- January 16, 2016
उद्योगों के कब्जे वाले क्षेत्रों में क्रिटिकल इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट स्कीम
कम से कम 50 संचालन इकाइयां की सदस्यता वाले औद्योगिक संघ एवं औद्योगिक कलस्टर अनुदान प्राप्त कर सकेंगे।
चण्डीगढ़ – हरियाणा सरकार ने निर्धारित जोन में नये एवं विद्यमान उद्योगों के कब्जे वाले क्षेत्रों में आधारभूत सरंचना के सृजन या उन्नयन के लिए क्रिटिकल इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट स्कीम अधिसूचित की है। उद्योग एवं वाणिज्य विभाग के एक प्रवक्ता ने आज यहां यह जानकारी देते हुए बताया कि इस योजना का उद्देश्य उद्यमियों को आधारभूत संरचना के पर्याप्त प्रावधानों के साथ एक सौहार्दपूर्ण वातावरण में कार्य करने की सुविधा उपलब्ध करवाना है।
इस योजना के तहत निर्धारित क्षेत्रों में नये एवं विद्यमान उद्योगों के कब्जे वाले क्षेत्रों में सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों के लिए पानी, जल निकासी एवं सिवरेज, निस्सार शोधन संयंत्र एवं अन्य प्रदूषण नियंत्रण उपाये स्थापित करने, सड़क, कच्चे माल के बैंक एवं सांझा सेवा सुविधाएं जैसी आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाने पर बल दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि योजना के तहत कम से कम 50 संचालन इकाइयां की सदस्यता वाले औद्योगिक संघ एवं औद्योगिक कलस्टर अनुदान प्राप्त कर सकेंगे।
छोटे समूहों के मामले में प्रत्येक मामले की मैरिट को ध्यान में रख कर वित्तीय सहायता प्रदान करने पर विचार किया जाएगा। बहरहाल, उनकी संख्या 30 से कम नहीं होनी चाहिए। इसके अतिरिक्त, आधारभूत संरचना के सृजन से लोगों को असुविधा नहीं होनी चाहिए तथा इसके लिए सक्षम प्राधिकारी से आवश्यक अनुमति लेना भी अनिवार्य होगा। आधारभूत संरचना के सृजन के लिए आवश्यक भूमि की व्यवस्था स्पेशन पर्पज व्हीकल (एसपीवी) द्वारा अपने स्वयं के संसाधनों की जाएगी।
बहरहाल, सार्वजनिक भूमि उपलब्ध होने पर प्रासंगिक प्राधिकरण से आवश्यक अनुमति लेनी होगी। उन्होंने कहा कि दो करोड़ रुपये तक की परियोजना के लिए 80 प्रतिशत तक वित्तीय सहायता या सहायता अनुदान दिया जाएगा, शेष राशि की व्यवस्था एसपीवी को अपने संसाधनों से करनी होगी।
परियोजना लागत में केवल आधारभूत संरचना की लागत ही शामिल होगी। उन्होंने कहा कि सहायता अनुदान प्राप्त करने के लिए निर्धारित प्रोफार्मा में आवेदन करना होगा। एसपीवी में सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों की परिभाषा के तहत आने वाले सदस्य शामिल होंगे।
कलस्टर लाभानुभोगियों का हिस्सा परियोजना की कुल लागत के 20 प्रतिशत से कम नहीं होगा। अपने वित्तीय स्टॉक एवं प्रबंधन के मामले में सभी प्रतिभागी इकाइयां स्वतंत्र होंगी। इक्विटी पूंजी में किसी भी इकाई का 10 प्रतिशत से अधिक हिस्सा नहीं होगा।
प्रवक्ता ने कहा कि परियोजनाओं को स्वीकृति प्रदान करने के लिए सरकार द्वारा उद्योग एवं वाणिज्य विभाग के प्रधान सचिव की अध्यक्षता में एक राज्य स्तरीय संचालन समिति गठित की जाएगी, जिसमें वित्त विभाग का एक प्रतिनिधि, हरियाणा वित्त निगम के महाप्रबन्धक या डीजीएम और पंजाब नेशनल बैंक का एक प्रतिनिधि सदस्य होंगे तथा उद्योग एवं वाणिज्य विभाग के महानिदेशक सदस्य सचिव के रूप में कार्य करेंगे।
कमेटी की दो महीने में एक बार बैठक बुलाई जाएगी। उन्होंने कहा कि यह कमेटी परियोजनाओं के विकास में समन्वयन एवं नजर रखने के लिए शीर्ष निकाय होगी। यह कमेटी एसपीवी के सदस्यों को अन्य विभागों से राज्य सरकार की स्वीकृति प्राप्त करने में मदद करेगी।
उन्होंने कहा कि एसपीवी को परियोजना का स्वीकृति पत्र जारी होने की तिथि से 18 महीनों के भीतर परियोजनाओं को पूरा करना होगा। बहरहाल, देरी के संतोषजनक कारण होने पर राज्य सरकार परियोजना को पूरा करने के लिए अधिक समय प्रदान करेगी।