- January 5, 2016
एकल परिवार को आत्मसम्मान – पवनकुमार शर्मा
स०ज०अ०(उदयपुर) — 5 जनवरी/ सम्पूर्ण स्वच्छता कार्यक्रम वृद्ध बेवा श्रीमती सूरजकुँवर के जीवन में आत्म स्वाभिमान का संदेश लेकर आया। आज अपने घर में शौचालय बन जाने से सूरजकुँवर बेहद खुश है कि उसे व अपने बेटे को घर से दूर अकेले खुले में शौच के लिए घर से बाहर जाने से मुक्ति मिल गई है।
भीण्डर पंचायत समिति की खेरोदा के बीपीएल परिवार की वृद्धा श्रीमती सूरजकुंवर (75) अपने इकलौते बेटे के साथ रहती है। विपरीत आर्थिक परिस्थितियों के चलते इनके परिवार में शौचालय बनाना नामुमकिन सा था। ऎसे में घर से बहुत दूर शौच के लिए जाना उनकी मजबूरी सी हो गई थी। घर में और कोई महिला भी नहीं जो उनकी मदद करें। लेकिन तकलीफ भरा दौर लम्बे समय तक जीने के बाद इस परिवार को सरकार की मदद ने शौचालय निर्माण के लिए प्रोत्साहित किया।
सूरज देवी एवं उनके बेटे को सरपंच दिनेश पटेल एवं ब्लॉक कॉर्डिनेटर डूलेसिंह राठौड़ ने सम्पूर्ण स्वच्छता कार्यक्रम के लिए चले सघन अभियान में इनके घर जाकर अपना शौचालय बनाने की सलाह दी। जब परिवार को मालूम पड़ा कि इनमें सरकार भी सहायता दे रही है तो उनका मनोबल बढ़ा। आखिर साझी पहल रंग लायी और घर में शौचालय बन गया सरकार का अनुदान भी मिला और संकोच के साथ खुले में रोजाना शौच के लिए जाने की मानसिक और शारीरिक पीड़ा से निजात भी।
आज सूरजकुँवर अपने को भाग्यशाली मानती है कि वे सम्पूर्ण शौचमुक्त अभियान का हिस्सा बनीं और उनके साथ ही कई परिवार भी उनसे प्रेरित होकर अपने शौचालय के निर्माण के लिए मनोयोग से जुट गए हैं। पूरी पंचायत शीघ्र खुले में शौच के अभिशाप से मुक्त हो, इसके लिए सभी बाशिंदे एकजुट होकर प्रयास कर रहे हैं।
उदयपुर, 5 जनवरी / सराड़ा जनजाति बाहुल्य क्षेत्रा के खरबर निवासी वाला मीणा ने अपने घर में शौचालय बनाकर गांव समाज के सामने स्वच्छता की मिसाल पेश की है।
काश्तकार वाला मीणा की मानसिकता के चलते सभी को लगता था कि यह कभी स्वच्छता अभियान को नहीं अपनाएगा वरन उसका पूरा परिवार खुले में शौच जाने का आदी था।
गांव वालों ने कई मर्तबा सरकार की योजना से उसकोे समझाने की हरचन्द कोशिश भी की लेकिन वह अपने घर में शौचालय बनाने की बात को कभी मानने को तैयार नहीं हुआ। निगरानी समिति व मॉर्निंग फॉलोअप अभियान के सदस्य भी उसे मनाने के लिए जुटे रहे पर थक हार गए। वह टस से मस नहीं हुआ।
आखिरकार जिला कलक्टर, प्रधान, विकास अधिकारी, सरपंच, सचिव एवं ब्लॉक समन्वयक व निगरानी समिति ने एक बार साझा प्रयास कर इससे गांव में होने वाली अस्वच्छता, फैलने वाली बीमारियों एवं महिलाओं की लाज शर्म का वास्ता दिया तो यह बात वाला के दिमाग में बैठ गई। उसने स्वच्छता कार्यक्रम को सफल बनाने में अपने घर में शौचालय बनाने का फैसला ले लिया। फिर क्या था बहुत कम समयावधि में उसने घर में शौचालय बनाने का काम पूरा कर लिया।
आज वाला एवं उसका परिवार खुले में शौच की अपनी पुरानी आदत भुलाकर घर के शौचालय का उपयोग कर रहा है। वाला को पछतावा है कि उसने पहले ऎसा क्यों नहीं कर दिया जबकि उसे खूब समझाया भी था। और तो और उसकी इस दकियानूसी सोच की वजह से पूरा गांव प्रभावित हो रहा था। अपनी सोच बदलने के लिए प्रशासन एवं गांव वासियों का तहे दिल से आभार व्यक्त कर रहा है। साथ ही ग्रामवासियों को भी इस बात की खुशी है कि आखिर वाला का मन बदला और उसके परिवार ने आखिरकार खुले में शौच की जिद को तिलान्जलि दी।