• January 19, 2016

एसएमएस से होगी ई-रजिस्ट्रेशन की शुरूआत

एसएमएस से होगी ई-रजिस्ट्रेशन की शुरूआत

जयपुर –  प्रदेश में राजकीय चिकित्सा संस्थानों के आउटडोर में आने वाले मरीजों की भारी संख्या को दृष्टिगत रखते हुए ई-रजिस्टे्रेेशन की शुरूआत प्रदेश के सबसे बड़े चिकित्सा संस्थान सवाई मानसिंह चिकित्सालय से की जायेगी। वर्ष 2014-15 में मेडिकल कॉलेज से सम्बद्घित चिकित्सा चिकित्सा संस्थानों के आउटडोर में 1 करोड़ 16 लाख एवं अन्य राजकीय चिकित्सा ंसंस्थानों में 9 करोड़ 27 लाख मरीजों का पंजीयन कर उपचार किया गया।

चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री श्री राजेन्द्र राठौड़ की अध्यक्षता में सोमवार को मध्यान्ह् स्वास्थ्य भवन में आयोजित मुख्यमंत्री सलाहकार समिति के स्वास्थ्य उप समूह की बैठक में यह जानकारी दी गयी। बैठक में स्वास्थ्य उपसमूह के सदस्य डॉ.देवी सेठी एवं डॉ.राधेश्याम शर्मा एवं एनएचएसआरसी के डॉ.जितेन्द्र शर्मा के साथ प्रदेश में स्वास्थ्य के आधारभूत ढ़ांचे को सुदृृढ़ करने के लिए किये जा रहे प्रयासों पर व्यापक चिंतन कर आवश्यक दिशा-निर्देश दिये गये।

श्री राठौड़ ने बताया कि वर्ष 2015 में मेडिकल कॉलेज के सम्बद्ध चिकित्सालयों में प्रतिदिन औसतन 32 हजार मरीजों एवं चिकित्सा स्वास्थ्य विभाग के अन्य चिकित्सालयों में 2 लाख 54 हजार मरीजों का आउटडोर में पंजीयन कर उपचार किया गया है। उन्होंने बताया कि आउटडोर में आने वाले मरीजोंं की भारी संख्या का पंजीयन में लगने वाले समय को कम करने की दृष्टि से ई-रजिस्टे्रशन कर संबंधित मरीज को संभावित समय का एसएमएस के माध्यम से संदेश भेजन की प्रक्रिया पर विचार किया जा रहा है। इसे पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में एसएमएस चिकित्सालय में शीघ्र ही प्रारंभ किया जायेगा। इस सुविधा से मरीज या उनके परिजन ईन्टरनेट के माध्यम से रजिस्टे्रशन करवा सकेंगे एवं उन्हें चिकित्सक को दिखाने के संभावित समय से अवगत करवा दिया जायेगा।

उन्होंने बताया कि 13 दिसम्बर से प्रारंभ हुयी भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत् प्रदेश के एक करोड़ चयनित परिवारों को तीस हजार रुपये से लेकर तीन लाख रुपये की राशि तक का स्वास्थ्य बीमा कवर उपलब्ध करवाया जा रहा है। इस योजना से 328 राजकीय चिकित्सा संस्थानों के साथ ही 292 निजी चिकित्सा संस्थान भी जुड़े चुके हैं। उन्होंने बताया कि 18 जनवरी प्रात: तक इस योजना से 16 हजार 729 व्यक्ति लाभान्वित हो चुके हैं एवं 5 करोड़ 20 लाख रुपये राशि का बीमा क्लेम जनरेट हो चुका है। उन्होंने बताया कि प्रदेश के 200 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में आयुष चिकित्सक भी लगाकर उन्हें वैलनेस सेंटर के रूप में विकसित किया जा रहा है। इन केन्द्रों में प्रतिदिन योगकक्षाओं एवं आहार-विहार ऋतुचर्या पर चर्चा के साथ ही औषधीय पादप लगाये जा रहे हॅै।

चिकित्सा मंत्री ने बताया कि प्रदेश में चिकित्सकों की कमी को दृष्टिगत रखते हुए पीपीपी मोड पर पीएचसी की सेवाओं को सुदृढ़ करने के सार्थक परिणाम मिले हैं। इसे ध्यान में रखते हुए प्रत्येक ब्लॉक में एक-एक सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों को सार्वजनिक निजी सहभागिता के आधार पर संचालित करने पर विचार किया जा रहा है।

उन्होंने बताया कि प्रदेश में सवाईमानसिंह मेडिकल कॉलेज में प्रायोगिक तौर पर ह्दयरोग की चिकित्सा के क्षेत्र में नेचुरल बाईपास माने जाने वाली ईईसीपी तकनीक का प्रयोग प्रारंभ किया जायेगा। उन्होंने बताया कि धर्माथ ट्रस्टों को निशुल्क दवा वितरण करने की स्थिति में निर्धारित शर्ताें पर राजस्थान मेडिकल सर्विसेज कारपोरेशन द्वारा निर्धारित दरों पर जैनेरिक दवाइयां सुलभ जायेगी।

प्रमुख शासन सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य श्री मुकेश शर्मा ने बताया कि प्रदेश में मातृ मृत्युदर एवं शिश मृत्युदर को कम करने की दिशा में किये जा रहे विशेष प्रयासों के तहत् प्रसुताओं एवं नवजात को सभी आवश्यक चिकित्सा सुविधाएं निशुल्क सुलभ करवायी जा रही हैं। उन्होंने बताया कि बीपीएल परिवार की गर्भवती महिलाओं उनके प्रथम प्रसव पर दिये जाने वाले 5 लीटर देशी घी को अब प्रथम एएनसी जांच पर ही सुलभ कराने पर विचार किया जा रहा है।

मुख्यमंत्री सलाहकार समिति के स्वास्थ्य उपसमूह के सदस्य डॉ. देव शेट्टी ने प्रदेश में प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल के संबंध में प्रदेश का एक विशिष्ट मॉडल बनाने की आवश्यकता प्रतिपादित की। उन्होंने कहा कि 90 फीसदी प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल राजकीय चिकित्सा संस्थानों में हो रही है। उन्होंने ग्रामीण एवं सुदूर क्षेत्रों में आवश्यक चिकित्सा सुविधाएं सुलभ कराने में सार्वजनिक निजी सहभागिता को प्रोत्साहित करने पर बल दिया। उन्होंने प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर एमबीबीएस चिकित्सक के साथ ही छह माह का ब्रिज कोर्स करवाकर आयुर्वेद चिकित्सक भी लगाने का सुझाव दिया। उन्होंने ई-हैल्थ सेंटर्स की संख्या को बढ़ाने, जिला अस्पतालों को मेडिकल स्कूल के रूप में विकसित करने एवं होम-हैल्थ एैड जैसे सुझाव भी दिये।

स्वास्थ्य उपसमूह के सदस्य डॉ. राधेश्याम शर्मा ने वैलनेस सेंटर्स सहित राजकीय चिकित्सा संस्थानों की भूमि पर औषधीय पौधे लगाने एवं ऋतु के अनुसार आहार-विहार के संबंध में जनचेतना जाग्रत करने की आवश्यकता प्रतिपादित की।

बैठक में मिशन निदेशक श्री नवीन जैन ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत संचालित कार्याें पर विस्तार से प्रकाश डाला। अतिरिक्त मिशन निदेशक डॉ.नीरज के पवन ने भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना एवं आरोग्य राजस्थान के तहत् हुई प्रगति की जानकारी दी। राजस्थान सर्विसेस कारपोरेशन के प्रबंध निदेशक श्री ओमप्रकाश कसेरा ने निगम द्वारा निशुल्क दवाओं की खरीद, गुणवत्ता जांच एवं वितरण के संबंध में अवगत कराया। संयुक्त सचिव चिकित्सा शिक्षा डॉ. एस.पी.सिंह ने ई-रजिस्टे्शन एवं ईईसीपी पर प्रकाश डाला। निदेशक जनस्वास्थ्य डॉ. बी.आर.मीणा ने सार्वजनिक निजी सहभागिता के तहत् की गयी कार्यवाही की जानकारी दी।

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