के के पाण्डे के ज्येष्ठ पुत्र बज्र पाण्डे जिला कांग्रेस कमेटी के महामंत्री है तथा एक पुत्र नामचीन अधिवक्ता टीटू पाण्डे, ख्याति प्राप्त पत्रकार एवं दैनिक भास्कर गुप्र के संपादक आनंद पाण्डे है. पाण्डे परिवार की कांग्रेस एवं भाजपा दोनो ही दलो में दिल तक पैठ बनी हुई है. बैतूल विधायक निलय डागा भी ताप्ती को लेकर लगातार दो साल से चुनरी यात्रा लेकर जा रहे है उन्हे भलां अध्यक्ष की कुर्सी से कैसे दूर किया जा सकता. वैसे जितेन्द्र कपूर और अलकेश आर्य भी समय – समय पर अपनी ताप्ती भक्ति को प्रदर्शित करते रहे है. तिकडम भिड़ाने में और लाभ वाले पदो को पाने में हमेशा मान – सम्मान अपने लिए बटोरने के लिए ख्याति प्राप्त मोहन नागर को यदि ताप्ती न्यास का अध्यक्ष बनाया जाता तो गंगा अवतरण का नाम लेना छोड़ देगें.
ताप्ती के प्रति आस्था तो बैतूल जिला मुख्यालय के प्रमुख होटल व्यवसायी महावीर मिश्रा की किसी से छुपी नहीं है, उन पर तो हमेशा मौनी बाबा की कृपा बनी रहती है. राजनीति से हट कर बात करे तो ताप्ती न्यास जैसे लाभ के पद को न तो सिददीक पटेल मना कर सकते है और न प्रवीन गुगनानी न्यास अध्यक्ष
की कुर्सी को मना कर पाएगें.
ताप्ती बैराज एवं पारसडोह जिनकी पहचान बनी
बैतूल के पूर्व विधायक हेमंत खण्डेलवाल भी…!!
ऐसे में तो ताप्ती न्यास का अध्यक्ष बनाने का फैसला राजनीति एवं भाई भतीजावाद से हट कर सोचा जाए तो बैतूल के पूर्व विधायक हेमंत खण्डेलवाल किसी से कम नहीं है. कोई कुछ भी कहे ताप्ती बैराज एवं पारसडोह – पचधार जलाशय के निमार्ण का श्रेय तो हेमंत खण्डेलवाल को ही जाता है.
जिला मुख्यालय पर ताप्ती की सेवा के नाम पर चर्चित चेहरे में सबसे पहला नाम किसी का आता है तो वह जिले के नामचीन अधिवक्ता संजय शुक्ला पप्पी का भी है जिनके माध्यम से ताप्ती की मान – सम्मान की अनेक जमीनी एवं कानूनी लड़ाईयां लड़ी गई है. पद एवं योग्यता को पार्टी में देखा जाता है तो बैतूल का गर्ग परिवार के सामने सब बौने है ऐसे में कभी भी पद मांगने के लिए लाइन न खड़े होने वाले गर्ग परिवार से मात्र प्रशांत गर्ग ही एक ऐसा नाम है जिसके कांग्रेस में आम सहमति बनाई जा सकती है.
मध्यम एवं सेवाभावी परिवारो में यदि सरकार की मंशा योग्य व्यक्ति को उपकृत करने की रही तो ऐसे में खेड़ी के पत्रकार मनोहर अग्रवाल को मौका दिया जाना चाहिए क्योकि खेड़ी से ताप्ती चुनरी यात्रा एवं ताप्ती को लेकर जन – जन तक जागृति पैदा करने वालो में श्री अग्रवाल सबसे आगे रहे है.
कार्यकर्ताओं की भावना से अवगत कराऊंगा
कोई भी बने पर सहमति जिला कांग्रेस कमेटी की जरूरी !!
बैतूल जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष श्री सुनिल शर्मा गुडडू से जब इस बारे मे ंसवाल किया तो उनका जवाब था कि मैं जिला कांग्रेस कमेटी का मुखिया होने के नाते कांग्रेसी कार्यकत्र्ताओ की भावनाओ से अपने प्रदेश के मुख्यमंत्री से लेकर जिले के मंत्री तथा विधायक तक को अवगत कराऊंगा.
हम जिन कार्यकत्र्ताओ के बल पर भाजपा के गढ़ में पांच में से चार सीट जीत कर लाए है तो हमारा भी हक और अधिकार बनता है कि हम पार्टी को हमारी भावनाओ से अवगत कराए. जिला कांग्रेस कमेटी जिले के ही व्यक्ति को ताप्ती न्यास बनाने का समर्थन करती है इसलिए क्योकि जिले का व्यक्ति ताप्ती के मान – सम्मान की लड़ाई में भाजपा से बीते 15 वर्षो से लड़ रहे है.
हम चाहते है और पार्टी भी हमारी बात को चाहेगी. मैं अपनी बात सही मंच पर सही समय पर उठाऊंगा. श्री शर्मा कहते है कि अध्यक्ष कोई भी बने हमे कोई आपत्ति नहीं लेकिन जिला कांग्रेस कमेटी की सहमति जरूर ली जाए. किसी बहारी व्यक्ति को अध्यक्ष बनाने से पार्टी के लोगो की निष्ठा को आघात पहुंचता है।