एएमआर पॉलिसी — रोगाणुओं का खत्म करना मुश्किल

एएमआर पॉलिसी —  रोगाणुओं का खत्म करना मुश्किल

भोपाल : ——– एन्टीबॉयोटिक दवाओं के अत्यधिक उपयोग, एक साथ कई दवाओं के सेवन और निर्धारित मात्रा से कम डोज लेने से एन्टीबॉयोटिक दवाएं जब रोगाणुओं पर बेअसर होने लगती हैं, तो इनसे रोगाणुओं का खत्म करना मुश्किल हो जाता है। इस समस्या से निपटने के लिये राज्य सरकार द्वारा एएमआर पॉलिसी बनाई गई है। पॉलिसी के विभिन्न प्रावधानों से मीडिया प्रतिनिधियों को अवगत कराने के उद्देश्य से आज भोपाल में मीडिया अवेयरनेस वर्कशॉप आयोजित की गई। मीडिया वर्कशॉप का आयोजन विश्व एन्टीबॉयोटिक सप्ताह के अंतर्गत किया गया।

वर्कशॉप में जानकारी दी गई कि एन्टीबॉयोटिक का उपयोग स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त अन्य विभाग जैसे कृषि, मत्स्य, पशुपालन के द्वारा भी किया जा रहा है। इन विभागों में भी एन्टीबॉयोटिक का उपयोग तय मापदण्ड के अनुरूप नहीं हो रहा था, जिससे मनुष्यों में प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से एन्टीबॉयोटिक रेजिस्टेंस बढ़ता जा रहा है। एन्टीबॉयोटिक का अनावश्यक उपयोग रोकने के लिये एमपी एएमआर पॉलिसी को लागू किया गया है। कार्यशाला में एम्स, जीएमसी और स्वास्थ्य विभाग के विशेषज्ञ प्रतिनिधियों द्वारा एएमआर पॉलिसी के संबंध में विस्तार से जानकारी दी गई। विभिन्न संबंधित विभागों के अधिकारियों ने भी कार्यशाला में जानकारी दी।

आम जनता को एन्टीबॉयोटिक दवाओं का उचित प्रकार से उपयोग करने के प्रति जागरूक करने में मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करते हुए मीडिया से आग्रह किया गया कि वह सक्रियता से पॉलिसी के क्रियान्वयन में सहभागी बने। राज्य स्वास्थ्य संस्थाओं में स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में किये जा रहे सुधारों और एएमआर पॉलिसी के क्रियान्वयन के लिये जरूरी व्यवस्थाओं को सुनिश्चित करने के संबंध में संयुक्त संचालक स्वास्थ्य डॉ. पंकज शुक्ला ने विस्तार से मीडिया प्रतिनिधियों से चर्चा की।

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