- September 26, 2022
ई-कचरे की डंपिंग पर गंभीर चिंता — राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग
नई दिल्ली– राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, भारत के अध्यक्ष न्यायमूर्ति श्री अरुण मिश्रा ने अंतरराष्ट्रीय बैठक में विकसित देशों द्वारा विकासशील देशों की सीमाओं में ई-कचरे की डंपिंग पर गंभीर चिंता व्यक्त की। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि स्वस्थ स्थाई पर्यावरण केमानवाधिकारों को सार्वभौमिक रूप से सुनिश्चित करने के लिए इस प्रथा को रोकने की जरूरत है।
न्यायमूर्ति मिश्रा सत्र में क्षेत्र के विभिन्न देशों के राष्ट्रीय मानवाधिकार संस्थानों के एशिया पैसिफिक फोरम, एपीएफ की दो दिवसीय 27वीं वार्षिक ऑनलाइन बैठक में “स्वास्थ्य के लिए एक सार्वभौमिक मानव अधिकार, सतत पर्यावरण – एनएचआरआई की भूमिका” पर आधारित एक सत्र में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सभी देशों द्वारा समयबद्ध तरीके से जलवायु परिवर्तन के खतरे से लड़ने के लिए एक बहुआयामी रणनीति की आवश्यकता है।
उन्होंने भारत के संविधान के तहत प्रत्याभूत लोगों के जीवन के अधिकार को सुनिश्चित करने वाले पर्यावरण की रक्षा के लिए राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, भारत, उच्चतम न्यायालय, भारत के साथ-साथ भारत सरकार द्वारा किए गए कई हस्तक्षेपों पर एक संक्षिप्त जानकारी दी। उन्होंने पर्यावरण प्रदूषण और मानव अधिकारों के क्षरण के प्रभाव को कम करने और घटाने के लिए आयोग द्वारा केंद्र और राज्य सरकारों को जारी परामर्शी का विशेष संदर्भ दिया। उन्होंने अन्य बातों के साथ यह भी उल्लेख किया कि उच्चतम न्यायालय द्वारा राष्ट्रीय उद्यानों और वन्य जीव अभ्यारण्यों के आसपास पर्यावरण के प्रति संवेदनशील क्षेत्रों की स्थापना करके घनी आबादी वाले क्षेत्रों से खतरनाक उद्योगों के पुनर्वास के साथ-साथ पूरे देश में वन भूमि और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण को सुनिश्चित करने का आदेश दिया गया है।
न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा कि भारत ने यह भी प्रदर्शित किया है कि वह जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने और शहरों और समुदायों के निर्माण के लिए सतत विकास लक्ष्यों, एसडीजी को प्राप्त करने के लिए न केवल प्रतिबद्ध है, बल्कि प्रयास भी कर रहा है। अन्य के साथ, इनमें समयबद्ध तरीके से हरित ईंधन और कड़े कार्बन उत्सर्जन मानदंडों के बढ़ते उपयोग के माध्यम से पर्यावरण प्रदूषण की जाँच करना शामिल है। उन्होंने कहा कि समय आ गया है कि निर्माण गतिविधियों के वायु प्रदूषण के कारण होने वाले प्रभाव और इसे कम करने के लिए संभावनाओं का अध्ययन किया जाए।
एनएचआरसी के प्रतिनिधिमंडल में सदस्य न्यायमूर्ति एम. एम. कुमार और श्री राजीव जैन, महासचिव श्री डी. के. सिंह और संयुक्त सचिव श्रीमती अनीता सिन्हा शामिल थे।