• December 15, 2021

एडीजी और आईजी रैंक के अफसर मद्यनिषेध मॉनिटरिंग के साथ जिले के दौरे पर

एडीजी और आईजी रैंक के अफसर  मद्यनिषेध मॉनिटरिंग के साथ जिले के दौरे पर

बिहार ———– शराबबंदी कानून को सख्ती से लागू करने और इसमें किसी तरह की ढिलाई न हो इसके लिए एक दर्जन सीनियर आईपीएस अफसरों को फील्ड में उतारा गया है। एडीजी और आईजी रैंक के इन अफसरों को मद्यनिषेध को लेकर की जा रही कार्रवाई के अनुश्रवण (मॉनिटरिंग) के साथ जिलों के दौरे की जिम्मेदारी सौंपी गई है। डीजीपी एसके सिंघल ने इस बाबत आदेश जारी कर दिया है।

इन अफसरों को मिली जिम्मेदारी

एडीजी सीआईडी जितेंद्र कुमार को केंद्रीय क्षेत्र (पटना रेंज), एडीजी रेल पंकज कुमार दराद को मगध, एडीजी अभियान सुशील खोपड़े को शाहाबाद, एडीजी एटीएस रविन्द्रण शंकरण को तिरहुत, एडीजी प्रशिक्षण आर मलार विझि को चंपारण, एडीजी स्पेशल ब्रांच सुनिल कुमार को सारण, एडीजी एससीआरबी डॉ. कमल किशोर सिंह को पूर्णिया, एडीजी (बजट, अपील एवं कल्याण) पारसनाथ को मुंगेर, एडीजी कमजोर वर्ग अनिल किशोर यादव को बेगूसराय, एडीजी सुरक्षा बच्चू सिंह मीणा को मिथिला, आईजी आधुनिकीकरण केएस अनुपम को भागलपुर और आईजी बीएसएपी एमआर नायक को कोशी रेंज की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

जिलों का दौरा कर देखेंगे क्या हो रही कार्रवाई

डीजीपी एसके सिंघल द्वारा जारी आदेश के मुताबिक एडीजी और आईजी रैंक के ये अफसर आवंटित रेंज के अधीन मद्यनिषेध से संबंधित कार्यों का अनुश्रवण (मॉनिटरिंग) करेंगे। इन्हें रेंज के अधीन पड़ने वाले जिलों का दौरा भी करना होगा। इस दौरान यह भी देखेंगे कि मद्यनिषेध को लेकर क्या कार्रवाई हो रही है। साथ ही अपनी रिपोर्ट हर महीने डीजीपी को देनी होगी।

पहले से आईजी मद्यनिषेध का पद

माना जा रहा है कि शराबबंदी कानून को मजबूती से लागू करने और इसमें किसी तरह की कोई कोताही न हो इसके लिए पुलिस मुख्यालय ने यह कदम उठाया है। शराबबंदी कानून के लागू होने के बाद पहली बार इतनी बड़ी संख्या में एडीजी और आईजी रैंक के अफसरों को इसकी मॉनिटरिंग के लिए फील्ड में भेजा जा रहा है।

इससे पहले पुलिस मुख्यालय में आईजी मद्यनिषेध का पद बनाया गया था। आईजी मद्यनिषेध और उनके कार्यालय द्वारा राज्यभर में हो रही कार्रवाई की मॉनिटरिंग की जाती है। साथ ही शराब की तस्करी रोकने के लिए पुलिस के मद्यनिषेध प्रभाग द्वारा कार्रवाई भी होती है। इसके लिए भी विशेष टीम का गठन किया गया है।

Related post

साड़ी: भारतीयता और परंपरा का विश्व प्रिय पोशाक 

साड़ी: भारतीयता और परंपरा का विश्व प्रिय पोशाक 

21 दिसंबर विश्व साड़ी दिवस सुरेश सिंह बैस “शाश्वत”- आज से करीब  पांच वर्ष पूर्व महाभारत काल में हस्तिनापुर…
पुस्तक समीक्षा :कमोवेश सभी कहानियां गोरखपुर की माटी की खुशबू में तर-बतर है

पुस्तक समीक्षा :कमोवेश सभी कहानियां गोरखपुर की माटी की खुशबू में तर-बतर है

उमेश कुमार सिंह——— गुरु गोरखनाथ जैसे महायोगी और महाकवि के नगर गोरखपुर के किस्से बहुत हैं। गुरु…
पुस्तक समीक्षा : जवानी जिन में गुजरी है,  वो गलियां याद आती हैं

पुस्तक समीक्षा : जवानी जिन में गुजरी है,  वो गलियां याद आती हैं

उमेश कुमार सिंह :  गुरुगोरखनाथ जैसे महायोगी और महाकवि के नगर गोरखपुर के किस्से बहुत हैं।…

Leave a Reply