‘और भई क्या चल रहा है ?‘ रात 9.30 बजे और ‘हप्पू की उलटन पलटन‘ में रात 10.00 बजे हर सोमवार से शुक्रवार, सिर्फ एण्डटीवी पर

‘और भई क्या चल रहा है ?‘ रात 9.30 बजे और ‘हप्पू की उलटन पलटन‘ में रात 10.00 बजे हर सोमवार से शुक्रवार, सिर्फ एण्डटीवी पर

खाना पकाना, साफ-सफाई, कपड़े धोना, सफर करना और काफी सारे रोजमर्रा के ऐसे कामों से पर्यावरण पर किसी ना किसी रूप में प्रभाव पड़ता है। पर्यावरण को लेकर हमारी बढ़ती चिंता और जलवायु परिवर्तन इंसानों तथा पशु-पक्षियों की जिंदगी को प्रभावित कर रहे हैं। अब अनुशासित जीवन जीना पहले से भी ज्यादा जरूरी हो गया है।

अनुशासित जीवन का मतलब है किसी की मांगों को पूरा करने के लिये प्राकृतिक संसाधनों का इस्तेमाल कम करना और जितना संभव हो सके पर्यावरण के अनुकूल आदतों को अपनाना। इस साल ‘विश्व पर्यावरण दिवस‘ का विषय है, ‘पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली‘ (इकोसिस्टम रजिस्ट्रेशन)। एण्डटीवी के कलाकार और उत्तरप्रदेश के रहने वाले, योगेश त्रिपाठी उर्फ ‘हप्पू की उलटन पलटन‘ के दरोगा हप्पू सिंह, ‘और भई क्या चल रहा है?‘ के अंबरीश बाॅबी उर्फ रमेश प्रसाद मिश्रा, फरहाना फातिमा उर्फ शांति मिश्रा और अनु अवस्थी उर्फ बिट्टू कपूर, ने अनुशासित जीवन के लिये अपनायी गयी अपनी छोटी-छोटी कोशिशों के बारे में बताया।

योगेश त्रिपाठी उर्फ ‘हप्पू की उलटन पलटन‘ के दरोगा हप्पू सिंह कहते हैं, ‘‘प्रकृति मां की गोद ही हमारा घर है और उसे बचाना हमारा परम कर्तव्य। हमें पर्यावरण के अनुकूल आदतों का पालन करना चाहिये ताकि आगे आने वाली पीढ़ी के लिये हम पर्यावरण के संरक्षण में अपना योगदान दे सकें। हर दिन आज हम जितने भी छोटे-छोटे प्रयास कर रहे हैं उसके परिणाम काफी बड़े और प्रभावी होंगे। चाहे वह पानी बचाने की बात हो या बिजली, रीयूज और रीसाइकिल, ज्यादा से ज्यादा पौधे लगाना, घर पर नाॅनटाॅक्सिक चीजों का इस्तेमाल और इसी तरह की काफी सारी चीजें करने की बात हो।

हम ज्यादा से ज्यादा पानी बचाने की कोशिश करते है। कपड़ों के धुल जाने के बाद मैं घर पर वाॅशिंग मशीन से निकलने वाले पानी का इस्तेमाल टाॅयलेट में करने की कोशिश करता हूं, क्योंकि हर फ्लश के साथ लगभग सात लीटर पानी बर्बाद होता है। ये छोटी-छोटी चीजें बड़ा बदलाव ला सकती हैं।‘‘ अंबरीश बाॅबी उर्फ ‘और भई क्या चल रहा है?‘ के रमेश प्रसाद मिश्रा कहते हैं, ‘‘हम सब पर्यावरण के संरक्षण का महत्व जानते और समझते हैं। अपनी आदतों को लेकर हर दिन की जाने वाली छोटी-छोटी कोशिशें बड़ा बदलाव ला सकती है।

मैं 3 आर को मानता हूं- रीड्यूस, रीयूज और रीसाइकिल। जितना संभव हो सके मैं इसे करता हूं। प्लास्टिक से लेकर पेपर तक, हम उसे दोबारा इस्तेमाल करने की कोशिश करते हैं और सबसे जरूरी बात, इसे कम से कम उपयोग में लाने की कोशिश करते हैं। इसके कुछ विकल्प भी मौजूद हैं जो न केवल पॉकेट-फ्रेंडली हैं, बल्कि ईको-फ्रेंडली भी हैं।

हमारे पास अलग-अलग तरह के जूट बैग्स हैं, हम जब भी कपड़ों की या सब्जियों की शाॅपिंग करने जाते हैं अपने साथ इसे लेकर जाते हैं। ‘विश्व पर्यावरण दिवस‘ के मौके पर मैं सबसे निवेदन करना चाहूंगा कि पर्यावरण की रक्षा की दिशा में एक कदम आगे बढ़ायें और इस धरती को बेहतर बनाने में योगदान दें।‘‘ फरहना फातिमा उर्फ ‘और भई क्या चल रहा है?‘ की शांति मिश्रा ने कहा, ‘‘हम अपनी जिंदगी बेहतर तरीके से जी रहे हैं और पर्यावरण की रक्षा करना हमारी सामाजिक तथा नैतिक जिम्मेदारी है। हम प्रकृति से काफी कुछ लेते हैं, लेकिन उसे वापस लौटाना भी उतना ही जरूरी है। मैं इस बात पर पूरी तरह यकीन करती हूं कि ‘इंसान का एक छोटा कदम मानव जाति के लिये बड़ा कदम है‘। एक छोटी-सी कोशिश बड़ा बदलाव ला सकती है।

दिन में हम बिजली के बल्ब जलाने से ज्यादा नैचुरल लाइट का इस्तेमाल करते हैं। इससे हमें ज्यादा बिजली बचाने में मदद मिलती है और प्रकृति के ज्यादा करीब रह पाते हैं। साथ ही नैचुरल ब्यूटी का भी लुत्फ उठा पाते हैं। इसके अलावा, हम ज्यादा से ज्यादा नैचुरल चीजों का इस्तेमाल करते हैं। आम टॉक्सिक क्लीनर और डिटर्जेंट की जगह कम टेक्निक चीजें लेते हैं। इस तरह की छोटी-छोटी कोशिशें हमें खूबसूरत, हरे-भरे और स्वच्छ कल की तरफ लेकर जाते हैं।‘‘ अनु अवस्थी उर्फ ‘और भई क्या चल रहा है?‘ के बिट्टू कपूर कहते हैं, ‘‘पर्यावरण को लेकर जागरूक होना बेहद जरूरी है। इन अच्छी आदतों को अपने रोजमर्रा के जीवन में शामिल करने के कई तरीके हैं।

नये प्रोडक्ट्स खरीदने की बजाय आपके पास मौजूद चीजों का रीयूज करना, चीजों को फिर से इस्तेमाल करने का अनोखा तरीका है। इससे ऊर्जा की बचत होती है, ग्लोबल वार्मिंग को कम करने में मदद मिलती है और साथ ही धरती के बहुमूल्य संसाधनों को संरक्षित रखने में भी मदद मिलती है। हर दिन पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए की गयी एक कोशिश भी नुकसान को कम कर सकती है! मैंने पानी को ठंडा रखने के लिये एक बड़ा-सा मटका रखा है।

यह किसी आम वाॅटर कूलर की तरह ही प्रभावी तरीके से काम करता है और साथ ही इससे बिजली की बचत भी होती है। इस तरह के छोटे-छोटे और आसान उपाय एक बेहतर कल पाने की दिशा में मदद कर सकते हैं। ‘विश्व पर्यावरण दिवस‘ के मौके पर आइये हम सब मिलकर अभी एक छोटी-सी कोशिश करते हैं और अपनी धरती मां की हरी-भरी मुस्कान एक बार फिर वापस लेकर आते हैं।‘‘

संपर्क
कृति शर्मा
7224830620
इंदौर

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