उत्पादों को अब एगमार्क लेने के लिए कोलकाता नहीं जाना पड़ेगा

उत्पादों को अब एगमार्क लेने के लिए कोलकाता नहीं जाना पड़ेगा

पटना — बिहार के उत्पादों को अब एगमार्क लेने के लिए कोलकाता नहीं जाना पड़ेगा। सरकार यह व्यवस्था फिर से बिहार में करने जा रही है। इसके लिए जरूरी जमीन की व्यवस्था करने का आश्वासन केन्द्र सरकार की मांग पर बिहार सरकार ने दिया है। प्रयोगशाला के बन जाने से राज्य के खाद्य उत्पादों के लिए एगमार्क प्रमाणीकरण की सुविधा राज्य के अंदर ही उपलब्ध हो सकेगी। निर्यात की परेशानी भी दूर होगी।

राज्य में बड़े पैमाने पर किसानों का कृषक उत्पादक समूह (एफपीओ) का गठन हो रहा है। ये एफपीओ कुछ न कुछ उत्पादन करेंगे, लेकिन एगमार्किंग की सुविधा पटना में नहीं होने से किसानों को परेशानी होगी। लिहाजा बिहार सरकार ने एक बार फिर पटना में एगमार्किंग सुविधा बहाल करने की मांग केन्द्र से की थी।

केन्द्र की ओर से सहमति प्रदान कर इसके लिए लगभग दस कट्ठा जमीन की मांग की गई है। कृषि मंत्री अमरेन्द्र प्रताप सिंह ने जमीन उपलब्ध कराने का अश्वासन दे दिया है। लिहाजा सब ठीक रहा तो बिहार में एक फिर से एकमार्किंग सुविधा बहाल हो जाएगी। बहुत पहले यह सुविधा भी बिहार में थी। लेकिन कोलकाता में बेहतर प्रयोगशाला लगने के बाद बिहार को कोलकाता से जोड़ दिया गया। लिहाजा किसानों को परेशानी होने लगी।

बिहार के किसानों का उत्पाद का आसानी से निर्यात करने के लिए राज्य सरकार को फाइटोसेनिटरी सर्टिफिकेट देने का अधिकार पहले ही मिल चुका है। अब तक यह प्रमाण पत्र मुंबई- कोलकाता से जारी कराया जा रहा था। इस प्रमाण पत्र को जारी करने में उत्पाद की जांच में यदि कोई दिक्कत आती है तो बिहार कृषि विश्वविद्यालय मदद करता है।

कृषि उत्पादक संगठन से जुड़ीं गतिविधियों को बढ़ावा के लिए सरकार के कई संगठन काम कर रहे हैं। इनमें नाबार्ड, राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी), भारतीय राष्ट्रीय सहकारी विपणन संघ (नेफेड), लघु कृषक कृषि व्यापार संघ (एसएफएसी), जीविका, बिहार बागवानी विकास सोसायटी (बीएचडीएस) शामिल हैं। लिहाजा एगमार्किंग की सुविधा भी जरूरी है।

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