उत्पादकता में खासी बढ़ोतरी की बदौलत ही प्रभावशाली एवं सतत रूप से खाद्य सुरक्षा संभव’ -श्री राधा मोहन सिंह

उत्पादकता में खासी बढ़ोतरी की बदौलत ही प्रभावशाली एवं सतत रूप से खाद्य सुरक्षा संभव’ -श्री राधा मोहन सिंह
नई दिल्ली  – केन्द्रीय कृषि मंत्री श्री राधा मोहन सिंह ने विशेष जोर देते हुए कहा है कि किसानों की आमदनी में बढ़ोतरी और उपभोक्ताओं को किफायती मूल्यों पर उच्च गुणवत्ता वाले खाद्य पदार्थों की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए उत्पादकता में खासी बढ़ोतरी जरूरी है, जो उच्च गुणवत्ता वाले बीजों की आपूर्ति से ही संभव है।
गुजरात एवं अन्य राज्यों जैसे महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक एवं तमिलनाडु में बीटी कॉटन का प्रयोग किए जाने से यह बात साफ हो गयी कि इस तरह की नई प्रौद्योगिकी किसानों की आमदनी बढ़ाने में किस हद तक उपयोगी साबित हो सकती है, जिसका अनुकूल असर किसानों की खुशहाली पर भी पड़ता है।
उन्होंने कहा कि इसके अलावा भी कई ऐसी तकनीक हैं जिनका भारत में वाणिज्यिक इस्तेमाल होने पर उत्पादकता में खासी बढ़ोतरी होगी। इससे किसानों की आमदनी बढ़ने के साथ-साथ उनकी खुशहाली भी सुनिश्चित होगी। तृणनाशक (हर्बिसाइड) एवं सूखे को झेलने की क्षमता, नाइट्रोजन का बेहतर उपयोग, स्वास्थ्य वर्धक तेल एवं चारा और पोषण में बढ़ोतरी इन नई तकनीकों में शामिल हैं।

श्री राधा मोहन सिंह आज आगरा में आयोजित ‘भारत बीज कांग्रेस- 2015’ के उद्घाटन के अवसर पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि कम मात्रा में कच्चे माल जैसे पानी एवं भूमि के उपयोग से ज्यादा उत्पादकता सुनिश्चित करने के अलावा यह भी जरूरी है कि समुचित तकनीक अपनाकर सूखे, बाढ़, खारापन, जैविक एवं अन्य अजैविक चीजों के चलते होने वाले नुकसान को भी खत्म किया जाए। उन्होंने कहा कि इस संदर्भ में आनुवांशिक (जेनेटिक) इंजीनियरिंग में काफी संभावनाएं नज़र आ रही हैं।

श्री सिंह ने कहा कि किसानों को अनूठी चीजें एवं तकनीक मुहैया कराने के लिए सार्वजनिक एवं निजी दोनों ही क्षेत्रों में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर संस्थागत सहयोग आवश्यक है। हालांकि, इस तरह की व्यवस्था से सभी हितधारकों को लाभान्वित होना चाहिए। उन्होंने कहा कि तकनीकों के मूल्य निर्धारण एवं लाइसेंसिंग की तर्कसंगत व्यवस्था कायम करने पर ही नई-नई तकनीकों को काफी तेज़ी से अपनाया जा सकता है, जिससे जहां एक ओर समान अवसर सुनिश्चित होंगे, वहीं दूसरी ओर स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को भी बढ़ावा मिलेगा।

श्री सिंह ने विशेष जोर देते हुए कहा कि उत्पादकता में बढ़ोतरी के मार्ग में नज़र आ रही बाधाओं को समाप्त करने के लिए बीजों में बेहतर आनुवांशिक व्यवस्था सुनिश्चित करने के साथ-साथ उन्नत एग्रीनोमी (कृषि विज्ञान) को अपनाना भी जरूरी है। उन्होंने कहा कि इस दिशा में निजी संगठित बीज उद्योग ने अहम योगदान दिया है और सार्वजनिक क्षेत्र के साथ सफलतापूर्वक पूरक के तौर पर काम किया है। उन्होंने कहा कि इसके मद्देनज़र सरकार कृषि क्षेत्र के समग्र विकास के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) पहल को बढ़ावा देगी।

श्री सिंह ने कहा कि उत्पादकता में खासी बढ़ोतरी की बदौलत ही प्रभावशाली एवं सतत रूप से खाद्य सुरक्षा लक्ष्य को पाया जा सकता है।

इस अवसर पर श्री राधा मोहन सिंह ने यह भी कहा कि जहां एक ओर कृषि देश को निवाला देती है, वहीं दूसरी ओर बीज कृषि का पोषण करते हैं। खेती-बाड़ी में बेहतर उत्पादकता के लिए बीजों की खास अहमियत है। किसी भी बीज में ढेर सारी खूबियों को समाहित कर उसे प्रतिकूल मौसम का सामना करने में सक्षम बनाया जा सकता है।

स्वास्थ्यवर्धक लाभ, फसलों की सुरक्षा, जल एवं मिट्टी से संबंधित पोषण इन खासियतों में शामिल हैं। उन्होंने कहा कि आखिरकार बीजों की बदौलत ही उत्पादकता बढ़ाई जा सकती है। अतः परंपरागत एवं जैव तकनीक को अपनाते हुए बीजों को बेहतर बनाने के लिए दी जाने वाली नीतिगत सहायता देश में खाद्य एवं पोषण संबंधी सुरक्षा सुनिश्चित करने में काफी मददगार साबित होगी।

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