उद्देश्य प्रदूषण में कमी : कोयला आधारित ताप विद्युत संयंत्रों के लिए संशोधित मानक

उद्देश्य प्रदूषण में कमी : कोयला आधारित ताप विद्युत संयंत्रों के लिए संशोधित मानक

पेसूका –                    पर्यावरण , वन तथा जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने कोयला आधारित ताप विद्युत संयंत्रों के लिए संशोधित मानकों को अधिसूचित कर दिया है । इसका प्राथमिक उद्देश्य प्रदूषण में कमी लाना है । नए मानक चरणबद्ध तरीके से अमल में लाए जाएंगे । ताप विद्युत संयंत्रों को तीन श्रेणियों-(1) 31 दिसंबर 2003 से पहले के स्थापित संयंत्र(2) 2003 के बाद 31 दिसंबर 2016 तक स्थापित संयंत्र(3) 31 दिसंबर 2016 के बाद स्थापित संयंत्र- में रखा गया है ।

नए मानकों का उद्देश्य पीएम 10(0.98 केजी/ मेगावाट), सल्फर डायऑक्साइड (7.3 केजी/ मेगावाट ) तथा नाइट्रोजन ऑक्साइड (4.8 केजी / मेगावाट ) के उत्सर्जन को कम करना है । इससे ताप विद्युत् संयंत्रों के आस-पास की व्यापक वायु गुणवत्ता (एएक्यू) में सुधार लाने में मदद मिलेगी । सल्फरडाइऑक्साइड – एसओ2 तथा नाइट्रोजन ऑक्साइड की प्रस्तावित सीमा को नियंत्रित करने वाली टेक्नोलॉजी से मरकरी उत्सर्जन ( 70-90 प्रतिशत) को नियंत्रित करने में सहायता मिलेगी । ताप विद्युत संयंत्रों में जल के उपयोग को नियंत्रित करने से जल संरक्षण( लगभग 1.5 एम3/मेगावाट) होगा क्योंकि ताप विद्युत संयंत्र जल प्रोत्साहन उद्योग है । इससे जल के लिए आवश्यक ऊर्जा में कमी लाने में मदद मिलेगी ।

हाल के संयंत्रों के लिए मानकों को कठोर बना दिया गया है । भविष्य में स्थापित किए जाने वाले संयंत्रों के लिए भी कठोर मानक हैं । मानक केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड(सीपीसीबी) की सिफारिशों पर आधारित हैं और मानकों पर हितधारकों के बीच विचार-विमर्श हुआ है । जनसाधारण की प्रतिक्रिया जानने के लिए मंत्रालय ने मानकों को अपनी वेबसाइट पर डाल रखा है । विशेषज्ञ समितित में व्यापक चर्चा के बाद इन मानकों को 7 दिसंबर 2015 को भारत के राजपत्र में अधिसूचित कर दिया गया ।

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