• December 26, 2020

उच्च शिक्षा का सकल नामांकन दर 13.6 फीसद

उच्च शिक्षा का सकल नामांकन दर 13.6 फीसद

पटना— बिहार की भावी पीढी को बेरोजगारी के दंश से बचाने के लिए अब हरेक बच्चे को पढ़ाई के साथ हुनरमंद भी बनाया जाएगा। फिलहाल इसकी शुरुआत स्कूलों से होगी, जो उच्च शिक्षा तक जारी रहेगी। अगले पांच वर्षों के लिए तैयार किये गए शिक्षा का रोडमैप में बेसिक से लेकर उच्च शिक्षा में बड़े बदलाव की कार्य योजना तैयार की गई है।

अगले पांच साल में 50 फीसद बच्चों को रोजगारपरक शिक्षा से जोडऩे का लक्ष्य है तो आगामी 15 वर्षों में प्रदेश के उच्च शिक्षण संस्थानों में सकल नामांकन अनुपात 50 फीसद करने का लक्ष्य है। मौजूदा समय में उच्च शिक्षा का यह सकल नामांकन दर 13.6 फीसद है। यदि तय लक्ष्य हासिल हुआ तब उच्च शिक्षा की पढ़ाई करने वालों की संख्या 75 लाख और बढ़ेगी। वर्तमान में 16 लाख 18 हजार विद्यार्थी उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं।

शिक्षा विभाग के एक उच्च पदस्थ अधिकारी ने बताया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के समक्ष शिक्षा का रोडमैप का पावर प्रजेंटेशन शीघ्र होगा।

मुख्यमंत्री से रोडमैप की मंजूरी होने पर बजट का प्रारूप तय होगा। प्रदेश की जमीनी हकीकत और नई शिक्षा नीति को ध्यान में रखते हुए रोडमैप तैयार हुआ है। इसमें प्रत्येक बच्चे को कम से कम किसी एक व्यवसाय से जुड़े कौशल को सीखना अनिवार्य किया जाएगा। रुचि के मुताबिक वह एक से ज्यादा व्यवसायिक प्रशिक्षण भी ले सकता है।

रोडमैप में व्यवसायिक शिक्षा को एकीकृत करने का जो प्रस्ताव है, उसमें माध्यमिक कक्षाओं से होते हुए उच्चतर शिक्षा तक इसकी पढ़ाई सुनिश्चित कराने पर फोकस किया गया है। उद्योगों के सहयोग से व्यवसायिक शिक्षा के विशेषज्ञों के साथ मिलकर एक स्टेट लेबल कमेटी फार द इंटीग्रेशन आफ वोकेशनल एजुकेशन का गठन किया जाएगा।

मौजूदा समय में व्यवसायिक शिक्षा का जो ढांचा है, उनमें स्कूल और उच्च शिक्षा के बीच कोई लिंक नहीं है। यानी स्कूल में यदि कोई व्यवसायिक शिक्षा की पढ़ाई कर रहा है, तो वह उसे लेकर उच्च शिक्षा में भी पढ़ सके, इसका कोई सीधा रास्ता नहीं है। फिलहाल रोडमैप में जो कोशिश है, उसके तहत हरेक बच्चा हुनरमंद होगा।

Related post

यशपाल का आजादी की लड़ाई और साहित्य में योगदान

यशपाल का आजादी की लड़ाई और साहित्य में योगदान

  कल्पना पाण्डे———प्रसिद्ध हिन्दी कथाकार एवं निबंधकार यशपाल का जन्म 3 दिसम्बर 1903 को फिरोजपुर (पंजाब) में हुआ था। उनके…
साड़ी: भारतीयता और परंपरा का विश्व प्रिय पोशाक 

साड़ी: भारतीयता और परंपरा का विश्व प्रिय पोशाक 

21 दिसंबर विश्व साड़ी दिवस सुरेश सिंह बैस “शाश्वत”- आज से करीब  पांच वर्ष पूर्व महाभारत काल में हस्तिनापुर…
पुस्तक समीक्षा :कमोवेश सभी कहानियां गोरखपुर की माटी की खुशबू में तर-बतर है

पुस्तक समीक्षा :कमोवेश सभी कहानियां गोरखपुर की माटी की खुशबू में तर-बतर है

उमेश कुमार सिंह——— गुरु गोरखनाथ जैसे महायोगी और महाकवि के नगर गोरखपुर के किस्से बहुत हैं। गुरु…

Leave a Reply