- November 21, 2015
ऐसे किसान खातेदार जो आयकरदाता है सहायता के पात्र नहीं
मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान के निर्देश पर समस्त जिला कलेक्टर्स को राज्य शासन द्वारा आज दिनांक 20-11-2015 को जारी परिपत्र के अनुसार किसानों को फसल हानि पर सहायता देने की प्रक्रिया को सरल किया गया है। राज्य शासन द्वारा आज जारी निर्देशों में यह स्पष्ट किया गया है कि ऐसे किसान खातेदार जो आयकरदाता है उन्हें सहायता का पात्र नहीं माना जाएगा। आयकरदाता को छोड़कर अन्य सभी किसान पात्र हैं।
आयकरदाता किसान के परिवार से आशय किसान, किसान की पत्नी और अवयस्क संतान से है। यदि कृषक वृत्ति कर एवं सर्विस टैक्स का भुगतान करता है परंतु आयकरदाता नहीं है तो भी उसे राहत राशि की पात्रता होगी। प्रदेश के किसानों के हित में ही सहायता के प्रावधान किए गए हैं। राज्य शासन ने यह भी स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि यदि किसी आयकरदाता खातेदार कृषक ने अपनी भूमि सहमति से किसी ऐसे कृषक को शिकमी/बटाई में दी है जो आयकरदाता नहीं है तो वह (शिकमी/ बटाई कृषक) भी राहत राशि के लिये पात्र होगा।
प्राकृतिक आपदा जैसे बाढ़, ओलावृष्टि, कम वर्षा और सूखे की दशा में किसानों को फसल हानि पर राजस्व पुस्तक परिपत्र 6-4 के प्रावधानों के मुताबिक राहत की राशि बाँटी जाती है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने किसानों की कठिनाई को समझते हुए पूरी संवेदना के साथ समय-समय पर राहत राशि की गणना के लिए दरों में पर्याप्त वृद्धि करवाई है।
मध्यप्रदेश शासन द्वारा 6 नवंबर 2015 को भी सभी जिला कलेक्टर्स को राहत राशि के संबंध में विस्तार से हिदायत दी गई है। एकाधिक जिलों में फसल हानि के मामलों में आयकर दाता किसानों के अलावा ऐसे किसानों को भी सहायता से वंचित करने की जानकारी मिलने पर यह स्पष्ट किया गया है कि ऐसे किसान परिवार जिनके पास ट्रेक्टर और टीवी जैसे उपकरण हैं उन्हें भी सहायता की पात्रता इन निर्देशों के तहत है।
राज्य शासन ने स्पष्ट किया है कि केवल ऐसे खातेदार/कृषकों को छोड़कर जो स्वयं आयकरदाता है अथवा जिनके परिवार का कोई सदस्य आयकरदाता है, अन्य सभी को राहत राशि की पात्रता है। राहत राशि के लिये आवेदन-पत्र सादे कागज पर धारित भूमि एवं बोये रकबे का विवरण दिया जा सकता है।
सूखे और अन्य कारण से फसल हानि उठा रहे किसानों से सिर्फ इस आशय का घोषणा-पत्र लिया जाएगा कि वह या उनके परिवार का कोई सदस्य आयकरदाता नहीं है। घोषणा-पत्र कलेक्टर द्वारा नि:शुल्क उपलब्ध करवाया जाएगा तथापि आवेदक कृषक द्वारा सादे कागज पर अपना नाम, धारित भूमि का विवरण तथा आयकरदाता नहीं होने का उल्लेख किया जाना पर्याप्त होगा।