• January 11, 2016

एक्सप्रैस-वे 83.320 किलोमीटर लम्बे कुण्डली-मानेसर सैक्शन अगस्त, 2018 तक

एक्सप्रैस-वे 83.320 किलोमीटर लम्बे कुण्डली-मानेसर सैक्शन  अगस्त, 2018 तक

चंडीगढ़ — कुण्डली-मानेसर-पलवल (केएमपी) एक्सप्रैस-वे के 83.320 किलोमीटर लम्बे कुण्डली-मानेसर सैक्शन के अगस्त, 2018 तक तैयार होने की उम्मीद है। इस सैक्शन का कार्य मार्च 2016 में आरम्भ होगा और अढ़ाई वर्ष से कम अवधि में पूरा हो जाएगा।

एक सरकारी प्रवक्ता ने आज यहां यह जानकारी देते हुए बताया कि प्रतिष्ठित कुण्डली-मानेसर-पलवल (केएमपी) एक्सप्रैस-वे की 135.65 किलोमीटर लम्बी परियोजना प्रदेश के पांच जिलों को कवर करती है। इन जिलों में सोनीपत, झज्जर, गुड़गांव, मेवात और पलवल शामिल हैं। पिछली कम्पनी द्वारा आवंटित कार्य समय पर पूरा न होने के कारण इस परियोजना का कार्य दो सैक्शनों नामतः मानेसर-पलवल और कुण्डली-मानेसर सैक्शन में पुनः आरम्भ किया गया है।

उन्होंने कहा कि मैसर्ज एस्सेल इन्फ्रास्ट्रक्चर को 1863 करोड़ रुपये की परियोजना लागत के साथ एन्यूटी आधार पर कुण्डली-मानेसर सैक्शन का स्वीकृति पत्र जारी कर दिया गया है। इस परियोजना को आरम्भ करने के लिए कंसेसियनार के साथ रियायती समझौता किया गया है। इस परियोजना के दूसरे सैक्शन 52.33 किलोमीटर लम्बे मानेसर-पलवल सैक्शन का कार्य के.सी.सी. बिल्डकॉन प्राईवेट लिमिटेड-दलीप बिल्डकॉन प्राईवेट लिमिटेड (संयुक्त उद्यम) को आइटम दर मोड पर 401.49 करोड़ रुपये की कुल वित्तीय लागत के साथ आवंटित किया गया है।

इस सैक्शन पर एजेन्सी ने 64 प्रतिशत कार्य पूरा किया है और शेष कार्य प्रगति पर है, जिसको मार्च, 2016 तक पूरा कर लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि अब यह मार्ग चार मार्गीय की बजाय छः मार्गीय पश्चिमी पेरीफेरल एक्सप्रैस-वे (केएमपी) होगा। इस परियोजना के पूरा होने से न केवल दक्षिणी जिलों के साथ उत्तरी हरियाणा का उच्च गति का सम्पर्क उपलब्ध होगा बल्कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में भीड़ भी कम होगी। इसके साथ ही प्रदेश के उत्तरी भाग के टै्रफिक को प्रदेश के दक्षिणी भागों में पहुंचने के लिए राष्ट्रीय राजधानी में से गुजरने की जरूरत नहीं होगी। इस प्रकार, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु प्रदुषण कम करने में सहायता मिलेगी।

प्रवक्ता ने बताया कि इससे पूर्व केएमपी का कार्य जनवरी, 2006 में सौंपा गया था। परन्तु समझौते के अनुसार यह कार्य समय पर पूरा नहीं हुआ। पिछले मार्च में अनुबंध रद्द किया गया था। उन्होंने कहा कि आधारभूत संरचना के साथ-साथ आर्थिक और औद्योगिक विकास को गति देने के उद्देश्य से वर्तमान सरकार ने इस परियोजना को दो सैक्शनों में पुनः आरम्भ करने का निर्णय लिया ताकि इसे समय पर पूरा किया जा सके।

Related post

धार्मिक समाज सुधारकों की परंपरा को बचाने की लड़ाई

धार्मिक समाज सुधारकों की परंपरा को बचाने की लड़ाई

एड. संजय पांडे — शिवगिरी मठ सभी दलों के साथ अच्छे संबंध बनाए रखता है। वार्षिक…
हिमालय की तलहटी में  6.8 तीव्रता का भूकंप,95 लोग मारे गए,नेपाल, भूटान और भारत में भी इमारतों को हिला दिया

हिमालय की तलहटी में  6.8 तीव्रता का भूकंप,95 लोग मारे गए,नेपाल, भूटान और भारत में भी…

बीजिंग/काठमांडू 7 जनवरी (रायटर) – चीनी अधिकारियों ने कहा  तिब्बत के सबसे पवित्र शहरों में से…
1991 के पूजा स्थल कानून को लागू करने की मांग याचिका पर विचार करने पर सहमति : सर्वोच्च न्यायालय

1991 के पूजा स्थल कानून को लागू करने की मांग याचिका पर विचार करने पर सहमति…

सर्वोच्च न्यायालय ने एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी की उस याचिका पर विचार करने पर सहमति जताई…

Leave a Reply