• September 13, 2017

उद्देश्य विहीन शादी को लंबा खींचने और दोनों पक्षों की पीड़ा बढ़ाने का कोई मतलब नहीं

उद्देश्य विहीन शादी को लंबा खींचने और दोनों पक्षों की पीड़ा बढ़ाने का कोई मतलब नहीं

दिल्ली ————-सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि जब हिंदू पति-पत्नी के बीच रिश्ते सुधरने की जरा भी गुंजाइश न रह जाए तो दोनों की आपसी सहमति से तुरंत तलाक की इजाजत दी जा सकती है. 1-20

सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि शादीशुदा जोड़ा आपसी सहमति से अलग होना चाहते हैं तो हिंदू विवाह अधिनियम के तहत ‘कूलिंग ऑफ पीरियड’ के छह महीनों के प्रावधान में छूट देनी चाहिए.

8 साल से अलग रह रहे दंपत्ति की याचिका पर टिप्पणी

दिल्ली के एक दंपत्ति ने कोर्ट में दलील दी कि वे कई सालों से एक दूसरे से अलग रहे हैं. ऐसे में उन दोनों के साथ आने की कोई गुंजाइश नहीं है, जिससे आपसी सहमति से तलाक के मामले में छह महीने के वेटिंग पीरियड को कम किया जाए.

जज आदर्श कुमार गोयल और यूयू ललित की बेंच ने छह महीने के कूलिंग ऑफ पीरियड की कानूनी बाध्यता को हटाते हुए कहा कि उद्देश्य विहीन शादी को लंबा खींचने और दोनों पक्षों की पीड़ा बढ़ाने का कोई मतलब नहीं है.

‘कूलिंग ऑफ पीरियड’ से आजादी
कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में साफ किया है की दंपत्ति को ‘कूलिंग ऑफ पीरियड’ से तभी आजादी मिलेगी जब दोनों पार्टी में तमाम सिविल और क्रिमिनल मामले में समझौता, गुजारा भत्ता और बच्चों की कस्टडी तय हो गई हो. ऐसी स्थिति में पहले मोशन के 7 दिनों के बाद दोनों पक्ष वेटिंग पीरियड को खत्म करने की अर्जी के साथ सेकंड मोशन दाखिल कर सकते हैं.

Related post

द्वितीय चरण : 88 लोकसभा सीट:  60.96 प्रतिशत मतदान

द्वितीय चरण : 88 लोकसभा सीट: 60.96 प्रतिशत मतदान

PIB Delhi. —– आम चुनाव 2024 के दूसरे चरण के मतदान के तहत 88 लोकसभा सीटों…
तर्कहीन बयानों से जूझती चुनावी राजनीति

तर्कहीन बयानों से जूझती चुनावी राजनीति

तर्कहीन बयानों से जूझती चुनावी राजनीति भ्रमित होते आम मतदाता किस पर करे विश्वास ——–  सुरेश…
VVPAT पर्चियों के 100% सत्यापन की याचिका खारिज  : सुप्रीम कोर्ट

VVPAT पर्चियों के 100% सत्यापन की याचिका खारिज : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने 24 अप्रैल को मतदाता सत्यापन योग्य पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) पर्चियों के साथ…

Leave a Reply