- December 17, 2014
एशिया और विश्व की स्थिरता और विकास के लिए भारत-चीन संबंध अहम: राष्ट्रपति
संदेश
अपने संदेश में राष्ट्रपति महोदय ने कहा, ‘मैं संसद में एक सहयोगी, एक विख्यात पत्रकार और एक उत्साही सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में श्री तरूण विजय को कई वर्षों से जानता हॅू।
मैंने इस किताब का अंग्रेजी संस्करण 2001 में पढ़ा था और इसे ज्ञानप्रद्ध और दिलचस्प पाया। यह पुस्तक एक भारतीय तीर्थयात्री के अवचेतन दर्शन पर एक अंतर्द्ष्टिपूर्ण प्रतिबिंब है। श्री विजय ने कैलाश पर्वत मानसरोवर की धार्मिक यात्रा करते समय एक यात्री के आध्यात्मिक अनुभवों को संवेदनशीलता के साथ प्रकट किया है।
मैं प्रसन्न हॅू कि यह पुस्तक अब साउथ एशियन स्टडी सेंटर ऑफ सिचुआन यूनिवर्सिटी द्वारा अनुदित हुई है और ‘अंडरस्टैंडिंग इंडिया’ श्रृंखला की पहली पुस्तक होगी।
भारत और चीन हमारे लोगों के बीच घनिष्ट संबंधों के एक लंबे इतिहास के साथ विश्व की प्राचीन सभ्यताएं रही है। हमारे दोनों देशों के बीच मैत्रीपूर्ण संबंध एशिया और विश्व की स्थिरता और विकास के लिए अहम है।
मुझे भरोसा है कि श्री तरूण विजय की यह पुस्तक हमारी दोनों महान प्राचीन सभ्यताओं के बीच आपसी समझ और विश्वास को बढ़ावा देगी और भारत और चीन के लोगों के बीच अधिक अन्वेषणपूर्ण यात्राओं और आदान- प्रदानों को प्रेरित करेगी।
इस अवसर पर उपस्थित विशिष्ट व्यक्तियों में केन्द्रीय रक्षा मंत्री श्री मनोहर पर्रिकर, राज्यसभा के उपाध्यक्ष श्री पी.जे. कुरियन, विश्व छात्र एवं युवा संगठन के संस्थापक ट्रस्टी श्री दत्तारेय होसबले, केन्द्रीय बिजली, कोयला एवं नवीन तथा नवीकरणीय ऊर्जा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री पीयूष गोयल और केन्द्रीय योजना राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) तथा गृह मंत्रालय में राज्य मंत्री श्री राव इंद्रजीत सिंह शामिल थे।