- July 29, 2015
एनयूएचएम योजना : एडीबी के साथ 30 अरब डॉलर का ऋण समझौता
राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन में सहयोग के लिए दिया जाने वाला ऋण एनयूएचएम के तहत शहरी क्षेत्रों में स्वास्थ्य प्रणालियों को विकसित करने की सरकार की कोशिशों में मजबूती लाएगा। इससे गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं की आपूर्ति होगी तथा शहरी गरीबों तथा निर्बल वर्गों को इसका लाभ मिल सकेगा। यह प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल को मजबूत बनाने पर ध्यान केन्द्रित करेगा तथा स्वास्थ्य एवं शहरी क्षेत्रों के बीच बेहतर समन्वय और सार्वजनिक निजी साझेदारी के अवसरों को भी बढ़ावा देगा।
भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग में संयुक्त सचिव श्री राजकुमार ने भारत सरकार की तरफ से समझौते पर हस्ताक्षर किया। उन्होंने कहा “कार्यक्रम का ध्यान उन प्रमुख क्षेत्रों के बीच समन्वय स्थापित करने पर है, जो शहरी स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं और शहरी स्वास्थ्य सेवाओं के योजना निर्माण और आपूर्ति में शहरी स्थानीय निकायों को सक्रियतापूर्वक शामिल करते हैं। यह बेहद सराहनीय है।”
एडीबी के इंडिया रेजिडेंट मिशन के कंट्री डायरेक्टर एम. टेरेसा खो ने एडीबी की तरफ से समझौते पर हस्ताक्षर किया। उन्होंने कहा, “एडीबी के परिणाम-आधारित उधार देने के तौर-तरीके का उपयोग एनयूएचएम प्रणालियों और समग्र परिणामों को मजबूत बनाएगा, जबकि राज्यों को उस लचीलेपन की अनुमति देगा, जिसकी जरूरत उन्हें स्थानीय तौर पर लक्ष्यों को हासिल करने में पड़ती है।”
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय में संयुक्त सचिव (एनयूएचएम) श्री एन.बी. ढल ने अपने मंत्रालय की तरफ से परियोजना दस्तावेज पर हस्ताक्षर किया। इस ऋण पर हस्ताक्षर करने वालों ने गरीबी उपशमन के लिए जापान द्वारा वित्त पोषित 20 लाख डॉलर की क्षमता निर्माण तकनीकी सहायता के फंड के लिए भी हस्ताक्षर किए।
एनयूएचएम प्रणालियों, प्रबंधन क्षमता एवं क्रियान्वयन प्रक्रियाओं को बढ़ावा देने के लिए अध्ययन एवं अन्वेषण के लिए उल्लेखनीय क्षमता निर्माण एवं व्यवस्था भी इसमें अंतर्निहित हैं।
भारत में तेजी से शहरीकरण हो रहा है, जिसमें शहरी गरीबों में व्यापक वृद्धि हो रही है। शहरी गरीबों की विषम जीवन स्थिति और अच्छी मूलभूत स्वास्थ्य सेवाओं तक उनकी सीमित पहुंच की वजह से शहरी क्षेत्रों में निर्धनों एवं समृद्ध वर्गों के बीच स्वास्थ्य स्थिति में काफी असमानता है। शहरी क्षेत्रों में कुछ रोकथाम संबंधी एवं प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा केन्द्र हैं, जबकि हर वर्ष लाखों लोगों को स्वास्थ्य से संबंधित उच्च लागत की वजह से गरीबी का सामना करना पड़ता है।