उच्च शिक्षा के अंतरराष्ट्रीय रुझानों की पहचान और बदलाव प्रक्रिया को अपनाना जरूरी: राष्ट्रपति

उच्च शिक्षा के अंतरराष्ट्रीय रुझानों की पहचान और बदलाव प्रक्रिया को अपनाना जरूरी: राष्ट्रपति
राष्ट्रपति सचिवालय –   राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने आज राष्ट्रपति भवन में केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के सम्मेलन का उद्घाटन किया। पद ग्रहण करने के बाद माननीय राष्ट्रपति की ओर से बुलाया गया केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों का यह तीसरा सम्मेलन था। सम्मेलन में 40 केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपति हिस्सा ले रहे थे। राष्ट्रपति इन विश्वविद्यालयों के विजिटर हैं।

सम्मेलन में राष्ट्रपति ने कहा कि दुनिया भर में शिक्षा के क्षेत्र में तेज बदलाव लाने की ताकत रखने वाली उभरती प्रवृतियों की पहचान बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा की बढ़ती लागत और तकनीकी बदलावों की वजह से शिक्षा हासिल करने वालों की प्रवृति में बदलाव आया है और ज्ञान प्रदान करने के वैकल्पिक स्वरूप भी उभर रहे हैं। लिहाजा केंद्रीय विश्वविद्यालयों का दायित्व है कि उच्च शिक्षा प्रणाली में बदलाव लाने वाली इस प्रक्रिया के वाहक बनें।

राष्ट्रपति ने कहा भारत से उच्च शिक्षा हासिल करने वालों को दुनिया की सर्वश्रेष्ठ प्रतिभाओं से होड़ करनी होगी। इसलिए युवाओं के बीच प्रतिस्पर्धा की भावना भरनी होगी और उन्हें अपने विश्वविद्यालयों पर गर्व करना सिखाना होगा। हमारे विश्वविद्यालयों की अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग के लिए देश के विश्वविद्यालयों को राष्ट्रीय रैंकिंग फ्रेमवर्क में रेटिंग हासिल करने की कोशिश करनी चाहिए। इस फ्रेमवर्क को तेजी से विकसित करना होगा।

राष्ट्रपति ने केंद्रीय विश्वविद्यालयों में खाली पड़े पदों पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि 31 मार्च, 2013 को केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के 37.3 फीसदी पद खाली पड़े थे। लेकिन 1 दिसंबर, 2014 को ये बढ़ कर 38.4 फीसदी हो गए। उन्होंने कहा कि शिक्षकों की चयन कमेटी में विजिटर के नामितों की उपलब्धता की समस्या सुलझा ली गई है।

हर केंद्रीय विश्वविद्यालय में ऐसे पांच नामितों का एक पैनल होगा और जिन्हें मौजूदा निर्देश के मुताबिक तुरंत बुलाया जा सके। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों और उद्योगों को नजदीक लाने पर ज्यादा ध्यान देना होगा और इसे एक दिशा मुहैया करनी होगी। लेकिन अब तक सिर्फ चार विश्वविद्यालयों ने ही सेंटर ऑफ एक्सेलेंस की स्थापना की है। पांच विश्वविद्यालय इस दिशा में काम कर रहे हैं।

राष्ट्रपति ने अपनी नार्वे और फिनलैंड की यात्रा का जिक्र किया और कहा कि उन्होंने वहां के शिक्षाविदों और विशेषज्ञों को भारत में पढ़ाने की लिए आमंत्रित किया है। ग्लोबल इनिशिएटिव आफ एकेडेमिक नेटवर्क्स (जीआईएएन) के तहत मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने केंद्रीय विश्वविद्यालयों को प्रमुख विद्वानों और शोधकर्ताओं की एक सूची तैयार करने को कहा है ताकि उन्हें अतिथि प्रवक्ता या विद्वानों के तौर पर बुलाया जा सके। उन्होंने कहा कि शिक्षकों और पढ़ाने के तरीकों पर हाल में शुरू हुए पंडित मदन मोहन मालवीय मिशन प्रदर्शन मानक तय करेगा और पढ़ाने के नए तरीके की विश्वस्तरीय सुविधाएं तैयार करेगा।

राष्ट्रपति ने कहा कि विश्वविद्यालयों में पढ़ाने के नए तरीके और शोध को बढ़ावा देने के लिए सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालय, पढ़ाई के नए तरीके और शोध के लिए जाने वाले विजिटर पुरस्कार आगे चल कर प्रेरक साबित होंगे। उन्होंने पढ़ाई के लिए संचार साधनों पर जोर दिया और कहा कि पढ़ाई के लिए आईसीटी नेटवर्क का प्रभावी इस्तेमाल भी बेहद जरूरी है।

राष्ट्रपति ने कहा कि मूल्यांकन की अलग-अलग पद्दति की वजह से पूरे विश्वविद्यालय व्यवस्था में छात्र-छात्राओं के प्रमाण पत्र विश्वसनीयता के साथ स्वीकार करने में दिक्कत आती है। रोजगार के अवसर तक पहुंच बनाने में भी अड़चन पैदा होती है। लेकिन अब च्यावस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम (सीबीसीएस) की वजह से देश और विदेश के शिक्षा संस्थानों में छात्र-छात्राएं आसानी से प्रवेश पा सकते हैं, यानी एक जगह हासिल की गई शिक्षा का लाभ उन्हें दूसरे शिक्षा संस्थानों में मिलेगा। देश के 23 विश्वविद्यालयों ने क्रेडिट सिस्टम लागू कर दिया है।

राष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षा की बढ़ती लागत की वजह से यह महंगी हो गई है। ई-लर्निंग के व्यापक इस्तेमाल से सस्ती शिक्षा मुहैया कराई जा सकती है। इसका इस्तेमाल शिक्षा की बढ़ती मांग को पूरा करने में भी किया जा सकता है। 2008 में पहली बार शुरू हुए मैसिव ओपन आनलाइन कोर्सेज (एमओओसी) विद्यार्थियों को कोर्स मैटेरियल आनलाइन उपलब्ध कराते हैं।

राष्ट्रपति ने विद्यार्थियों में शिक्षा के बुनियादी मूल्यों के विकास पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि जब शिक्षित समुदाय और उनके विचार प्रवाह था सोच आपस में जुड़ जाती हैं तो रचनात्मक उद्यम को बढ़ावा मिलता है। उन्होंने छात्र-छात्राओं को वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाने पर जोर दिया। राष्ट्रपति की ओर से आयोजित इस सम्मेलन में मानव संसाधन विकास मंत्री श्रीमती स्मृति जुबिन ईरानी और अन्य गणमान्य मौजूद थे।

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